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अम्बिकापुर@पुरातन ज्ञान को प्रमाणिकता के दायरे में लाकर समाज के अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाना होगाःश्री सिंहदेव

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अम्बिकापुर, 26 अगस्त 2022 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री टीएस सिंहदेव के मुख्य आतिथ्य में शुक्रवार को वन विकास निगम के काष्ठागर परिसर अम्बिकापुर में औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं वनौषधि पादप बोर्ड एवं वन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा होम हर्बल गार्डन के तहत घर-घर निःशुल्क औषधीय पौधों के वितरण हेतु वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस वाहन के द्वारा जिले में करीब 30 हजार औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण किया जाएगा। इसके तहत लोगों को निःशुल्क गिलोय, अश्वगंधा, सतावर, स्टीविया, निरगुंडी, ब्राम्ही आदि पौधे मिलेंगे। कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों से अनेक वैद्य भी पहुंचे थे ।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मंत्री श्री सिंहदेव ने कहा कि औषधीय पौधों से विभिन्न तकलीफों का ईलाज करने की पुरातन ज्ञान को सहेज कर रखने तथा उस ज्ञान को प्रमाणिकता के दायरे में लाकर समाज के अधिकाधिक लोगों को फायदा पहुंचाना होगा। छत्तीसगढ़ में जड़ी-बूटियों की प्रचुर भंडार है जिसे सहेजने और संरक्षित करने का काम राज्य शासन द्वारा वनौषधि पादप बोर्ड के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय से वैद्य परंपरा चली आ रही है जो औषधीय पौधों के उपयोग व अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर मनुष्य का ईलाज कर रहे है। वैद्यों को भी पहचान व सम्मान दिलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वनौषधि पादप एक तरफ लोगों के उपचार में सहायक है तो दूसरी ओर इसकी खेती से तेजी से आय में बढ़ोत्तरी होगी।
छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन के अध्यक्ष व लुण्ड्रा विधायक डॉ प्रीतम राम ने कहा कि हर क्षेत्र में ज्ञान आवश्यक है। ज्ञान से ही पुरातन पद्धति आज पर्यन्त जारी है। उन्होंने कहा कि विगत वर्षां से घर-घर में औषधीय पौधों का वितरण हो रहा है। आने वाले समय मे हमारे घर आंगन में औषधीय पौधे रहेंगे तो उसका उपयोग आसानी से कर पाएंगे। छत्तीसगढ़ आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं वनौषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालकृष्ण पाठक ने कहा कि होम हर्बल गार्डन योजना के तहत अब तक प्रदेश में करीब एक करोड़ पौधों का वितरण किया गया है। औषधीय पौधों में हजारों गुण होते है। भले ही शरीर में इसके फायदे धीरे से होता है लेकिन कोई नुकसान भी नहीं होता। साइड इफेक्ट नहीं होता। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों के संरक्षण व संवर्धन के लिए वनौषधि का कृषिकरण के लिए बोर्ड द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत किसानों को वृक्षारोपण कर शासन की योजना का लाभ लेने प्रोत्साहित किया जा रहा है। औषधीय पौधों की खेती में समय, लागत व मेहनत कम लगती है जबकि फायदा अधिक मिलता है।


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