शराब से छत्तीसगढ़ की कमाई अब झारखण्ड को भी लुभाई,
मुनाफा कमाने का गुर सिखाकर छग आबकारी विभाग कमाएगा राजस्व का ढाई टका
झारखड के बाद पजाब, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और तेलगाना भी लाईन मे
रायपुर, 22 जुलाई 2022। छत्तीसगढ़ को शराब से मिलने वाली रकम और यहा की आबकारी नीतिया अब देश के दूसरे राज्यो को भी लुभाने लगी है। काफी विरोध और निदा के बाद ठेका पद्धति बद कर यह कारोबार पूर्व की भाजपा सरकार ने अपने हाथो मे लिया था। शुरुआत मे इस नीति का काफी माखौल भी उड़ा था, लेकिन छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को बदलने के चलते ही अब आबकारी का राजस्व 5100 करोड़ के आकड़े को पार करने जा रहा है। चद सुधार के बाद रेवेन्यू अर्निग मे इज़ाफ़ा होने से खुश महकमा अब इस लक्ष्य को 5700 करोड़ करने मे जुट गया है।
आबादी मे झारखड, मध्यप्रदेश, तेलगाना, ओडिशा और कर्नाटक से कम छत्तीसगढ़ का आबकारी राजस्व इन राज्यो से कई गुना ज़्यादा है। नतीजतन छत्तीसगढ़ से कमाई के गुर सीखने के लिए इन राज्यो की लाईन लगने लगी है। आबकारी के इस गुर को सिखाने के लिए छत्तीसगढ़ के आबकारी महकमे ने झारखड राज्य से अनुबध भी कर लिया है। शराब बेचने से लेकर पिलाने और लीकेज कम करने के उपाय बताने के लिए आबकारी विभाग झारखण्ड से कसल्टेसी फी भी ले रहा है। फि़लहाल बतौर शुल्क प्रदेश के आबकारी विभाग झारखण्ड से 5 से 6 करोड़ अर्न कर रहा है, लेकिन यह आकड़ा आबकारी राजस्व बढ़ते ही 20 करोड़ हो जायेगा।
आबकारी विभाग के सूत्रो का दावा है कि चार अन्य राज्य पजाब, तेलगाना, मध्य्प्रदेश और कर्नाटक भी झारखण्ड की तर्ज पर प्रदेश की आबकारी नीतिया अपनाने के लिए कसल्ट कर कर रहे है। कर्नाटक और तेलगाना को छग. आबकारी विभाग के बीच कसल्टेसी फि़लहाल पाइप लाइन मे है। इस काम के एवज मे राज्य काछत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिग कॉर्पोरेशन लिमिटेड इन राज्यो से कसल्टेसी शुल्क लेगा।
सालाना आय पर तय होगा कसल्टेसी परसेट
यू कहे तो छग. आबकारी महकमा राज्यो से दो से ढाई टका कसल्टिग फी लेगा। राज्यो से इसके लिए सालाना राजस्व आय पर परसेट तय होगा। जानकारो की माने तो उदाहरण स्वरुप तेलगाना की आबादी अगर 12 करोड़ है और आबकारी से आय 1300 करोड़ है जबकि छत्तीसगढ़की नीतियो और आबकारी के खरीद, वितरण व भडारण को अपनाकर ये आकड़े 8 से 32 हज़ार करोड़ होती। छत्तीसगढ़ की आबादी कम है, फिर भी आबकारी राजस्व इस बार 5100 करोड़ रहा और अब लक्ष्य 5700 करोड़ का है। आबादी के मुताबिक मध्यप्रदेश मे ये आकड़े 1200 करोड़ और ओडिशा मे भी लगभग इतने ही आकड़े है। जबकि छत्तीसगढ़ मे आबादी के हिसाब से साढ़े 4 लीटर लिकर कजम्शन था वह अभी कम दिखेगा। इसके बाद भी रेवेन्यू मे हमारा प्रदेश हाईएस्ट है।
ऐसे सुधरी प्रदेश की आबकारी नीति और लीकेज
राज्य निर्माण के बाद जोगी गवर्मेन्ट मे इसकी शुरुआत हुई थी और रमन सरकार के समय ठेका पद्धति को बद कर शासन ने शराब की बिक्री, खरीदी, वितरण और भडारण से लेकर खुदरा दुकानो को भी अपने हाथो मे ले लिया। महज़ खुदरा दुकानो के सचालन का ठेका प्लेसमेट एजेसी को दिया गया। इस बदलाव से आमतौर पर ठेका पद्धति से प्रदेश मे गुडागर्दी, अवैध शराब बिक्री और कीमत को लेकर गड़बडि़या, ओवररेट की शिकायत बद हो गई है। आबकारी की भाषा मे कहा जाये तो इस नीति से महकमे ने आबकारी लीकेज, जो रेवेन्यू को नुकसान पहुचाता था वो बद हो गया है। वही होम डिलवरी और यूनिक बार कोड बिलिग सिस्टम से सीएसएमसीएल के विशेषज्ञो द्वारा राजस्व मे भी बढ़ोतरी कर ठेकेदारो को इसके लिए दिए जा रहे मार्जिन मनी का करीब 25 प्रतिशत बचत भी कर ले रहा है।
आबकारी से विस मे पूछा गया है सवाल
झारखण्ड को आबकारी द्वारा कसल्टेसी और राजस्व सबधी सवाल छत्तीसगढ़ विधानसभा मे पूछे गए है और महकमे ने इसका जवाब भी प्रस्तुत किया है। टारगेट, फ़ीस से लेकर राजस्व तक का लिखित जवाब माँगा गया है। बताते है कि झारखण्ड को हमारा राज्य एडवाइज़री का काम कर रहा है। होलोग्राम, बॉटलिग का काम भी विभाग के पास होने से लीकेज कम हुई है और इकम। वर्ष 2016 -17 मे जो देसी की बिक्री हुई उसमे 24 फीसदी ज़्यादा बिकी। खपत, माग, वितरण के अलावा एवरेज पर -केपिटल इकम राज्य आबकारी की तब और बढ़ जाएगी जब एफएल-10 का जो लाइसेस ठेके मे दिया गया है, उसे भी विभाग खुद करे तो किसी मेट्रो सिटी की तुलना मे राज्य का रेवेन्यू पहुच जायेगा। बताते है कि इस बार देसी शराब बिक्री 60 और अग्रेजी की 40 फीसदी का रेवेन्यू रेशियो है।