अम्बिकापुर @आजादी के लिए शहीद होने वाले गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की संघर्ष गाथा भी सामने लाया जाना चाहिएःइतिहासकार गोविंद शर्मा

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अम्बिकापुर 14 अगस्त 2022 (घटती-घटना)। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के परिपेक्ष में कोरिया जिले में आजादी के संघर्षों के विभिन्न अनसुलझे राष्ट्रीय प्रसंगों को तलाशने, एवं देश की आजादी में कोरिया के संघर्षों को रेखांकित करने के उद्देश्य से सरगुजा राजघराने के करीबी, सरगुजा रियासत के वरिष्ठ इतिहासकार गोविंद शर्मा का मनेंद्रगढ़ आगमन हुआ। इस अवसर पर उन्होंने सरगुजा स्टेट एवं देश की स्वतंत्रता के पूर्व सरगुजा रियासत की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। सरगुजा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक एवं सरगुजा राज महल के सूक्ष्म इतिहास के जानकार गोविंद शर्मा ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के संबंध में बेबाक रूप से अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि इस समय देश में अपनी माटी के प्रति संस्कार एवं श्रद्धा का भाव उमड़ रहा है। सरगुजा स्टेट एवं भारत के रियासतों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब भारत आजाद हुआ तब भारत के लगभग सभी देश अंग्रेजों के देश छोड़नेकी बात पर प्रसन्न थे। उस समय यह अलग मुद्दा रहा कि विभाजन के बाद भारत संघ में विलय हो या नहीं। पाकिस्तान में जाने का मुद्दा भी सरगर्म रहा। भारत विभाजन में किस किस देश के साथ कौन-कौन भारत में स्थापित रहे यह आजादी के बाद प्रथम मुद्दा रहा।
सरगुजा जो पुराने भारत के ही हिस्से थे
सरगुजा स्टेट के संबंध में इतिहासकार श्री शर्मा ने बतलाया सरगुजा वगैरह जो पुराने भारत के ही हिस्से थे, वह भारत में ही रहना चाहते थे पाकिस्तान जाना नहीं चाहते थे ।15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तब 31 अगस्त 1947 को भारत संघ में विलीन हो गया। 15 अगस्त के दिन सभी रियासतों में अंग्रेजों की जाने की खुशियां मनाई गई। तिरंगा फहराया गया एवं मिठाइयां बांटी गई। पुराने कैदी बीमार बुजुर्ग कैदी को रिहा कर दिया गया। अस्पतालों में फल वितरित किया गया ।गरीबों को कपड़े दिए गए। अनाज दिए गए सरगुजा स्टेट की ओर से भंडारे का आयोजन किया गया था। सरगुजा भारत के पहले रियासतों में से था जिसने विलीनीकरण को स्वीकार किया। भारत की स्वतंत्रता के प्रमाणिक तथ्यों के आधार पर उन्होंने बतलाया कि- सरदार वल्लभ भाई पटेल नेहरू जी इत्यादि उस समय के प्रमुख नेता थे जिन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद सहित आगे की रणनीति पर महाराज सरगुजा से विचार-विमर्श कर देश की मजबूती के लिए प्रयास किया एवं सरगुजा महाराज भी इस पक्ष में थे कि रियासतों का विलीनीकरण हो और भारत संघ बने।
सरगुजा के स्वतंत्रता संग्राम बाबू परमानंद के संघर्ष एवं आजादी की गाथा को भी याद किया जाना चाहिए
सरगुजा के स्वतंत्रता संग्राम बाबू परमानंद के संघर्ष एवं आजादी की गाथा को याद करते हुए सरगुजा रियासत के इतिहासकार गोविंद शर्मा ने कहा बाबू परमानंद के आजादी के संघर्ष का योगदान दैनिक समाचार पत्रों में पूर्व में में प्रकाशित हुआ था जिसे आज रेखांकित किया जा रहा है। कोरिया जिले के महात्मा गांधी के विचारों को पोषित करने वाले खादी कार्यकर्ता एवं कोरिया जिले के खादी भंडार के संस्थापक सदस्य कृष्ण प्रसाद उपाध्याय भी गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं जिनके आजादी के संघर्ष को रेखांकित किया जाना चाहिए। श्री शर्मा ने बतलाया जीवन भर महात्मा गांधी के विचारों को पोषित करने वाले एवं खादी को प्रोत्साहित करने वाले स्वर्गीय कृष्णा भाई 1958 में मनेंद्रगढ़ कोरिया आए थे तब से इनका परिवार यहां बसा हुआ है। विभिन्न दस्तावेजों के आधार पर एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कृष्ण प्रसाद उपाध्याय के 1942 के बनारस सेंट्रल जेल में अभिलेख तलाशे जा रहे हैं उम्मीद है जल्द ही कुछ गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरगुजा एवं कोरिया जिले से सामने आ सकेंगे ,जिससे प्रशासन उनके परिजनों को भी सम्मानित कर सकेगा। देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ से भारत में फैले देश प्रेम की भावना का उल्लेख करते हुए गोविंद शर्मा ने कहा- फिलहाल जो देश भक्ति एवं आजादी के संघर्ष को जीने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ,यह देश के मजबूती के लिए एक शुभ संकेत है। इतिहासकार गोविंद शर्मा ने सरगुजा एवं कोरिया के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संबंध में कहा कि भावी पीढ़ी को यह जानना बहुत जरूरी है कि आजादी की लड़ाई में हमारे अंचल के किन-किन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों से लोहा लिया एवं अपनी जान की बाजी लगाकर उन्होंने देश को आजाद कराया। गोविंद शर्मा सरगुजा रियासत कालीन इतिहास पर शोध कार्य कर रहे हैं एवं छत्तीसगढ़ शासन के स्वास्थ्य मंत्री अंबिकापुर निवासी टीएस सिंह देव के राजघराने की सूक्ष्म जानकारी रखते हैं। आज भी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश विदेश के सैलानियों एवं प्रमुख राजनीतिक व्यक्तियों को सरगुजा रियासत की प्राचीनतम से नवीनतम पीढियों की जानकारी सरगुजा रियासत के इतिहास विशेषज्ञ अंबिकापुर निवासी गोविंद शर्मा ही उपलब्ध कराते हैं। सरगुजा पैलेस देखने समझने एवं इसके रियासत कालीन इतिहास सभी प्रमुख छोटी-बड़ी घटनाओं को जानने वाले गोविंद शर्मा सरगुजा रियासत के इनसाइक्लोपीडिया भी कहे जाते हैं।


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