- सब एरिया मैनेजर की तनख्वाह रुकी,खान प्रबंधक का स्थानांतरण हुआ पर महाप्रबंधक अभी भी पद पर आसीन।
- येलो बुक नियम के मुताबिक महाप्रबंधक पर भी होनी थी कार्यवाही पर कार्यवाही से अब तक कैसे हैं बचे हुए?
- हजारों टन कोयले की कमी मामले में जांच हुई तेजी से पर महाप्रबंधक पर आकर जांच के सुई अटक गई कैसे?
- क्या विश्रामपुर जीएम को बचाने का हो रहा प्रयास, खान प्रबंधक पर फूट सकता है पूरा कोल स्टॉक घोटाले ठीकरा?
- एसईसीएल विजिलेंस की दो बार दबिश फिर भी कोल घोटाले में हाथ काले करने वाले जीएम मेहरबानी बरकरार?
- क्या गड़बड़ी पाए जाने पर जांच टीम दोषियों के खिलाफ कराएगा एफआईआर दर्ज?
- जांच दल ने सामने कराया था कोल स्टॉक मेजरमेंट मिली कमी, क्या विजिलेंस कर पाएगी निष्पक्ष कोल स्टॉक गड़बड़ी की जांच?
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर/अम्बिकापुर 04 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के रेहर भूमिगत परियोजना के कोल स्टॉक में भारी गड़बड़ी की शिकायत पर प्रारंभिक जांच में करीब ढाई हजार टन कोयला कम पाया गया, जिस पर कार्यवाही तो तेजी से शुरू हुई पर कार्यवाही में निचले स्तर के अधिकारियों का तबादला कर कर इसे ठंडे बस्ते में डालने का एक प्रयास भी माना जा रहा है, क्योंकि महाप्रबंधक तक कार्रवाई की आंच नहीं पहुंची, ऐसा बताया जा रहा है कि महाप्रबंधक को बचाने के लिए तमाम तरह के काम अन्दर खाने किए जा रहे हैं, महाप्रबंधक पर कार्यवाही तो दूर महाप्रबंधक अभी तक पद पर आसीन है आखिर महाप्रबंधक को पद से पृथक क्यों नहीं किया जा रहा है? यह बड़ा सवाल है क्योंकि इसी कोल इंडिया के येलो बुक नियम पर गौर किया जाए तो महाप्रबंधक भी इस मामले के दोषी हैं, पर अभी तक रिटायर सब एरिया से लेकर सर्वेयर व खान प्रबंधक पर स्थानांतरण की कार्यवाही की गई है पर आखिर महाप्रबंधक पर स्थानांतरण के कार्यवाही ना होना कहीं न कहीं इस मामले में महाप्रबंधक को बचाने का प्रयास माना जा रहा है, इस कार्यवाही की वजह से शिकायतकर्ता भी संतुष्ट नहीं है उसने भी महाप्रबंधक को तत्काल हटाने की मांग की है।
ज्ञात हो की एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र की रेहर भूमिगत परियोजना के कोल स्टाक में भारी गड़बड़ी की शिकायत पर प्रारंभिक जांच में करीब ढाई हजार टन कोयले की स्टाक में कमी पाई गई थी मामले में कंपनी के विजिलेंस विभाग द्वारा जांच कार्रवाई तेज कर दी गई थी। संबंधित सूत्रों की माने तो विजिलेंस विभाग की टीम द्वारा इस मामले में खदान के तत्कालीन मैनेजर एवं सर्वेयर के अलावा संबंधित कोयला अधिकारियों को जांच के लिए अलग अलग तिथियों में कंपनी मुख्यालय तलब किया गया है, जिससे खलबली मच गई थी। प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद विगत दिनों खदान के मैनेजर एवं सर्वेयर का तबादला भी कर दिया गया है। बता दें कि एसईसीएल के महाप्रबंधक, सहक्षेत्र प्रबंधक व खान प्रबंधक जो उत्पादन के मामले में येलो बुक नियम के तहत जुड़े होते हैं इनके खिलाफ हजारों टन कोयले की हेराफेरी की शिकायत सुजीत कुमार नाम से राष्ट्रपति गई है। समेत प्रधानमंत्री, सीबीआई एवं अन्य आला अधिकारियों से की गई थी। मामला एसईसीएल बिश्रामपुर की रेहर भूमिगत परियोजना का है। एसईसीएल की भूमिगत परियोजना के कोल स्टाक में कोयले की भारी कमी को लेकर की गई शिकायत में बताया गया था कि खदान के कॉल स्टॉक में कोयले की भारी कमी है। शिकायत में इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि खान प्रबंधन द्वारा कोयला स्टाक में कोयले की कमी को पूरा करने के लिए कोयला स्टाक में मलबा और सेल मिलाया जा रहा है। कपनी मुख्यालय से यहां पहुंचे विजिलेंस विभाग संजय दास, एसके निगम एवं प्रोडक्शन विभाग के वीआर पांडेय, चंदन शाह की टीम द्वारा कोयला स्टाक में गड़बड़ी की शिकायत की जांच बारीकी से की थी, जिसमे करीब ढाई हजार टन कोयला स्टाक में कम पाए जाने की जानकारी सूत्रों से मिली थी, हालांकि इस संबंध में एसईसीएल के संबंधित अधिकारी कुछ भी जानकारी देने असमर्थता जाहिर कर रहे हैं।
स्थानान्तरण या कार्रवाई?
विजिलेंस टीम की प्रारंभिक जांच के बाद खान प्रबंधक एवं सर्वेयर साथ-साथ क्षेत्रीय मुख्यालय में पदस्थ दो कोयला अधिकारियों का तबादला अन्य क्षेत्रों में किए जाने से ही कोयला स्टाक में गड़बड़ी की पुष्टि होती नजर आ रही है। रेहर खदान के मैनेजर फिरोज मोहम्मद अंसारी का तबादला जोहिला क्षेत्र तथा खदान के सहायक प्रबंधक सर्वे सुनील कुमार गुप्ता का तबादला बैकुंठपुर क्षेत्र कर दिए जाने के बाद विजिलेंस विभाग की टीम द्वारा संबंधित मामले में जांच के लिए उन्हें एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर तलब किया गया था। पर सवाल यह है कि आखिर क्षेत्र के मुखिया यानी कि महाप्रबंधक इस जांच से कैसे बचे हुए हैं और आखिर इन्हें क्यों बचाया जा रहा है? इन्हें बचाया जाने का प्रमाण इस बात से लगाया जा रहा है क्योंकि अभी तक यह पद पर आसीन है।
यह है पूरा मामला
ज्ञात हो की एसईसीएल विश्रामपुर की रेहर खदान में पिछले माह सामने आए दो करोड़ कीमत के 2700 टन कोयला घोटाला मामला क्षेत्रीय प्रबंधन की गले की हड्डी साबित हो रहा है। पूरे मामले की जांच के लिए फिर विजिलेंस की टीम यहां पहुंच जांच में जुट गई है। कंपनी मुख्यालय से बीती रात विजलेंस की तीन सदस्यीय टीम भटगांव रेस्ट हाउस पहुंची। सुबह जांच टीम के सदस्य रेहर खदान पहुंच मैनेजर कार्यालय के कोल स्टॉक के दस्तावेजों की जांच में जुटे हैं। 30 जून को आरजीके सब एरिया मैनेजर बीके चौधरी के सेवानिवृत्त होने के बाद रेहर खदान में दो करोड़ का कोयला शॉर्टज का मामला सामने आया था। बड़ी मात्रा में कोयला शॉर्टेज की शिकायत पर विजिलेंस की चार सदस्यीय टीम 14 जुलाई को रहर खदान में छापा मारकर दस्तावेजों की जांच के साथ स्टॉक का मेजरमेंट कराया। स्टॉक मेजरमेंट के बाद यहां 2700 टन (37 प्रतिशत) कोयला कम मिला। इस दौरान विजिलेंस ने कोल स्टॉक में मिट्टी और पत्थर मिला कर 37 प्रतिशत पर पहुचे नहीं तो 8 टन का कोल स्टॉक में कमी थी। कमी की भरपाई करने की प्राप्त शिकायत पर कोल स्टॉक के अलग-अलग जगहों से सैंपल इकट्ठा कर तीन दिन चली जांच के बाद मुख्यालय लौट गई थी।
कोल इंडिया का येलो बुक नियम क्या कहता है
कोल इंडिया में अधिकारियों के लिए येलो बुक नियम बनाया गया, यह नियम कोल स्टॉक के गड़बड़ी में लागू होता है, यदि कोल स्टॉक में कोई भी गड़बड़ी आती है तो इसमें महाप्रबंधक, सहक्षेत्र प्रबंधक व खान प्रबंधक तीनों दोषी होते हैं, येलो बुक इन तीनों से जुड़ कर चलता है और यह खदान में हुए, घोटाले में भी येलो बुक नियम लागू होता है।
विजिलेंस में कौन है महाप्रबंधक का रिश्तेदार?
सूत्रों की माने तो एसईसीएल बिश्रामपुर कोल स्टॉक गड़बड़ी मामले में जो विजिलेंस की टीम जांच में शामिल है उसमें से एक सदस्य कौन है जो एसईसीएल बिश्रामपुर महाप्रबंधक का काफी करीबी व रिश्तेदार है? जो बचाने के लिए जांच को अलग दिशा में ले जा सकता है? ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दोषियों को बचाया जाएगा तो फिर इस प्रकार की गड़बडç¸यां आगे भी होती रहेंगी, इससे पहले भी बिश्रामपुर क्षेत्र में कोल स्टॉक में गड़बड़ी का मामला पहले भी हो चुका है जिसमे कुछ लोग जेल भी जा चुके हैं।
शिकायतकर्ता ने कहा विजिलेंस नहीं करेगी निष्पक्ष जांच तो सीबीआई से कराएंगे जांच
शिकायतकर्ता के अनुसार कोल इंडिया केंद्र सरकार का उपकरण है और एसईसीएल उसी उपकरण का हिस्सा है और यह उपकरण राष्ट्रहित में काम करता है और यदि राष्ट्रहित पर किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है तो हर व्यक्ति इसका विरोध करेगा कोयला राष्ट्र की संपत्ति है जिसका हेरा फेरी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होना चाहिए, विजलेंस निष्पक्ष जांच नहीं करेगी तो देश की सर्वोच्च एजेंसियों से इसका जांच कराया जाएगा, सारे दस्तावेज विजलेंस से आरटीआई में मांगूंगा पर यदि कहीं पर भी विजलेंस ने लीपापोती की होगी तो विजलेंस की भी शिकायत वरिष्ठ एजेंसियों से की जाएगी, जब तक कार्यवाही नहीं हो जाती तब तक में शिकायत करता रहूगा।