- एक तोते से जुड़ी मार्मिक कहानी, कर्मचारी की बेटी को अपने
- तोते को कमिश्नर बंगले में होने की खबर लगी।
- बेचारी लड़की तोते के प्यार में भागते हुए बंगले पहुंची,जहां
- अपनी भाषा में उससे बुलाया तोते ने भी इतने प्यार से उसे जवाब दिया।
- लड़की को विश्वास हो गया कि तोता उसका है, मैडम से तोता वापस करने लगाई गुहार लेकिन मैडम ने उसके निवेदन को कर दिया खारिज।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 01 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। सईया भय कोतवाल, तो डर काहे का काफी चर्चित कहावत है यह कहावत किन किन जगहों पर सटीक बैठती है इससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, यह कहावत इन दिनों चिरमिरी नगर निगम में लगातार चरितार्थ होती दिख रही है, तोता मैना कि नई कहानी इन दिनों चिरमिरी नगर निगम के बड़े साहब के बंगले में सुनने को मिल रही हैं, मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम कॉलोनी में रह रहे एक कर्मचारी का तोता कमिश्नर बंगले में चार दिन तक कैद होने कि चर्चा के उपरांत, बतौर चार हजार रुपए कर्मचारी को कमिश्नर साहब के बंगले में जमा करने के बाद उक्त तोते को आजाद कराए जाने कि खबर इन दिनों शहर में कौतूहल का विषय बनी हुई है,इसकी पुष्टि घटती घटना नही करता यह खबर जन चर्चो के अधार पर तयार किया गया है।
उल्लेखनीय रहे कि नगर पालिक निगम चिरमिरी की मेम साहब का रुतबा कम होता दिख नहीं रहा है, कर्मचारियों के शोषण और प्रताड़ना का सिलसिला थम नहीं रहा है, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगम में कार्यरत किसी कर्मचारी का एक तोता जो पिछले कई सालों से उस कर्मचारी ने बड़े प्यार से पाल पोस कर बड़ा कर अपने परिवार के सदस्य के रूप में रखकर अपने रंग में ढाला था, बीते दिवस वह तोता एका एक उड़ जाता है जैसे ही परिवार के लोगों को उसके उड़ जाने की खबर लगी वह परेशान होने लगे और उसे खोजने लगे परिवार के छोटे बच्चे भी काफी परेशान थे उन्हें भी उस तोते से काफी लगाव सा हो गया था, दो-तीन दिन ही बीते होंगे उस कर्मचारी की छोटी बेटी को अपने तोते को कमिश्नर बंगले में होने की खबर लगी, बेचारी लड़की तोते के प्यार में भागते हुए कमिश्नर बंगले पहुंची, जहां उसने अपनी भाषा में उससे बुलाया तोते ने भी इतने प्यार से उसे जवाब दिया, जब उस लड़की को यह पता लगा कि तोता उसका है उसने मैडम से अपना तोता वापस करने के लिए कहा मैडम ने एक सिरे से उसके निवेदन को खारिज कर दिया और कहा कि यह तोता तो हमारा है पर लड़की जिद पर अड़ी रही और अपना तोता वापस करने की मांग करती रही लेकिन मैडम तो मैडम हैं उन्होंने भी अपने रुतबे में कोई कमी नहीं दिखाई और लड़की को डांट डपट कर वहां से भगवा दिया और दोबारा वहां नहीं आने की हिदायत दी, बात यहीं पर खत्म नहीं हुई जब उक्त लड़की के अभिभावक जो निगम में कर्मचारी भी है, दूसरे दिन सुबह बंगले पहुंचकर बड़े विनम्रता पूर्वक मैडम से आग्रह किया और तोता वापस करने का निवेदन किया लेकिन मैडम उसे भी डांट फटकार कर भगा दी, बताया जाता है कि जिस दिन से उस कर्मचारी का घर का तोता गुम गया था तब से उसके घर में खाना भी नहीं बना था, एक परिवार के सदस्य की तरह रहने वाला वह तो था उस साधारण परिवार के लिए काफी करीब बन गया था, चुकी तोते का पता लग चुका था तो उसे पाने की व्याकुलता उस परिवार को और विचलित कर रखी थी दो तीन कर्मचारियों के साथ वह कर्मचारी निगम कमिश्नर से अपनी व्यथा सुनाइए जिसे सुनकर कमिश्नर साहब ने 1 दिन का समय मांगा और उसे तो था लौटा देने की बात कही, दूसरे दिन वह कर्मचारी जब कमिश्नर साहब से उस तोते वापस करने के संदर्भ में चर्चा की तो उनके द्वारा उस को डांटते हुए उस पर मनगढ़ंत और झूठे गंभीर आरोप लगा दिए कहने लगे कि तुम पिछले कुछ दिन पूर्व हमारे बंगले में आए थे और हमारे तोते को चुरा कर ले गए और कुछ तुमने हमारे बंगले से गमले भी चोरी कीये हो तुम्हारे घर में जो पौधे लगे हुए हैं वह सब हमारे हैं ऐसा गंभीर आरोप लगाकर उसके विरुद्ध थाने में शिकायत करने की बात भी कर डाली बेचारा भयभीत कर्मचारी डर गया और वापस जाने लगा तभी कमिश्नर साहब ने किसी से फोन में बात किया और फिर कहा कि तुम हमारे पौधे का पैसे का भरपाई कर दो तुम्हें तुम्हारा तोता लौटा देंगे कर्मचारी के पूछे जाने पर कि कितना पैसा देना है जवाब में उनके द्वारा 4 हजार की मांग की गई बेचारा कर्मचारी आने वाली विभिन्न प्रकार की सरकारी आपदा से भयभीत होकर तत्काल उन्हें 4 हजार देकर और उनके बंगले से तोता को ले आया।
जब बंगले से तोता और पौधा चोरी किया तो विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं किया गया?
बताया यह भी जाता है कि उस 4 हजार की राशि को बाबूलाल नामक कर्मचारी को देख कर बंगले में और गमले खरीदे गए हैं जिनमें गुलाब सहित विभिन्न प्रकार के फूल रोपे गए हैं, जिन्हें साहब के बंगले में देखा जा सकता है इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ उत्पन्न होता है कि जब वह कर्मचारी उनके बंगले से तोता और पौधा चोरी किया था तो उनके द्वारा विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए थी वह नहीं की गई और न ही किसी को यह बात बताई गई, नाम ना छापने की शर्त पर बंगले में कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि हमारे बंगले से एक भी पौधे चोरी नहीं हुए हैं और बंगले में कभी तोता पाला ही नहीं गया जब तोता पाला ही नहीं गया तो चोरी का कोई सवाल ही नहीं उठता।
प्रताड़ना का सिलसिला जारी
विदित हो कि चिरमिरी नगर निगम मैं कमिश्नर के रूप में पदस्थ हुए नए साहब के बंगले में शिफ्ट होने के बाद इनके चर्चे काफी सुनने और देखने को मिल रहे हैं, उनके बंगले में लगभग आधा दर्जन कर्मचारियों की नियुक्ति हमेशा रहती है 1 हफ्ते से ज्यादा कोई भी कर्मचारी टिकना नहीं चाहता,ठेकेदार ड्यूटी उसी शर्त पर लगाता है कि तुम्हें यदि काम करना है तो कम से कम 1 सप्ताह वहां काम करना ही पड़ेगा बेचारा मजबूर श्रमिक अपनी निष्ठा बंद होने के डर से मैडम की प्रताड़ना झेल रहा है यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है, इसी क्रम में इन दिनों तोते की कहानी भी बड़ी रोचक बनी हुई है,आखिर यह ओहदेदार लोग कब तक अपने अधीनस्थ शासकीय एवं ठेका कर्मियों पर लगातार प्रताड़ना करते रहेंगे?