बैकुण्ठपुर@जिले में कम वर्षा पर सूखे की सूची में सात तहसीलों में से सिर्फ सोनहत का नाम?

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120 दिन वाले धान में 60 दिन थरहा में बीते,बचे 60 दिन में कैसे तैयार होगी फसल?
सूखे पर शुरू हुई राजनीति,विपक्षी नेताओं ने कहा बारिश पूरे जिले में कम है,ना जाने किस आंकड़े को देखकर एक तहसील को सूची में दिया स्थान
वर्षा के आंकड़े पर भी उठा सवाल,वर्षा के आंकड़े को देख लोगों को नहीं है भरोसा?
यदि वर्षा के आंकड़े सही कह रहे तो फिर खेतों में क्यों फट रहे दरार,जलाशय क्यों हैं सूखे?
आखिर कहां से ला रहे ऐसे बारिश का आंकड़ा कि लोगों को भी आंकड़े पर नहीं हो रहा भरोसा।
अल्पवर्षा के कारण सिर्फ 39 फ़ीसदी ही धान की बोनी व रोपित खेती,वह भी पानी ना होने की वजह से नष्ट होने के कगार पर।
बारिश ठिठकी, जिले के सात तहसील क्षेत्र में सूखे जैसे हालत,राज्य सरकार ने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी।
कोरिया में 42 प्रतिशत से कम और सोनहत तहसील में 62 प्रतिशत से कम वर्षा,धान की नर्सरी-रोपणी सूखने लगी।

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 04 अगस्त 2022 (घटती-घटना)
।अल्प वर्षा ने पूरी तरह किसानों व सरकार की चिंता बढ़ा दी है, पर इस चिंता के बीच जो सूखे की सूची जारी हुई है उसने राजनीति को भी बढ़ावा दे दिया। राजनीति को बढ़ावा भी मिलना इसलिए जायज है क्योंकि आंकड़े ने बता दिया कि सिर्फ एक तहसील में सूखे की स्थिति है, बाकी तहसीलो में वर्षा ठीक है। पर यदि वर्षा ठीक है तो फिर पूरे जिले में केवल 39 फीसदी बोनी व रोपित खेती क्यों हुई? जलाशय क्यों नहीं भरे? खेत में दरारें क्यों फट रहे?
कोरिया जिले में 7 तहसील है और सूखे को लेकर जो सूची में नाम आया उसमें सिर्फ कोरिया जिले के एक तहसील सोनहत का नाम शामिल है। यह 1 अगस्त को जारी सूची में देखा जा सकता है, सूची के जारी होते ही सोशल मीडिया में आम जनता से लेकर विपक्षी दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। क्योंकि उस सूची के अनुसार 7 तहसीलों में कम औसत वर्षा दर्ज की गई है, जिसमें सिर्फ एक तहसील का नाम शामिल है। पर वही जिले के 6 तहसीलों का हाल बेहाल है। सारी जिले के किसान परेशान हैं, सारे तहसीलों के जलाशय प्यासे हैं। पर जारी सूची अनुसार सवाल यह उठता है कि जब बाकी तहसीलों में अच्छी बारिश हुई तो फिर वहां भी स्थिति भयावह क्यों है? वहीं विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर राजनीतिक आवाज बुलंद करना भी शुरू कर दिया और कहा कि पूरे जिले को सूखाग्रस्त घोषित करना चाहिएं। यह आंकड़े कहां से लिये गये हैं जहां पर बाकी तहसीलों में अच्छी बारिश बताई गई है। जबकि आंकड़ों पर ना किसानों का भरोसा है और ना ही राजनीतिक दलों का भरोसा है। अब ऐसे में सत्ता पक्ष के लोग भी अपने अपने क्षेत्र को सूखाग्रस्त करने के लिए अब पत्र लिखना शुरू कर दिए हैं। अब देखना यह है आखिर आगे क्या होता है।
राज्य सरकार ने खरीफ सीजन वर्ष 2022-23 में 53945 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य दिया है
कोरिया में पिछले साल की अपेक्षा 42 फीसदी कम बारिश होने के कारण खेतों में लगी धान की नर्सरी व रोपणी सूखने लगी है। हालात ऐसे हैं कि रोपा लगाए गए खेतों में दरारें पड़ गई है। वर्तमान में सिर्फ 39 फीसदी खेती किसानी का कार्य पूरा हुआ है। राज्य सरकार ने खरीफ सीजन वर्ष 2022-23 में 53945 हेक्टेयर में धान की खेती करने लक्ष्य दिया है। जिसमें रोपा 32000 हेक्टेयर व बोता 21900 हेक्टेयर शामिल है। बारिश नहीं होने के कारण 21200 हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। वहीं अन्य अनाज(मक्का, कोदो-कुटकी, रागी) 66950 हेक्टेयर, दलहनी फसल 17727 हेक्टेयर, तिलहनी फसल 2381 हेक्टेयर और फल साग-सब्जी 2381 हेक्टेयर निर्धारित है। जिले में कुल 92058 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है। इधर अल्पवर्षा के कारण महज 39 फीसदी खेती हुई है। इस साल कोरिया में सूखे जैसे हालत हैं। मामले में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग रायपुर ने एक सप्ताह के भीतर 60 फीसदी से कम बारिश वाले सोनहत तहसील की रिपोर्ट मांगी है। जिसमें राहत मैन्युअल 202 के प्रावधान के तहत राजस्व, कृषि व उद्यानिकी की संयुक्त टीम से नजरी आंकलन कराया जाना है। साथ ही अन्य तहसीलों में फसल क्षति होने की संभावना है, तो वहां भी नजरी आंकलन कराने निर्देश दिए गए हैं।
धान खरीदी एकड़ में, सूखा का मुआवजा हेक्टेयर में क्यों?
धान की खरीदी प्रति एकड़ 15 मि्ंटल होती है पर वही सूखे व फसल को नुकसान होने की स्थिति में जो नुकसान का आंकलन लगाया जाता है वह प्रति हेक्टेयर में होता है। उसमें भी सिंचित भूमि का अलग दर है और असिंचित भूमि का अलग दर है। सबसे अधिक सिंचित भूमि का दर की बात की जाए तो वह 15 से 20 हजार प्रति हेक्टेयर, जो 3 साल पहले का है। और असिंचित भूमि का दर 6 हजार प्रति हेक्टेयर है। वर्तमान में यह दर क्या होगी इसका तो पता नहीं पर यह नुकसान व मुआवजे के आंकड़े पर नजर डालें तो किसानों के साथ न्याय नहीं अन्याय है। धान बोता व रोपा खेती सिर्फ 39 फीसदी हुई- जिले में अल्पवर्षा के कारण सिर्फ 39 फीसदी धान बोता व रोपा की खेती हुई है। जिसमें धान बोता 69 फीसदी और रोपा 21 फीसदी है। पिछले साल इसी अवधि में 569.21 मिलीमीटर और पिछले 10 वर्षों में इसी अवधि में औसत वर्षा 490.84 मिलीमीटर बारिश हुई थी। लेकिन इस साल 328.10 मिलीमीटर बारिश दर्ज है। वर्तमान में पानी के अभाव में खेतों में लगी धान की नर्सरी व रोपणी सूखने लगी है और अन्नदाता चिंतित हैं।
60 दिन में कैसेहोगा फसल तैयार
120-125 दिन अर्थात 4 माह धान की कुल अवधि, 60 दिन (2 माह) से ऊपर हो गए थरहा को, जून के प्रथम सप्ताह में आषाढ़ माह में अधिकांश किसानों ने लगा दी थी रोपड़ी, कृषि विशेषज्ञों और धान बीज कंपनियों का कहना की अधिकतम 20 से 25 दिन के भीतर थरहा की रोपाई हो जानी चाहिए, ताकि जड़ों का फैलाव और पौधों की संख्या बढ़ सके। किसानों के अनुसार 2 माह से अधिक के थरहा को रोपने का भी नहीं है कोई फायदा, अब न तो पौधों की संख्या बढ़ेगी ना ऊंचाई, बालियों का आकार भी अत्यंत कम या नहीं के बराबर आएगा।

भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष एवं पूर्व जिपं सदस्य देवेन्द्र तिवारी

कोरिया में सूखे की स्थिति,सरकार किसानों की आर्थिक सहायता करे
भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष एवं पूर्व जिपं सदस्य देवेन्द्र तिवारी ने कोरिया जिले में सूखे की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कलेक्टर कोरिया के माध्यम से राज्य सरकार को इस विषय पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देते हुए सूखे की स्थिति से निपटने के लिए शीघ्र जिले के किसानों को राहत पहुचाने के लिए कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया है। जिले में राहत की कार्य योजना त्वरित तैयार किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिले में अल्पवर्षा की स्थिति चिंताजनक है। खेतों में खरीफ की फसल बारिश के अभाव में नष्ट हो रही है। किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। उनके द्वारा लिए गए बीज और खाद बेकार हो गए हैं। ऐसे में किसानों को शीघ्र उनके नुकसान का मुआवजा सरकार को देना चाहिए। इसके लिए ग्राम स्तर पर टीम बनाकर नुकसान हुए फसल का सर्वे शीघ्र करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कार्य बंद हैं। श्रमिकों को ग्राम पंचायतों में भी रोजगार की व्यवस्था शीघ्र की जानी चाहिए। जल संकट बढ़ेगा कई गांवों में आने वाले समय में भीषण पेयजल का संकट आ सकता है, छोटे बड़े नालों के अस्थायी अथवा स्थायी बंधान के कार्य शीघ्र प्रारम्भ होने चाहिए। पहले बनी डबरी ये छोटे तालाब के मेड़ मरम्मत तथा जल संरक्षण व संवर्धन के आवश्यक उपाय करना चाहिए। तिवारी ने कहा यदि राज्य सरकार और प्रशासन सही समय पर किसानों और ग्रामीणों के लिए राहत पहुचाने पर विचार नहीं करेगी तो स्थिति चिंताजनक हो जाएगी।

अनिल जायसवाल जिला उपाध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा कोरिया

आषाढ़ व सावन बारिश बगैर बीते, बगैर पानी के किसानों का थरहा बीमारियों,झुलसा रोग की चपेट में
अनिल जायसवाल जिला उपाध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा कोरिया ने कहा की पूरा आषाढ़ और सावन बारिश के बगैर बीत गया, बगैर पानी के असंख्य किसानों का थरहा बीमारियों, झुलसा रोग और कीटों के कारण हो गया पूरी तरह खराब। बिना नमी और पानी के कीटनाशक और रोगों के रोकथाम की दवाइयां बेअसर, यदि अब बारिश होती भी है, तो सैकड़ों किसानों के पास नहीं बचा धान का थरहा, जिन किसानों ने कृत्रिम साधनों से धान की रोपाई कर भी ली है, सूखे की वजह से वे सभी फसल भी विभिन्न रोगों और कीटों के प्रकोप से हो चुके हैं बर्बाद। नदी, नाले, तालाब, कुंये और बांध सूखे या सूखने की कगार पर हैं। अधिकांश बोरवेल भी सूखने के कगार पर, भूजल स्तर लगातार नीचे जाता हुआ, यही स्थिति रही तो आगामी दो चार माह के बाद गांव गांव में पानी के लिए मचेगा हाहाकार। बगैर पानी के खरीफ के बाद रबी फसल के भी नहीं है कोई आसार। किसान चिंतित की कर्ज कैसे चुका पाएंगे, क्योंकि अधिकांश किसानों का नहीं है कोई फसल बीमा। जिन्होंने समितियों से ले रखा है कर्ज, केवल उन्हीं किसानों का बीमा है। बीमा पॉलिसी की सेवा शर्तें भी ऐसी हैं कि सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद भी मिलने वाली मुआवजा राशि ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगी। चुनाव के समय वोट की राजनीति के खातिर कर्ज माफ करने वाली सरकार क्या इस विषम परिस्थितियों में किसानों का कर्ज माफ करेगी?

ये हैं बारिश के आंकड़े(मिमी)

तहसीलऔसत वर्षावर्तमान बारिश
भरतपुर
मनेंद्रगढ़
बैकुंठपुर
सोनहत
खडग़वां
चिरमिरी
केल्हारी
कुल
1223.30
1365.00
1252.10
1336.50
914.60
903.00
1365.00
1194.21
359.20
348.80
326.40
268.30
307.00
351.50
335.50
328.10

10 साल में इतनी बारिश, इस साल कमी

तहसील10 वर्ष2022
भरतपुर
मनेंद्रगढ़
बैकुंठपुर
सोनहत
खडग़वां
चिरमिरी
केल्हारी
कुल
486.60
532.10
520.90
561.70
394.90
421.00
517.70
490.84
-41
-22
-45
-62
-47
-54
-11
-42

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