रायपुर@मछली पालन को कृषि का दर्जा के साथ मछुआरो की बेहतरी के लिए किए जा रहे कार्यःभूपेश बघेल

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धीवर समाज के नवनिर्वाचित पदाधिकारियो को दिलाई गई शपथ
मुख्यमत्री धीवर समाज के महासम्मेलन मे हुए शामिल
रायपुर, 31 जुलाई 2022।
जब से हमारी सरकार बनी समाज के हर वर्ग के चाहे वह कृषक हो या मजदूर हो सभी वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कार्य किए गए है। मछुआरा वर्ग की बेहतरी के लिए अनेक कार्य किए। मछली पालन नीति बनाई। हमने मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया है, जिससे अब मछुआरो को शून्य प्रतिशत पर ऋण की सुविधा मिल रही है। मत्स्य पालको को अब कृषको जैसी तमाम सुविधाए मिलने लगी है। इससे प्रदेश के मछली पालक मछुवारे तेजी से आगे बढ़ेगे, जीवन स्तर मे भी सुधार आएगा और मत्स्य पालन के क्षेत्र मे पूरे देश मे आगे बढ़ेगे। यह बात मुख्यमत्री श्री भूपेश बघेल ने कृषि विश्वविद्यालय के सभागृह मे आयोजित धीवर समाज के महासम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होने धीवर समाज को जमीन आबटन की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात समाज के लिए सर्वसुविधायुक्त भवन बनाने के लिए मदद देने की बात कही। मुख्यमत्री ने धीवर समाज के नवनिर्वाचित पदाधिकारियो को शपथ भी दिलवाई।
मुख्यमत्री ने कहा कि हमारे राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 4000 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो चुकी है। प्रगतिशील मत्स्य कृषक उन्नत प्रजातियो का पालन करके प्रति हेक्टेयर 8000 से 10,000 मेट्रिक टन तक उत्पादन करने लगे है। छाीसगढ़ की प्रकृति और यहा का वातावरण मछली पालन के लिए पूरी तरह अनुकूल है। उन्होने कहा है कि हमारे राज्य की भौगोलिक स्थिति भी ऐसी है कि यहा मत्स्य पालन व्यवसाय के लिए बहुत सभावनाए है। अब प्रदेश मे मछली के लिए अनुकूल वातावरण उपलध है। शासन द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है मछली उत्पादन मे वृद्धि हो। अब गावो के साथ-साथ बड़े-बड़े बाधो को भी मछली पालन के लिए प्रयोग किया जाने लगा है। यहा तक की घर के आगन मे भी टैक बनाकर मछली पालन कर सकते है। उन्होने कहा कि मछली पालको को बायो फ्लॉक तकनीकी से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषको को 7.50 लाख रुपए की इकाई पर 40 प्रतिशत की अनुदान सहायता दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमत्री ने कहा कि धीवर समाज के लिए शासन ने जो योजनाए बनाई है, उसका पॉम्पलेट बनाकर समाज के सदस्यो के घर-घर वितरित करे और सामाजिक बैठको मे इसकी जानकारी दे।
मुख्यमत्री श्री बघेल ने कहा कि राज्य मे मछली पालन के लिए 30,000 हेक्टेयर क्षेत्र मे सिचाई बाधो एव जलाशयो से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पड़ती थी, इसके लिए मछली पालक किसानो को 10 हज़ार घन फीट पानी के बदले 4 रुपए का शुल्क देना पड़ता था। लेकिन अब उन्हे एक भी पैसा देने की जरूरत नही रह गई है। कृषि मत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि जब से हमारी सरकार बनी मुख्यमत्री श्री भूपेश बघेल की मशा रही है कि गावो के मछली पालन करने वाले तालाब स्त्रोतो पर परपरागत धीवर समाज को प्राथमिकता हो। शासन द्वारा उनके हितो की रक्षा के लिए कार्य किया जा रहा है। कृषि मत्री ने कहा कि मत्स्य पालको के लिए मछली पालन नीति बनाई गई है। श्री चौबे ने कहा कि धीवर समाज द्वारा कुछ मुद्दे रखे गए है, उसके अनुरूप कार्य किए जाएगे। यदि किसी गावो मे कोई तालाब निस्तारी के नाम से चिन्हित कर यदि किसी दूसरे वर्ग को आबटित कर मत्स्य पालन के लिए दिया जाएगा, तो ऐसी स्थिति मे सबधित ग्राम पचायत के पच, सरपचो को चिन्हित कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। उन्होने मत्स्य नीति मे मछुआरो को परिभाषा के सबध मे भ्रम को सुधारने का भी आश्वासन दिया। इस अवसर पर मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री एम.आर. निषाद ने भी सम्बोधन दिया। इस अवसर पर ससदीय सचिव श्री कुवर सिह निषाद, श्री विकास उपाध्याय, छाीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा तथा अतिथिगण उपस्थित थे।


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