अंबिकापुर/परसा@परसा खदान के लिए 90 फीसदी स्थानीयों ने लिया जमीन का मुआवजा,अब कर रहे नौकरी मिलने का इंतजार

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अंबिकापुर/परसा 25 जुलाई 2022(घटती-घटना)। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के द्वितीय कोयला खदान परसा में आने वाले तीन वर्षों में जरुरत की कुल भूमि के लिए ग्राम साल्हि और जनार्दनपुर के लगभग नब्बे फीसदी लोगों ने अपनी जमीन का मुआवजा ले लिया है। और अब वे सभी नौकरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं सिर्फ 10 फीसदी लोग ही ऐसे बचे हैं जो किसी बहकावे में आकर मुआवजा लेने से इन्कार किया है। मुआवजा पा चुके नब्बे फीसदी ग्रामीणों को अब नौकरी मिलने का इंतजार है। भारत सरकार की पुनर्वास और पुनर्व्यस्थापन नियम के तहत जो व्यक्ति सरकार की किसी परियोजना में अपनी जमीन देता है उसके घर के किसी एक वयस्क को नौकरी का प्रावधान है।छत्तीसगढ़ राज्य और केंद्र सरकारों ने राजस्थान की परसा खदान को हाल ही में नियमानुसार आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी दे दी थी। जिसको लेकर जिन ग्रामीणों ने अपनी जमीन इस परियोजना के लिए दी थी उनके लिए रोजगार के नए विकल्प खुल जायेंगे। स्थानीय लोगों ने हाल ही में छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था की वह बाहरी लोगों के दबाव में न आये और परसा खदान को जल्दी शुरू करें। जिसके शुरू होने से न सिर्फ राजस्थान को सस्ता कोयला और बिजली मिलेगी बल्कि स्थानीय लोगों को अब रोजगार और राज्य सरकार को राजस्व मिलने का रास्ता भी साफ जायेगा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) की ताप विद्युत परियोजनाओं के लिए सरगुजा जिले में तीन कोल ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन केंद्र सरकार द्वारा कई साल पहले आवंटित किए गए थे। परसा खदान के लिए राजस्थान सरकार को केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की जरूरी अनुमति भी मिल गयी है। किन्तु इसके संचालन के लिए होने वाले प्राथमिक प्रक्रिया का कुछ बाहरी लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है। अभी हाली में इन्हीं लोगों द्वारा माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा परसा कोल परियोजना के विरूद्ध लगायी गयी सभी पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है । इसके देरी से हजारों स्थानियों को रोजगार, नौकरी इत्यादि भी मिलने में देरी हो रही है। अब अगर छत्तीसगढ़ राज्य की बात करें तो यह देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादन करने वाला राज्य है। वहीं परियोजना की देरी से राज्य को करोड़ों रुपयों के राजस्व की भी हानि हो रही है। गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े कोयला उत्पन्न करने वाले छत्तीसगढ़ में भारत सरकार द्वारा अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान इत्यादि को कोल् ब्लॉक आवंटित किये गए हैं। जिसमें राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया है। आज राजस्थान की पहली ब्लॉक परसा ईस्ट एवं केते बासेन खदान अकेले पर करीब 5000 से ज्यादा परिवार निर्भर है और यह संख्या बाकी दो खदानों के शुरू हो जाने से तीन गुनी हो जायेगी। इससे रोजगार के लिए स्थानीय ग्रामवासियों का पलायन भी कम होगा। साथ ही राजस्थान के विद्युत निगम द्वारा CSR के अनेक कार्यक्रमों का विस्तार होगा, जिसमें छत्तीसगढ़ के अंदरूनी और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी के लिए 100 बिस्तरों का सर्वसुविधायुक्त अस्पताल का भी प्रावधान है। इस अस्पताल का निर्माण आरआरवीयूएनएल द्वारा ग्राम साल्हि में किया जायेगा।


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