- हवा में लटक रहा था एनिकट,भ्रष्टाचार उजागर हुआ तो हड़ताली पहुंच गए लीपापोती कराने।
- घटती-घटना समाचार पत्र में खबर प्रकाशन के बाद लीपापोती करने में जुटा विभाग।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 01 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत बिहारपुर वन परिक्षेत्र के गरुडोल सर्किल के कक्ष क्रमांक 795 में 18 लाख की लागत से एनीकट का निर्माण कराया गया हैं। जहां पर लाखो रुपए खर्च कर सीमेंट कांक्रीट द्वारा निर्मित एनिकट का निर्माण विहारपुर वन परिक्षेत्र के प्रभारी रेंजर द्वारा 5 माह पहले ही कराया गया था और जिसकी गुणवत्ता इतनी चमत्कारी थी की आकालग्रस्त या फिर खंड वर्षा मात्र से ही रिटर्निंग वाल धस गई। जब कि प्रत्येक वर्ष नरवा योजना अंतर्गत वन विभाग द्वारा एनिकट व नरवा के भराव की स्थिती का विवरण बतौर कक्ष क्रमांक सहित शासन को भेजी जाती है ताकि शासन को ये पता चल सके की नरवा योजना कहां तक सफल है जिसके मद्देनजर कई नरवों का वीडियो या विवरण मनेंद्रगढ़ वन मंडल द्वारा भेजे जाने की तैयारी की गई। परंतु इस एनिकट के डिटेल्स को सम्मिट इस लिए नही किया गया ताकि इनके भ्रष्टाचार की पोल न खुल जाए।जिसका ही परिणाम हैं कि खबरों में सुर्खियों में आने के बाद अब लीपापोती करने सुधार कार्य सुरु कर दिया है जबकि कर्मचारी हड़ताल पर हैं ऐसे में कार्य के सुधार की गुडवत्ता को लेकर पुनः सवाल उठना लाजमी हैं।
मिली जानकारी अनुसार मनेन्द्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत बिहारपुर वन परिक्षेत्र के गरुडोल सर्किल के जमती झरिया नाला में हाल ही के गर्मी में बनाए गए भारी भरकम 18 लाख रुपए का एनीकट हल्की बारिश से टूटने के कगार पर जा पहुंचा है।आसपास के ग्राम के ग्रामीणों ने बताया की लंबे समय से परिक्षेत्र के एजेंसी द्वारा बनाए जा रहे एनीकट के निर्माण में बड़ी राशि व्यय होने के बाद भी हल्की व पहली बारिश से एनीकट के प्लींथ एवं नीव आधे से ज्यादा बह गया है जिससे एनीकट का प्लींथ खोखला हो गया है और जल रिसाव होने से एनीकट पूरी तरीके से टूट कर बहने के कगार पर जा पहुंचा है। विभागीय स्तर पर एनीकट की लगात भले 18 लाख हो लेकिन उक्त निर्माण कार्य की स्थिति देखने से कतई नहीं लगता की उक्त एनिकट 18 लाख का होगा।जबकी उक्त निर्माण की हकीकत यह है कि जंगल की अवैध गिटटी,जंगल की रेत एवं लकçड़यों को मिलाकर घटिया निर्माण कराया गया था। जिसके कारण चंद माह में ही एनीकट में दरार आ गई और पहली बारिश में ही एनीकट की नीव बह गई। यदि उक्त निर्माण में प्रयुक्त सामाग्री के बिल वाउचर की जांच कराई जाए तो लाखों रूपए के फर्जी बिलों का खुलासा हो सकता है।
वन विभाग में एनीकट समेत प्रति वर्ष करोड़ों का निर्माण कार्य बिना इंजीनियर, बिना तकनीकी देख रेख में संचालित है साथ ही जमती झरिया में बनाए गए एनीकट में सरिया इस्तेमाल किए गए हैं कि नही बाहर से ही दिखाई नही दे रहे हैं। उल्लेखनीय है की उक्त निर्माण यदि किसी तकनीकी देख रेख में हुआ होता तो शायद इसकी गुणवत्ता कुछ अच्छी होती। वही एनीकट घोर वन क्षेत्र व पहुंच विहीन स्थान पर बनाया गया है वहां तक पहुंचने के लिए घने जंगलों को पार करके जाना पड़ता है। साथ ही वन परिक्षेत्र होने के कारण पहुच मार्ग का भी आभाव है जिससे जिला स्तर के बडे आला अधिकारी निर्माण की जांच करने अथवा निरीक्षण करने नही पहुंच पाते और इसी का परिणाम है की उक्त कार्य में बड़ी आसानी से गड़बड़ी की गई है। एनीकट निर्माण में काम करने वाले कुछ मजदूरों ने बताया कि एनीकट की लागत भले ही 18 लाख हो लेकिन संचालित कार्य में अभी तक कई मजदूरों का मजदूरी भुगतान नही मिल पाया है। जहा भुगतान को लेकर भी सवाल उठना लाजमी हैं जबकि पूर्ण राशि आहरण होने की बात भी सूत्रों से मिली है।