बैकुंठपुर/अम्बिकापुर@रेहर कोल स्टॉक घोटाले में जीएम,रिटायर सब एरिया व खान प्रबंधक के हाथ काले फिर भी पद पर आसीन क्यों?

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क्या विश्रामपुर जीएम को बचाने का हो रहा प्रयास,खान प्रबंधक पर फूट सकता है पूरा कोल स्टॉक घोटाले ठीकरा?
रिटायर सब एरिया का रुका लाखों का पेमेंट और वही जीएम व खान प्रबंधक पद पर आसीन।
एसईसीएल विजिलेंस की दो बार दबिश फिर भी कोल घोटाले में हाथ काले करने वाले जीएम व खान प्रबंधक पर मेहरबानी बरकरार?
विश्रामपुर एसईसीएल के वर्तमान जीएम एक कार्यकाल में कोल स्टॉप घोटाला व कोयले में मिट्टी व पत्थर मिलाने का शिकायत उच्च स्तर पर।
क्या गड़बड़ी पाए जाने पर जांच टीम दोषियों के खिलाफ कराएगा एफआईआर दर्ज?
जांच दल ने सामने कराया था कोल स्टॉक मेजरमेंट मिली कमी,जांच दल कुछ भी कहने से बच रहा क्यों?
क्या विजिलेंस कर पाएगी निष्पक्ष कोल स्टॉक गड़बड़ी की जांच या फिर एसईसीएल के अधिकारी बच निकलेंगे इस मामले से?
भारी मात्र में हुए कोयला घोटाले की जांच के लिए फिर पहुंची विजिलेंस टीम, रिटायर सब एरिया का रुका 40 लाख का पेमेंट।
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर/अम्बिकापुर 06 अगस्त 2022(घटती-घटना)।
एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के सहक्षेत्र रेहर खदान में बड़ी मात्रा में कोल स्टॉक में गड़बड़ी पाई गई थी, जिसे घोटाला कहना गलत नहीं होगा, जिसकी शिकायत भी उच्च स्तर पर हुई थी जिसके बाद विजिलेंस की टीम इस घोटाले व गड़बड़ी को जांच करने पहुंची थी, जिसमें विजिलेंस की टीम ने गड़बड़ी भी पाया था, पर उस बड़ी गड़बड़ी को कम करने के लिए महाप्रबंधक व खान प्रबंधक दोनों मिलकर खूब गोलमाल किए फिर भी गड़बड़ी से अपने आप को बचा नहीं पाए, जब विजिलेंस को कोल स्टॉक में गड़बड़ी मिल चुकी है तो अब महाप्रबंधक अपने आप को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं, यही वजह है कि अभी तक गड़बड़ी की रिपोर्ट मिलने के बावजूद महाप्रबंधक व खान प्रबंधक पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है, वही सहक्षेत्र प्रबंधक जो रिटायर हो चुके थे उनका 40 लाख का पेमेंट रोका गया है, ऐसे में सवाल यह है कि आखिर महाप्रबंधक व खान प्रबंधक को पद पर अभी तक आसीन क्यों रहने दिया गया है? इन्हें पद से पृथक कर निष्पक्ष जांच को प्रभावित करने का प्रयास तो नहीं? सूत्रों की माने तो महाप्रबंधक को बचाने के लिए उच्च स्तर से तैयारी हो रही है यदि महाप्रबंधक बचते हैं तो इसका पूरा ठीकरा सेवानिवृत्त से सहक्षेत्र प्रबंध वीके चौधरी व खान प्रबंधक फिरोज खान पर पूरा ठीकरा फुटेगा पर नियम की माने तो यदि कोई भी घोटाला होता है तो उसमें महाप्रबंधक, सब एरिया व खान प्रबंधक तीनों दोषी होते हैं यह कोल इंडिया का नियम भी है पर अब देखना यह होगा की कार्यवाही कब और किस किस पर होगी लगातार शिकायतें हो रही हैं।
ज्ञात हो की एसईसीएल विश्रामपुर की रेहर खदान में पिछले माह सामने आए दो करोड़ कीमत के 2700 टन कोयला घोटाला मामला क्षेत्रीय प्रबंधन की गले की हड्डी साबित हो रहा है। पूरे मामले की जांच के लिए फिर विजिलेंस की टीम यहां पहुंच जांच में जुट गई है। कंपनी मुख्यालय से बीती रात विजलेंस की तीन सदस्यीय टीम भटगांव रेस्ट हाउस पहुंची। सुबह जांच टीम के सदस्य रेहर खदान पहुंच मैनेजर कार्यालय के कोल स्टॉक के दस्तावेजों की जांच में जुटे हैं। 30 जून को आरजीके सब एरिया मैनेजर बीके चौधरी के सेवानिवृत्त होने के बाद रेहर खदान में दो करोड़ का कोयला शॉर्टज का मामला सामने आया था। बड़ी मात्रा में कोयला शॉर्टेज की शिकायत पर विजिलेंस की चार सदस्यीय टीम 14 जुलाई को रहर खदान में छापा मारकर दस्तावेजों की जांच के साथ स्टॉक का मेजरमेंट कराया। स्टॉक मेजरमेंट के बाद यहां 2700 टन (37 प्रतिशत) कोयला कम मिला। इस दौरान विजिलेंस ने कोल स्टॉक में मिट्टी और पत्थर मिला कर 37 प्रतिशत पर पहुचे नहीं तो 8 टन का कोल स्टॉक में कमी थी। कमी की भरपाई करने की प्राप्त शिकायत पर कोल स्टॉक के अलग-अलग जगहों से सैंपल इकट्ठा कर तीन दिन चली जांच के बाद मुख्यालय लौट गई थी।
यह है पूरा मामला
एसईसीएल क्षेत्र में अक्सर कोयले में हेराफेरी का मामला सुनने को मिलता है कहीं ज्यादा तो कहीं कम कुछ साल पहले कोयले में बड़ी मात्रा में हेराफेरी को लेकर बिश्रामपुर क्षेत्र काफी चर्चित रहा था, जहां कई अधिकारियों को जेल की हवा भी खानी पड़ी थी, एक बार फिर बिश्रामपुर एससीसीएल क्षेत्र के रेहर खदान में बड़ी मात्रा में कोयला हेराफेरी का मामला फिर सामने आया है, जिसे लेकर मुख्य सतर्कता अधिकारी एसईसीएल बिलासपुर को शिकायत की गई थी और जल्द से जल्द जांच की मांग की गई थी, शिकायतकर्ता के अनुसार 8 हजार टन कोयला स्टॉक में होना बताया जा रहा है पर वास्तविक स्थिति में खदान के पास 8 हजार टन कोयला मौजूद दिख नहीं रहा, अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब प्रबंधन 8 हजार टन कोयला होना बता रही है तो आखिर यह कोयला कहां है, वही शिकायत के बाद इस प्रबंधन हरकत में है और जल्दी-जल्दी 8 हजार टन कोयले का स्टॉक बनाने में जुट गई थी, जिसके लिए मिट्टी से लेकर पत्थर तक मिलाने का कार्य प्रबंधन बड़ी तेजी से कराया गया था।
कोल इंडिया का येलो बुक नियम क्या कहता है
कोल इंडिया में अधिकारियों के लिए येलो बुक नियम बनाया गया, यह नियम कोल स्टॉक के गड़बड़ी में लागू होता है, यदि कोल स्टॉक में कोई भी गड़बड़ी आती है तो इसमें महाप्रबंधक, सहक्षेत्र प्रबंधक व खान प्रबंधक तीनों दोषी होते हैं, येलो बुक इन तीनों से जुड़ कर चलता है और यह खदान में हुए, घोटाले में भी येलो बुक नियम लागू होता है ऐसे में अधिकरीयो पर कार्यवाही होती है तो यह तीनों दोषी पाए जाएंगे पर देखना यह है कि आखिर यह कार्यवाही कब तक होती है क्या इन्हें बचाया जाएगा या फिर निष्पक्ष कार्यवाही की जाएगी।
2 खदानों से होता था उत्पादन फिर भी कोल स्टॉक में आई भारी गड़बड़ी
एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के बलरामपुर व रेहर खदान में कोयले का उत्पादन होता था, देखा जाए तो महाप्रबंधक के अंडर में सिर्फ दो खदानें ही उत्पादन के लहजा से संचालित थी, पर इन दो खदानों को भी महाप्रबंधक संभाल नहीं पाए और यहां पर भी घोटाले की शिकायत हो गई और जांच दल को भी घोटाला मिल गया, जबकि आमगांव खदान का उत्पादन 10 दिन पहले ही शुरू हुआ है, इससे पहले ही कोल स्टॉक में गड़बड़ी रेहर खदान में मिल गई, वही बलरामपुर खदान में भी उत्पादन अधिक दिखाने के लिए कोयले की गुणवत्ता को मिट्टी व पत्थर मिलाकर खराब किया गया, राष्ट्र की संपत्ति खराब होतो है तो होने पर अधिकारियों का भला होता रहे इस दृष्टिकोण से अधिकारी कार्य करते दिख रहे हैं।
बलरामपुर खदान में भारी मात्रा में कोयले में पत्थर मिलाने की भी हुई शिकायत
बिश्रामपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक इतने लापरवाह हैं की इनके अधीनस्थ खदानों में जमकर हेराफेरी हो रही है और यह उस से अनजान हैं यह कहना गलत होगा सूत्रों की मानें तो सारे मामलों से महाप्रबंधक वाकिब हैं इसके बावजूद रेहर खदान में कोल स्टॉक की गड़बड़ी व बलरामपुर खदान में उत्पादन के स्टाक को बराबर करने के लिए जमकर कोयला मिलाया गया और कोयले की गुणवत्ता को खराब किया गया जिससे राष्ट्र की संपत्ति को ही नुकसान उन्हीं के अधिकारियों द्वारा पहुंचाया जाना देखा जा रहा है।
खदान में अंदर रिपोर्टिंग की जा रही
अधिकारी आज भी यथास्थान पदस्थ हैं। खबर है कि संबंधितों को कोयला शॉर्टज की भरपाई करने के उद्देश्य से उन्हें पद से हटाया नहीं जा रहा है। अब उनके द्वारा खदान में अंदर रिपोर्टिंग की जा रही है। मामले में सेवानिवृत्त सब एरिया मैनेजर बीके चौधरी का करीब चालीस लाख रूपए रोक दिया है।
घोटाले के बाद बता रहे अब चोरी,ताकि बच जाए कुर्सी
शॉर्टज को कोयला चोरी और अंडर रिपोर्टिंग से जोड़ बचने का प्रयास किया जा रहा है। बताया जाता है कि खदान से 2700 टन कोयला शॉर्टज मामले में क्षेत्रीय प्रबंधन कार्यवाही से बचने ग्रामीणों और कोयला तस्करों द्वारा खदान से कोयला चोरी की दो करोड़ के कोयला घोटाले में शामिल घटना के साथ ओवर रिपोर्टिंग से जोड़कर अपनी कुर्सी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि पूरा का पूरा मामला गबन से जुड़ा है। फिलहाल विजिलेंस की जांच के बाद किन-किन अफसरों पर कार्रवाई होती है और किस स्तर की कार्रवाई होती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
विजिलेंस में कौन है महाप्रबंधक का रिश्तेदार?
सूत्रों की माने तो एसईसीएल बिश्रामपुर कोल स्टॉक गड़बड़ी मामले में जो विजिलेंस की टीम जांच में शामिल है उसमें से एक सदस्य कौन है जो एसईसीएल बिश्रामपुर महाप्रबंधक का काफी करीबी व रिश्तेदार है? जो बचाने के लिए जांच को अलग दिशा में ले जा सकता है? ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दोषियों को बचाया जाएगा तो फिर इस प्रकार की गड़बडç¸यां आगे भी होती रहेंगी, इससे पहले भी बिश्रामपुर क्षेत्र में कोल स्टॉक में गड़बड़ी का मामला पहले भी हो चुका है जिसमे कुछ लोग जेल भी जा चुके हैं।
शिकायतकर्ता ने कहा विजिलेंस नहीं करेगी निष्पक्ष जांच तो सीबीआई से कराएंगे जांच
शिकायतकर्ता के अनुसार कोल इंडिया केंद्र सरकार का उपकरण है और एसईसीएल उसी उपकरण का हिस्सा है और यह उपकरण राष्ट्रहित में काम करता है और यदि राष्ट्रहित पर किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है तो हर व्यक्ति इसका विरोध करेगा कोयला राष्ट्र की संपत्ति है जिसका हेरा फेरी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होना चाहिए, विजलेंस निष्पक्ष जांच नहीं करेगी तो देश की सर्वोच्च एजेंसियों से इसका जांच कराया जाएगा, सारे दस्तावेज विजलेंस से आरटीआई में मांगूंगा पर यदि कहीं पर भी विजलेंस ने लीपापोती की होगी तो विजलेंस की भी शिकायत वरिष्ठ एजेंसियों से की जाएगी, जब तक कार्यवाही नहीं हो जाती तब तक में शिकायत करता रहूँगा।


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