बैकुण्ठपुर@जिले में दो एक ही बैच के उपनिरीक्षक थाना प्रभारी,न्याय के रास्ते में लोगो के लिए रोड़ा क्यों?

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  • दोनों थाना प्रभारियों के खिलाफ हो चुकी है कई शिकायतें,फिर भी थाने में जमे हुए है क्यों?
  • एक उपनिरीक्षक को जिले में आने के साथ पहला मनेंद्रगढ़ थाने का प्रभारी बनाया गया जहां आज तक हैं पदस्थ।
  • वही दूसरे उपनिरीक्षक को जिले में दो थाने का थाना प्रभारी बनने का मिला मौका,दूसरे थाने में लंबे समय से है जमे।
  • इन दोनों थानों के प्रभारी अपने प्रभाव से क्यों उत्पन्न करते हैं न्याय पाने की प्रथम सीढ़ी में प्रार्थी के लिए अड़चन?
  • जिले के दो थानों में पदस्थ थाना प्रभारियों के स्तरहीन कार्यप्रणाली की वजह से लोगों के न्याय पाने के रास्ता में आती है बाधा।
  • उच्च अधिकारी भी दोनों उप निरीक्षक थाना प्रभारी के विरुद्ध नहीं करते कोई कार्यवाही।
  • दोनों उपनिरीक्षक की शिकायत हो चुकी है पुलिस अधीक्षक से, किसने थाना प्रभारी पर एफआईआर ना लिखने की शिकायत की है, तो किसने मुजरिम को गिरफ्तार ना कर खुलेआम घूमने की छूट देने की शिकायत कर चुके है।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 27 अगस्त 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में कुछ दिनों के अंतराल में दो उप निरीक्षक 2019-2020 में अन्य जिले से स्थानांतरण के बाद कोरिया जिले में पदस्थ किए गए थे, इन दोनों उपनिरीक्षक की खास बात यह है कि दोनों एक ही बैच के बताए जाते हैं और यही वजह है कि एक जैसा ही काम करते हैं, दोनों की पुलिस अधीक्षक के समक्ष हुई कई शिकायतें पर भी नजर डालें तो शिकायते समान दिखती है, इनकी कार्यवाही की कार्यप्रणाली भी लगभग समान दिखती है, अभी तक के इनके कार्यकाल के सभी कार्यप्रणालियों पर नजर डाली जाए तो लगभग दोनों की कार्यवाही में समानता देखने को मिली है, दोनों की शिकायतों में भी समानता देखने को मिलेगी, दोनों के कार्यप्रणाली की वजह से न्याय पाने की आस में लोग भटकते हैं यह भी समानता देखने को मिलती है, शिकायतों के बावजूद दोनों उपनिरीक्षक थाना प्रभारी पद पर पदस्थ है और शिकायतों के बावजूद भी थाना प्रभारी के पद से कोई हटा नहीं पाया, इसकी वजह जो भी हो पर राजनीतिक पकड़ अच्छी होना बताया जाता है, दोनों का राजनीतिक रूप से पकड़ मजबूत है इसलिए उच्च अधिकारी इनके सामने मजबूर हैं।
कोरिया जिले का मनेंद्रगढ़ थाना ऐसा थाना है जहां का थाना प्रभारी बनना सभी चाहते हैं इसके लिए साम दाम दंड भेद सब लगाते हैं पर पिछले 2 सालों से इस थाना में उपनिरीक्षक का थाना प्रभारी पद पर कब्जा बना हुआ है, जिस पद पर जिले में पदस्थ कई निरीक्षक भी इस थाने के थाना प्रभारी बनने का सपना देखते देखते इस जिले से बाहर चले गए, प्रतिदिन थाना प्रभारी के पद पर बरकरार इनके खिलाफ कई पीडç¸तों ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत भी की थी, यह निष्पक्ष रुप से अपना कार्य नहीं करते मुंह देखा देखी कार्यवाही करते हैं, शिकायत तो लेते हैं पर शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध नहीं करते अपराध उन्हीं का पंजीबद्ध करते हैं जिसका इनके पास पैरवी आता है और यदि अपराध पंजीबद्ध कर भी लेते हैं तो फिर गिरफ्तारी करने में असफल रहते हैं आरोपी के सामने घूमता रहता है, ट्रांसपोर्टर पर मामला पंजीकृत हुआ था पर गिरफ्तारी आज तक नहीं हो पाई, यह पीडç¸तों का शिकायतों में आरोप रहा है वहीं अवैध कारोबार की भी खबरें इस थाना क्षेत्र में खूब सुनी जाती है पर इतना सब कुछ होने के बावजूद आखिर किस के इशारों पर यह आज तक थाना के थाना प्रभारी बने बैठे हैं। कुछ कर्मचारियों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि जितने भी पेचीदा मामले होते हैं दूसरे को यह जांच करने को दे देते हैं पर खुद से किसी मामले में जांच नहीं करते, जिसमें वाहवाही कमानी होती है उसी में ही है आगे आते हैं बाकी सारे मामले में कर्मचारियों को ही बलि का बकरा बना कर सामने करते हैं। इनके थाने के कर्मचारी भी इनके जाने का इंतजार कर रहे हैं क्योकि इनकी वजह से लोग जाँच अधिकारी को सुनाकर जाते है जांच अधिकारी इनके वजह से चाहकर भी निष्पक्ष जांच नहीं कर पते।
कुछ ऐसा ही हाल पटना में पदस्थ उप निरीक्षक का भी
कुछ ऐसा ही हाल पटना में पदस्थ उपनिरीक्षक का भी है जिनके थाना क्षेत्र में जुआ हो या एनडीपीएस की कार्यवाही हो सभी मे अनियमितता देखी गई है, एक ही स्थान पर एक घंटे में एक ही दिन में चार-चार बार छापा मार जुएं फाड़ पर कार्यवाही बताया था जो संभव नहीं है, एनडीपीएस के मामले में भी एक ही दिन में चार-चार कार्यवाही कुछ ही घंटों में दर्ज किए गए थे, अभी हाल फिलहाल में इनकी शिकायत यह भी आई की इनके द्वारा शिकायत करने आए पीडç¸तों को वापस भेज दिया गया पर पीçड़ता का शिकायत नहीं लिया, इनके कार्यवाही पर इनके खुद के विभाग के एक आरक्षक ने भी शिकायत कर रखी है, इसके अलावा पटना क्षेत्र में कई ऐसे कई शिकायतकर्ता है जिन्होंने इनके द्वारा किए गए कार्यवाही को अनुचित बताते हुए इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से की है। कुछ का तो यह भी आरोप है कि यह पटना थाना क्षेत्र में जातिवाद चला रहे हैं।
महिला के साथ हुए छेड़छाड़ का भी मामला दर्ज नहीं किया
पीडि़त शिकायतकर्ता ने कहा कि मेरे साथ मारपीट व छेड़छाड़ हुई थी जिसका मैं शिकायत पटना थाना में लेकर पहुंची पर मुझे थाना के प्रभारी व मुंशी ने मेरा शिकायत लेने से मना कर दिया और मुझे एक नहीं दो दो बार थाने से वापस यह बोल कर बाहर किया गया की तुम्हारा शिकायत झूठा है, जिसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक को अपराध दर्ज करने की मांग की है व पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही करने की मांग भी की गई है।
पुलिस अधीक्षक के कहने पर भी थाना प्रभारी ने नहीं दर्ज किया एफआईआर
थाना प्रभारी नहीं लिख रहा रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक के पास पिडित पहुंचा अपनी फरियाद लेकर, पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारी को कहा लिखो इसकी रिपोर्ट इसके बावजूद थाना प्रभारी नहीं लिखा रिपोर्ट, पुलिस अधीक्षक की भी बात थाना प्रभारी माननीय को नहीं है तैयार, यह मामला मनेंद्रगढ़ थाने का है जहां पीडि़त अपनी शिकायत लेकर एक नहीं चार बार थाना प्रभारी के पास गया पर थाना प्रभारी उसकी शिकायत अपराध पंजीबद्ध नहीं किया, जिसे लेकर प्रार्थी पहुंचा पुलिस अधीक्षक के शरण में, पुलिस अधीक्षक ने भी प्रार्थी की बात सुनी और उन्हें लगा कि प्रार्थी की रिपोर्ट लिखी जानी चाहिए जिसके बाद उन्होंने थाना प्रभारी को फोन पर ही रिपोर्ट लिखने को कहा पर इसके बावजूद थाना प्रभारी रिपोर्ट नहीं लिखा लगातार प्रार्थी को थाने के चक्कर कटवा या जा रहा है आखिर ऐसी क्या वजह है कि थाना प्रभारी उसकी रिपोर्ट लिखने से कतरा रहे है?


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