हिमाचल@घोषणा पत्र का अचूक बाण,हिमाचल मे चलेगा भूपेश का जादू

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प्रतिवर्तन पसद करते है हिमाचली
1985 के बाद नही हुई कोई भी सत्ता रिपीट
हिमाचल , 31 अगस्त 2022। हिमाचल प्रदेश मे इस साल नवम्बर के अत तक विधानसभा चुनाव होने है. जिसको लेकर हिमाचल प्रदेश के तमाम राजनैतिक दल सक्रियता से जनता को लुभाने के लिए कोई कमी नही छोड़ रहे है. परन्तु यहाँ की राजनीति अन्य राज्यो के मुकाबले बिल्कुल अलग ही रही है. चुनावी सर्वे हो या एग्जिट पोल यहाँ के चुनावी नतीजो ने सभी को हैरान कर दिया है. आपको बता दे कि हिमाचल प्रदेश 12 जिले है, जिनमे इस साल मे 68 विधानसभा सीटो पर चुनाव होने है. वर्तमान मे यहाँ भाजपा की सरकार है. वर्ष 2017 के विस चुनाव मे भाजपा ने 68 मे विधानसभा सीटो मे से 44 और बहुमतसीटो पर कबज़ा जमाया था और जयराम ठाकुर के नेतृत्व मे हिमाचल प्रदेश मे सरकार बनाई थी। हिमाचल प्रदेश मे सत्ता पर काग्रेस और बीजेपी ही काबिज रही है. जबकि मुकाबले मे कई बार तीसरा दल भी शामिल रहा है. हिलोपा, कमुनिस्ट पार्टी व बहुजन समाज पार्टी सहित कई दलो ने चुनाव लड़े लेकिन लोगो ने कभी तीसरे फ्रट को स्वीकार ही नही है. इस बार तीसरे फ्रट के रूप मे आम आदमी पार्टी ने एट्री मारी है जिससे मुकाबला त्रिकोणीय बन चुका है। पजाब मे रिकॉर्ड तोड़ जीत के बाद आप अपना भविष्य हिमाचल मे भी आजमा रही है.
हिमाचल काग्रेस ने 10 गारटियो के साथ चुनावी ताल ठोक दी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमत्री एव विधानसभा चुनाव के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने शिमला से आज इन गारटियो को लाच किया। इसी के साथ काग्रेस ने विधानसभा चुनाव का बिगुल फूक दिया है।
काग्रेस की 10 गारटी
काग्रेस ने सत्ता मे आने के 10 दिन के भीतर ओल्ड पेशन बहाल करने, प्रत्येक घरेलू बिजली उपभोक्ताओ को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 18 से 60 साल की महिलाओ को 1500 रुपए प्रतिमाह, 5 लाख युवाओ को रोजगार, फलो के दाम तय करने का अधिकार बागवानो को देने का वादा किया है।
इसी तरह युवाओ के लिए 680 करोड़ का स्टार्टअप फड, हर गाव मे मुफ्त इलाज के लिए मोबाइल क्लीनिक, विधानसभा क्षेत्र मे 4 -4 अग्रेजी मीडियम स्कूल, गाय व भैस पालको से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदे जाने और गोबर के 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद का वादा किया है।
बघेल ने ने कहा कि सभी नेताओ ने विचार विमर्श किया कि गाय व भेसपालक से 10 लीटर दूध सरकार खरीदेगी। इससे पशुपालक को दूध का उचित मूल्य मिल पाएगा। उन्होने बताया कि पशुपालको से दो रुपए की दर से गोबर भी सरकार खरीदेगी।
किसमे है कितना दम?
हिमाचल प्रदेश मे दोनो बड़ी पार्टिया अपने दम को आजमाने मे जुट गई है. जहाँ सत्ता पर काबिज भाजपा परिवर्तन की रीत को बदलने मे ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है. वही सत्ता मे आने के लिए कारेश भी जुगत लगा रही है. इसमे आम आदमी पार्टी ने भी अपने अत्सि्तव का तड़का लगा कर चुनाव लड़ने की ताल थोक दी है. ऐसे मे जनता के सामने अपने दाम और कार्यशैली की नुमाइश करने के लिए तीनो पार्टियो ने जन सभाओ और रैलियो का दौर शुरू कर दिया है. भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओ ने दिल्ली से हिमचल के सड़के नाप दी है. परहन मत्री नरेद्र मोदी सहित केन्द्रीय मत्री अनुराग ठाकुर व् राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इन दिनो हिमाचल मे ताबड़तोड़ रैलिया कर रहे है. वही काग्रेस पार्टी की तरफ से राजस्थान ले उपमुख्यमत्री सचिन पायलेट सहित छतीसगढ़ मुख्य मत्री भूपेश बघेल ने शिमला मे चुनावो के लेकर रणनीति तैयार की है. हलाकि पूर्व मुख्मत्री दिवगत राजा वीरभद्र सिह के बाद काग्रेस के पास मुख्यमत्री चेहरे को लेकर टोटा बना हुआ है. जनता भी मुख्यमत्री चेहरे को देखकर ही अपना मन भी बनती है जिसके चलते काग्रेस के की यह बड़ी खामी मानी जा रही है. वही आम आदमी पार्टी भी हिमाचल के विधानसभा चुनाव मे पूरी रणनीति के साथ उतर चुकी है। दिल्ली के मुख्यमत्री अरविन्द कजरीवाल भी हिमाचल मे कई बार जनसभा कर चुके है. पजाब मे शानदार जीत के बाद आप का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और यह पार्टी हिमाचल मे अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। इस बार अपनी सत्ता को बचाए रखना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है।
क्योकि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व् केन्द्रीय मत्री अनुराग ठाकुर जैसे दिग्गज नेता मूल रूप से हिमाचली है, इसलिए वह जीत के लिए पुरा जोर लगा रहे है। जिसके चलते दोनो ही नेता राज्य मे लगातार सक्रीय है और एक के बाद एक हिमाचल का दौरा कर रहे है.
परिवर्तन है रीत
हिमाचल प्रदेश मे राज्य के गठन के बाद काग्रस पार्टी का दबदबा अधिक रहा है . इस राज्य मे काग्रेस ने 3 बार लगातार सत्ता मे अपना नाम दर्ज करवाया है लेकिन 1985 के बाद से यहाँ पर सरकार रिपीट नही हुई . जनता ने दोनो ही दलो को जनता ने बारी-बारी से मौका दिया है.
अब काग्रेस इस तथ्य को लेकर भरोसे मे है कि इस बार काग्रेस का मौका है. वही यदि बीजेपी के पास मोदी फेक्टर है जिसको लेकर भाजपा भी हिमाचल मे सरकार बनाने को लेकर आश्स्वस्त है. अब यदि इस बार भाजपा फिर सत्ता हासिल करने मे कामयाब हो जाती है तो यह बीजेपी के लिए ऐतिहासिक जीत मानी जाएगी।
लगातार जनसभा कर रहे जेपी नड्डा

जेपी नड्डा का मुख्य फोकस हिमाचल प्रदेश पर ही है, नड्डा अप्रैल माह से लगातार राज्य का दौरा कर रहे है। बीते माह 75वे अमृत महोस्तव को लेकर भी नड्डा ने सिरमौर जिले का दौरा किया था. यहाँ उन्होने 5 विधानसभा सीटो को लेकर जीत के लिए ताल ठोकी. आपको बता दे कि 9 अप्रैल को जेपी नड्डा ने शिमला मे रोड शो किया था। उसके दूसरे दिन कार्यकर्ताओ से मुलाकात की। 11 अप्रैल को बूथ कमिटी मेबर के घर पर नेम प्लेट लगाकर मेरा बूथ सबसे मजबूत कैपेन की शुरूआत की। वह 10 दिनो के अदर फिर राज्य मे पहुचे और 22 अप्रैल को कागड़ा मे मीटिग की।

मई मे भी जेपी नड्डा राज्य मे बड़े कार्यक्रमो मे शामिल हो चुके है। बीजेपी के एक नेता ने बताया कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है जेपी नड्डा के दौरे भी बढ़ेगे। उन्होने दावा किया कि जेपी नड्डा हर 8 से 10 दिन मे एक बार हिमाचल प्रदेश का दौरा करेगे.

जयराम से उबी जनता, बागबान और सरकारी कर्मचारी खफा

चुनावी तैय्रारियो के बीच प्रदेश का प्रदेश मे वर्तमान मुख्यमत्री की कार्यशैली से जनता मे नाराजगी भी किसी से छिपुई नही रही है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा से लोग खफा नही लेकिन मुख्यमत्री की कार्यशैली लोगो को पसद नही है. प्रदेश का बागबान जयराम साकार की नीतियो से परेशान है. इसके आलावा गिरिपार को हाटी मुद्दे को लाकर भी स्वर्ण और दलित समुदाय भी इन दिनो भाजपा से नाराज चल रहा है. वही सरकारी कर्मचारी भी विभिन्न मुद्दो को लेकर उग्र है. काग्रेस के ओल्ड पेसन योजना का दाव जयराम के लिए भारी पड़ता नज़र आ रहा है.

काग्रेस के पास नही मुख्यमत्री चेहरा

वही दूसरी तरफ काग्रेस के पास कोई मुख्यमत्री चेहरा नज़र नही आ रहा है. इसलिए काग्रेस ने इसकी घोषणा को लेकर ख़ामोशी साधी हुई है. जिसमे भाजपा से खफा वोटर काग्रेस को देख रहा है लेकिन असमजस मे है जिसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. वही आम आदमी पार्टी मुस्लिम वोटर को तोड़ कर काग्रेस को नुकसान पहुचा सकती है.

क्या है समीकरण, कौन है निर्णायक वोटर ?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारिया खुमारी पर है। सभी राजनैतिक दल सभावित विजेता उम्मीदवार पर नज़र बधे बैठी है। हालाकि टिकट बटवारे मे जातीय समीकरण सदैव ही चुनाव रणनीति का खास हिस्सा रहा है। हिमाचल प्रदेश मे भी कास्ट फैक्टर के आधार पर भी टिकटो का वितरण किया जाता है। राजनैतिक पर्यवेक्षको की माने तो हिमाचल प्रदेश मे राजनीति के लिए ज्यादा जातीय समीकरण का गणित लगाने की अधिक गुजाईश नही है। क्योकि यहाँ पर 50 फीसदी से अधिक भी अधिक स्वर्ण मतदाता है। जिसमे से राज्य की कुल 20 सीटे ओबीसी व दलित वर्ग के लिए आरक्षित की गई है।

जानिये हिमाचल प्रदेश का जातीय समीकरण का गणित?

2012 के जनसख्या आकड़ो के अनुसार हिमाचल प्रदेश मे 68.8 लाख जनसँख्या है. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव मे वोटर की सख्या के अनुसार राज्य की जनसख्या मे 32 प्रतिशत राजपूत, जोकि सबसे ज्यादा है। वही 18 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता है। यदि दोनो को मिला दिया जाए तो स्वर्ण मतदाताओ की सख्या 50 प्रतिशत हो जाती है, जोकि भाजपा के लिए बड़ा सपोर्टर माना जाता है. इसके आलावा राज्य मे ओबीसी वर्ग का वोटर 14 प्रतिशत ही है, साथ ही अनुसूचित जाति के वोटर्स की सख्या 25 प्रतिशत तक है। सभी वर्गो को बराबर प्रतिनिधित्व मिले, इसके लिए चुनाव आयोग ने भी राज्य मे 17 सीटे अनुसूचित जाति के लिए और 3 सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दी है।

किसके सर पर है किस जाति का हाथ

आपको बता दे कि विधानसभा चुनाव 2017 मे भाजपा को स्वर्ण समाज के लोगो का आशीर्वाद प्राप्त रहा जिनमे से 56 प्रतिशत ब्राह्मणो ने बीजेपी को वोट दिया, जबकि 35 प्रतिशत ब्राह्मण काग्रेस के साथ रहे। वही राजपूतो का भी 49 फीसदी वोट बीजेपी की झोली मे गया था. जबकि 36 प्रतिशत वोटर काग्रेस के साथ रहे। राजनीति मे दोनो पार्टियाँ स्वर्ण समाज के वोटर को लुभाने मे राजनैतिक दाव पेच चलते रहते है। इसके आलावा ओबीसी वर्ग ने भी अधिकाश बीजेपी को ही वोट दिया था। आकड़ो पर नज़र डाले तो 48 प्रतिशत ओबीसी वोट बीजेपी की झोली मे गिरा था। काग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले। दलित वोट भी दोनो पार्टियो मे लगभग बराबर-बराबर बटे। 48 फीसदी दलित काग्रेस के साथ गए जबकि 47 फीसदी ने बीजेपी का साथ चुना। राज्य मे 67 फीसदी मुस्लिम वोट काग्रेस को मिले जबकि बीजेपी के खाते मे 21 फीसदी मुस्लिम वोट गए।

राजपूत वोटर की रहेगी सत्ता मे निर्णायक भूमिका

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजे रोचक पहलू यह भी निकल कर आया जिसमे चुनाव परिणामो मे अहम् भूमिका निभाई, वो है राजपूत वोटर. आकड़ो के अनुसार हिमचल प्रदेश की 48 सामान्य सीटो पर 33 राजपूत बिरादरी के विधायक चुने गए। इससे राज्य मे राजपूतो की सख्या 50 फीसदी हो गई। जबकि राजपूत मतदाताओ की सख्या 36 प्रतिशत के आसपास है। भाजपा से 18 राजपूत जीते, काग्रेस से 12 ने जीत हासिल की, 2 निर्दलीय राजपूत भी विधायक बने। वही सीपीआईएम से भी 1 राजपूत विधायक बने। इससे सम्भावना बन रही है की इस बार भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव मे राजपूतो की सरकार बनाने मे निर्णायक भूमिका रहेगी।

2017 के चुनावो के आकड़े क्या कहते है ?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला। हालाकि बीजेपी के सीएम कैडिडेट प्रेमकुमार धूमल चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश मे भाजपा ने नए सीएम चेहरे की घोषणा कर सत्ता मे अधिकार बनाया. बात वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावो की की जाये तो उसके परिणाम चौकाने वाले रहे थे. राज्य मे भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन मुख्यमत्री पद के दावेदार खुद अपनी सीट नही बचा पाए थे । 2017 विधानसभा चुनाव मे कुल 68 सीटो मे से बीजेपी को 44 पर जीत मिली। काग्रेस को 21 सीटे मिली, जबकि 3 सीटे अन्य के खाते मे गई। राज्य मे यह चौकाने वाला था कि मुख्यमत्री पद के दावेदार प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। वही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को भी हार का मुह देखना पड़ा था।

किसको कितना पड़ा वोट

नवबर 2017 मे हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 68 विधान सभा सीटो मे से 44 सीटे मिली। बीजेपी को कुल 48.8 फीसदी वोट मिला तो काग्रेस को 41.7 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हो सका । अब भारतीय जनता पार्टी के समक्ष बड़ी चुनौती है कि वह राज्य मे अपनी सत्ता बरकार रखने के लिए प्रदेश के इस वोटिग ट्रेड को बनाए रखे। हालाकि काग्रेस ने सवर्ण मतो को अपने पाले मे लाने के लिए पूर्व मुख्यमत्री वीरभद्र सिह के परिवार को हथियार बनाने का काम किया है। वही भाजपा लगातार राजपूत नेताओ को आगे बढ़ा रही है ताकि वोट बैक बना रहे।

राज्य मे सत्ता रिपीट करने की चुनौती

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 मे काग्रेस 36 सीटे जीतकर राज्य की सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 मे वह सत्ता नही बचा पाई और मात्र 21 सीटे ही जीत पाई। 2012 के विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 26 सीटे मिली थी लेकिन 2017 मे उनको 18 सीटो का फायदा हुआ और पार्टी ने कुल 44 सीटे जीत ली। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 मे बीजेपी के सामने चुनौती है कि वह राज्य की सत्ता को रिटेन करे। इसके लिए प्रधानमत्री नरेद्र मोदी खुद सक्रिय है और हाल ही मे उन्होने रोड शो किया था।

जाने 68 सीटो का जादुई समीकरण

वर्तमान मे राज्य मे कुल 68 विधानसभा क्षेत्र है और सरकार बनाने के लिए 35 सीटे जीतने की दरकार है। राज्य मे लोकसभा की कुल 4 सीटे है और प्रत्येक लोकसभा मे 17-17 विधानसभा सीटे शामिल रहती है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 मे राज्य की 17 विधानसभा सीटे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई है। वही 3 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। राज्य मे 48 विधानसभा सीटो पर सामान्य वर्ग से कोई भी चुनाव लड़ सकता है।

काँगड़ा और मडी है निर्णायक जिले

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के आकड़ो के अनुसार हिमाचल प्रदेश के कागड़ा मे 15 विधानसभा सीटे है, जबकि मडी जिले मे 10 विधानसभा क्षेत्र शामिल है. हिमाचल की राजधानी शिमला मे कुल 8 विधानसभा सीटे है, इसके आलावा चबा जिले मे 5, कुल्लू मे 4, हमीरपुर 6 विधानसभा सीटे है। इसके साथ ही उना व बिलासपुर जिलो मे 4-4 , सिरमौर मे 5 और सोलन मे 4 विधानसभा क्षेत्र है. ही प्रदेश के लाहौल स्पीति और किन्नौर मे सिर्फ 1-1 विधानसभा सीटे है।

जाने हिमचल मे है कितने मतदाता

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के अनुसार राज्य मे कुल 25,68,761 पुरूष मतदाता पजीकृत है । वही महिला मतदाताओ की सख्या 24,27,166 थी। जबकि कुल वोटरो की सख्या 50,25,941 थी, जो मतदान के लिए पजीकृत थे। हालाकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 मे यह सख्या बढ़ चुकी है। आकड़े बताते है कि हर पाच साल मे राज्य मे करीब 3 से 5 लाख नये मतदाता जुड़ जाते है। मतदान प्रतिशत की बात करे यहा औसतन 70-75 फीसदी से ज्यादा मतदान होता है।

लाहौल स्पिति मे सबसे कम मतदाता

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 मे क्षेत्रफल के हिसाब से लाहौल स्पिति सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है लेकिन वोटरो के हिसाब से यहा सबसे कम मतदाता है।


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