बैकुण्ठपुर@20 दिनों के अंतराल में तीन बार कांपी कोरिया की धरती

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लगातार आ रहे भूकंप के झटको से लोगों में दहशत में। सब से सेफ जोन माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में जल्दी-जल्दी भूकंप का आना कहीं बड़े खतरे का संकेत तो नहीं?
भूमिगत खदानों को होना होगा सचेत नहीं तो हो सकती है अब बड़ा हादसा।
3.0 तीव्रता का भूकंप: 5 सेकेंड के अंदर दो बार महसूस हुए झटके।
-रवि सिंह-

बैकुण्ठपुर 04 अगस्त 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में 1 महीने में तीन बार भूकंप के झटके आ चुके हैं जिससे कोरिया की धरती कांपा चुकी है इतना जल्दी-जल्दी भूकंप का झटका आना कहीं बड़े खतरे का संकेत तो नहीं है? भूकंप की दृष्टि से छत्तीसगढ़ को सबसे सेफ जोन माना जाता है पर इस सेफ जोन में कुछ दिनों के अंतराल में 1 महीने के अंदर तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसे लेकर लोगों में दहशत है लोगों के अंदर यह भी भय बना हुआ है कि कहीं बड़े खतरे का आशंका तो नहीं?
आज दोपहर लगभग 11:57 पर कोरिया जिला समेत समीपवर्ती जिलों में भूकंप के लगातार तीव्र झटके महसूस किए गए। जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.7 मापी गई। भूकंप का केंद्र कोरिया और सूरजपुर जिले का सीमावर्ती क्षेत्र गंगौटी बताया जा रहा है। विगत 25 दिनों में यह तीसरा मौका है, जब भूकंप के कारण कोरिया की धरती में कंपन उत्पन्न हुआ है। गनीमत यह है कि अभी तक भूकंप के कारण कोई जान माल का नुकसान या भारी तबाही नहीं हुई है। परंतु यदि अधिक तीव्रता का भूकंप का प्रभाव कोरिया में पड़ता है तो अविभाजित कोरिया के ऐसे अनेक हिस्से हैं जो भूमिगत कोयला खदानों के कारण पूरी तरह खोखले हो चुके हैं। चिरमिरी, कटकोना, पांडवपारा, चरचा, सोनहत, खोंगापानी जो सभी कोरिया जिले के अहम हिस्से हैं, इनके अलावा कोरिया के समीपवर्ती अनूपपुर जिले का राजनगर, कोतमा, बिजुरी, पौराधार इत्यादि अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जो दशकों से संचालित भूमिगत कोयला खदानों से उत्खनन के कारण आंशिक रूप से या पूरी तरह खोखले हो चुके हैं। ऐसे में अधिक तीव्रता का भूकंप इन पूरे क्षेत्रों को पूरी तरह तबाह और बर्बाद कर सकता है। विगत दिनों जब भूकंप के झटके कोरिया में महसूस किए गए थे तो ऐसे ही एक घटना चरचा खदान के अंदर घटित हुई थी जिसमें कार्यरत कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परंतु कालरी प्रबंधन द्वारा अभी तक इस दिशा में न तो कोई ठोस पहल किया है ना ही कोई एहतियातन जरूरी कदम उठाए गए हैं।
लगातार भूकंप के झटकों के कारण क्या प्रबंधन को कुछ समय के लिए कोल उत्खनन कर देना चाहिए बंद?- कोरिया जिले में लगातार आने वाले भूकंप के कारण सर्वाधिक खतरा भूमिगत खदानों और उन में कार्यरत श्रमिकों को है। जिस प्रकार लगातार भूकंप के झटके एक के बाद एक जिले में आते जा रहे हैं, यदि तीव्रता बढ़ी तो कभी भी हो सकता है भयानक हादसा। क्या कालरी प्रबंधन को एहतियातन ऐसे में कुछ समय के लिए कोल उत्खनन बंद कर देना चाहिए? यह सवाल उठना लाजिमी है, क्योंकि लगातार उत्खनन के कारण भूमिगत खदानों के आसपास के कई किलोमीटर का हिस्सा पूरी तरह खोखला हो चुका है। यदि रिक्टर पैमाने पर बड़ी तीव्रता का भूकंप आता है तो समूचे कोरिया का अधिकांश हिस्सा रसातल में समा सकता है। इससे जानमाल की कितनी क्षति होगी इसका अनुमान लगाना असंभव है।
भूकंप का मेन सेंटर गंगोटी के आस पास, 5 सेकेंड के अंदर दो बार महसूस हुए झटके
छत्तीसगढ़ के कोरिया में फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिएक्टर स्केल पर इसकी क्षमता 3.0 थी। नेशनल सेंटर फॉर सेस्मोलॉजी की तरफ से बाद में बताया गया है कि यह भूकंप 3.0 तीव्रता का था। जिसका सेंटर सूरजपुर जिले का उमेश्वरपुर के आस-पास 10 किलोमीटर की गहराई पर था। पहले प्राइवेट साइटों ने दावा किया था कि इस भूकंप के झटके की तीव्रता 4.7 थी। इससे 6 दिन पहले दूसरी बार बैकुंठपुर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उसके पहले 11 जुलाई को 4.3 तीव्रता का झटका आया था। उस समय जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ था। तब भी दो सेकेंड के लिए ही झटके लगे थे और केंद्र बैकुंठपुर से पश्चिम-उत्तर दिशा में 16 किमी दूर और जमीन से 10 किमी अंदर था। इससे पहले 16 मार्च को भी अंबिकापुर संभाग में भूकंप के झटके महसूस किये गए थे। तब रिक्टर पैमाने पर 3.1 तीव्रता के भूकंप मापा गया था।
5 मजदूर हुए थे घायल
6 दिन पहले जब देर रात करीब चरचा कालरी क्षेत्र में रात 12.58 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। महज 2 सेकेंड के लिए आए इस झटके का पता ज्यादातर लोगों को नहीं चला। झटकों की वजह से चरचा अंडर ग्राउंड कोल माइंस में गोफ गिर गया। इस दौरान 15 मजदूर काम कर रहे थे। भागते समय 5 मजदूर घायल हो गए। इनमें से तीन मजदूरों को अपोलो अस्पताल रेफर किया गया है। इस दौरान माइंस में एक दर्जन से ज्यादा श्रमिक काम कर रहे थे। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, इस श्रेणी के भूकंप से क्षति का अंदेशा रहता है। दरअसल नर्मदा-सोन भ्रंश (फाल्ट जोन) एवं तातापानी भ्रंश के आसपास के क्षेत्र में प्लेट टेक्टोनिक गतिविधियां होती रहती हैं। इसके कारण भूकंप के झटके लग रहे हैं। भूकंप आने के पीछे इस बार भी यही कारण माना जा रहा है। आपदा प्रबंधन भारत सरकार एवं भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा अंबिकापुर एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ को भूकंप ग्रसित क्षेत्र में दर्शाया गया है, हालांकि इसे कम तीव्रता वाले क्षेत्र में रखा गया है, लेकिन इस बार भूकंप की तीव्रता ने सबको चौंकाया है।
5 साल में लगे 5 झटके
कोरिया जिले में इससे पहले 11 जुलाई को 4.3 तीव्रता का भूकंप आया। 12 दिसंबर 2021 को सुबह 9.30 बजे 3.4 तीव्रता के झटके आए थे। 11 अप्रैल 2021 की दोपहर 12.52 बजे उत्तर व मध्य छत्तीसगढ़ में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया। इसके झटके बैकुंठपुर, मनेंद्रगढ़ और मरवाही तथा मध्यप्रदेश के अनूपपुर में महसूस किए गए थे। तब भूकंप का केंद्र शहडोल था। जिले के चिरमिरी और मनेंद्रगढ़ में 22 फरवरी 2019 में दोपहर करीब 1 बजे 3.5 तीव्रता के झटके महसूस हुए थे। 2 सितंबर 2018 को भी भूकंप के झटके लगे थे।


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