नई दिल्ली@नितिन गडकरी और शिवराज सिह चौहान को ससदीय बोर्ड मे नही मिली जगह

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भाजपा ने अटकलो पर लगाया विराम
नई दिल्ली, 17 अगस्त 2022।
भाजपा ने अपनी सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई यानी ससदीय बोर्ड मे केद्रीय मत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमत्री शिवराज सिह चौहान को जगह नही दी। इससे सियासी अटकले तेज हो गई है। हालाकि इन अटकलो पर विराम लगाते हुए भाजपा ने दावा किया कि उसका पुनर्गठित ससदीय बोर्ड पार्टी की सगठनात्मक क्षमता और विविधता का परिचायक है।
अनुभव को महत्व देती है पार्टी
समाचार एजेसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा सूत्रो ने कहा कि नया पुनर्गठित ससदीय बोर्ड दिखाता है कि पार्टी पुराने कार्यकर्ताओ को कैसे पुरस्कृत करती है और उनके अनुभव को महत्व देती है। बी. एस. येदियुरप्पा , सत्यनारायण जटिया , के. लक्ष्मण जैसे नेताओ ने पार्टी को मौजूदा मुकाम तक पहुचाने मे अहम भूमिका निभाई है। उनका सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय मे शामिल किया जाना दिखाता है कि पार्टी अपने सम्मानित कार्यकर्ताओ को महत्व देती है।
इस बार विविधता पर जोर
भाजपा सूत्रो ने नवगठित ससदीय बोर्ड के विविधता की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसमे विविधता पर जोर दिया गया है। सर्बानद सोनोवाल पूर्वोतर से है तो दूसरी ओर एल. लक्ष्मण और बी. एस. येदियुरप्पा दक्षिण से है, जबकि इकबाल सिह लालपुरा एक सिख समुदाय से है। सुधा यादव जमीनी नेता है जिनके पति कारगिल मे शहीद हो गए थे। सुधा यादव को शामिल करना महिलाओ और सशस्त्र बलो के कर्मियो के परिवारो के प्रति उनके अत्यधिक सम्मान को दर्शाता है।
जेपी नड्डा ने चौकाया
गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी सगठन की पूरी केद्रीय टीम बनाने मे थोड़ी देर जरूर की लेकिन जब बनाया तो चौका दिया। पार्टी की शीर्ष नीति निर्णायक इकाई, ससदीय बोर्ड मे लगभग उसी तरह भारी बदलाव किया जिस तरह केद्रीय पदाधिकारियो की नियुक्ति मे किया था। पारपरिक रूप से चल रही अलिखित लाइन से परे हटते हुए ससदीय बोर्ड को बिल्कुल नया रूप दे दिया जिसमे पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को भी जगह नही मिली।
मौजूदा फैसले से दिया बड़ा सदेश
वर्तमान सदस्य और मध्य प्रदेश के मुख्यमत्री शिवराज सिह चौहान भी बाहर हो गए। जबकि कर्नाटक मे भाजपा के बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा, तेलगाना के पूर्व अध्यक्ष के. लक्ष्मण, पजाब के इकबाल सिह लालपुरा, असम से आनेवाले केद्रीय मत्री सर्बानद सोनोवाल जैसे लोगो को शामिल कर देश के हर कोने को प्रतिनिधित्व दिया गया। परोक्ष रूप से यह सदेश भी दे दिया गया कि मुख्यमत्री ससदीय बोर्ड मे नही होगे। ऐसी परपरा कुछ वक्त पहले तक थी।
अलग अलग राज्यो से प्रतिनिधित्व
भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने पिछले साल केद्रीय पदाधिकारियो की नियुक्ति की थी तो लगभग 70 प्रतिशत बदलाव कर दिया था। कई नए चेहरे शामिल किए गए थे और क्षमता को ध्यान मे रखते हुए अलग-अलग राज्यो से प्रतिनिधित्व दिया गया था। ससदीय बोर्ड को लेकर चुप्पी थी। वैसे भी नड्डा के तीन साल के पहले कार्यकाल का अब छह सात महीने का वक्त ही बचा है। उससे पहले ससदीय बोर्ड के गठन मे नड्डा ने फिर से धमक दिखाई है। 11 सदस्यीय ससदीय बोर्ड और 15 सदस्यीय केद्रीय चुनाव समिति मे कई ऐसे चेहरे शामिल किए है जिनकी दूर दूर तक चर्चा नही थी।
सदेश के साथ जातिगत सतुलन साधने की कोशिश
अब ससदीय बोर्ड मे येदियुरप्पा, लालपुरा, और सत्यनारायण जटिया को भी शामिल किया गया है। येदियुरप्पा को शामिल कर कर्नाटक के अदर भाजपा मे चलने वाली खटपट को भी सदेश दे दिया है। लालपुरा वह व्यक्ति है जिहोने आइपीएस अधिकारी के रूप मे पजाब के अलगाववादी नेता भिडरावाले को पकड़ने मे अहम भूमिका निभाई थी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार मे मत्री रह चुके जटिया यू तो मध्य प्रदेश की राजनीति मे फिलहाल पीछे है लेकिन केद्र से यह सदेश दे दिया गया है कि उनका अनुभव नजरअदाज नही किया जाएगा। वस्तुत: अनुभव के साथ-साथ जातिगत और क्षेत्रीय सतुलन साधने की कोशिश की गई है।
फडणवीस और भूपेद्र यादव केद्रीय चुनाव समिति मे शामिल
शिवराज का ससदीय बोर्ड से जाना इसलिए रोचक है क्योकि यह मुख्यमत्रियो के लिए एक सदेश हो सकता है। पूर्व अध्यक्ष सामान्यतया ससदीय बोर्ड मे होते है लेकिन यह लिखित सविधान नही है। गडकरी का जाना इसलिए ज्यादा रोचक है क्योकि ससदीय बोर्ड के साथ ही गठित चुनाव समिति मे महाराष्ट्र के उपमुख्यमत्री देवेद्र फडणवीस को जगह मिली है। इसी समिति मे केद्रीय मत्री भूपेद्र यादव और ओम माथुर को शामिल किया गया है। एक स्थान महिला मोर्चा की अध्यक्ष के लिए आरक्षित होता है। इस समिति मे ससदीय बोर्ड के सभी सदस्य शामिल होते है। इस समिति से शाहनवाज हुसैन को भी हटा दिया गया है।
ससदीय बोर्ड के सदस्य
जेपी नड्डा (अध्यक्ष)
नरेन्द्र मोदी
राजनाथ सिह
अमित शाह
बीएस येदियुरप्पा
सर्बानद सोनोवाल
के. लक्ष्मण
इकबाल सिह लालपुरा

केन्द्रीय चुनाव समिति के सदस्य
सुधा यादव
सत्यनारायण जटिया
बीएल सतोष (सचिव)
केद्रीय चुनाव
समिति के सदस्य
जेपी नड्डा (अध्यक्ष)
नरेन्द्र मोदी
राजनाथ सिह
अमित शाह
बीएस येदियुरप्पा
सर्बानद सोनोवाल
के. लक्ष्मण
इकबाल सिह लालपुरा
सुधा यादव
सत्यनारायण जटिया
भूपेद्र यादव
देवेद्र फडणवीस
ओम माथुर
बीएल सतोष (सचिव)
वनथी श्रीनिवास (पदेन)
भाजपा ससदीय बोर्ड मे सुषमा स्वराज की जगह सुधा यादव को किया गया शामिल
भाजपा के ससदीय बोर्ड मे बड़ा बदलाव किया गया है। इसमे जहा नितिन गडकरी और शिवराज सिह चौहान को हटाया गया है, वही 6 नए सदस्?यो को शामिल किया गया है। इसमे कर्नाटक के पूर्व मुख्?यमत्री बीएस येदियुरप्पा, अल्?पसख्?यक आयोग के अध्?यक्ष इकबाल सिह लालपुरा, केद्रीय मत्री सर्बानद सोनोवाल, के. लक्ष्मण, सुधा यादव और बीएल सतोष (सचिव) को नए सदस्?यो के रूप मे शामिल किया गया है। भाजपा ने दावा किया कि उसका पुनर्गठित ससदीय बोर्ड सगठनात्मक ताकत दिखाता है और विविधता पर जोर देता है।
पहले चुनाव लड़ने से किया था मना
पूर्व विदेश मत्री और भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज की जगह हरियाणा से सुधा यादव को पार्टी ने ससदीय बोर्ड मे जगह दी है। सुधा यादव हरियाणा के रेवाड़ी की रहने वाली है। वर्तमान मे वह भाजपा की राष्ट्रीय सचिव है। सुधा यादव के पति सुखबीर सिह यादव सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डिप्टी कमाडेट थे। कारगिल युद्ध मे सीमा पर लड़ते हुए उन्होने सर्वोच्च बलिदान दिया था। वह पूर्व मे 1999 से 2004 तक 13 वी लोकसभा की हरियाणा के महेद्रगढ़ सीट से सदस्य भी रह चुकी है। उन्?होने उस समय के काग्रेस के नेता राव इद्रजीत के मुकाबले चुनाव लड़ा था। पहले सुधा यादव ने महेद्रगढ़ से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।
नरेद्र मोदी के आग्रह पर चुनाव लड़ने के लिए हुई थी तैयार
1999 मे नरेद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी थे। वह नरेद्र मोदी के कहने के चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुई थी। उन्होने सुधा से कहा था कि आपकी जितनी जरूरत आपके परिवार को है, उतनी ही जरूरत इस देश को भी है। सुधा बताती है कि पति के बलिदान के बाद उनके लिए वो समय काफी कठिन था। ऐसे मे वह चुनाव लड़ने के बारे मे सोच भी नही सकती थी। उस दौरान नरेद्र मोदी से बातचीत ने उनमे ऊर्जा भर दी और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुई। नरेद्र मोदी ने अपनी मा से मिले आशीर्वाद के 11 रुपये सुधा यादव को दिए थे। उस समय गुरुग्राम मे हुए कार्यकर्ता सम्?मलेन मे नरेद्र मोदी ऊर्जावान भाषण दिया था।
भाजपा ओबीसी मोर्चा का प्रभारी रही सुधा
हालाकि, 2004 मे सुधा यादव को महेद्रगढ़ सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होने अगला चुनाव 2009 मे गुड़गाव लोकसभा सीट से लड़ा था, मगर यहा भी कामयाबी नही मिली। 2015 मे सुधा यादव को भाजपा ओबीसी मोर्चा का प्रभारी नियुक्त किया गया था। सुधा यादव पेशे से प्रवक्ता है। सुधा यादव ने 1987 मे रुड़की विश्वविद्यालय से स्नातक किया, जिसे अब आईआईटी रुड़की नाम से जाना जाता है।
महिलाओ और सशस्त्र बलो के प्रति पार्टी का सम्मान
भाजपा ने उनके बारे मे कहा है कि सुधा यादव एक खुद से बनी हुई राजनीतिक नेता है, जिनके पति कारगिल मे शहीद हो गए थे। उनको ससदीय बोर्ड मे शामिल किया जाना महिलाओ और सशस्त्र बलो के कर्मियो के परिवारो के प्रति पार्टी के अत्यधिक सम्मान दर्शाता है।


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