संपादकीय@आखिर कब बंद होगा देश अवैध कारोबार का गोरख धंधा, क्या अवैध कारोबारियों के बल पर ही टिकी हैं सरकारें?

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  • हरियाणा में डीएसपी पर चढ़ाया गया डम्फर, प्रदेश में भी होता है अवैध कारोबार।
  • अवैध उत्खनन माफियाओं को मिलता है राजनीतिक एवम प्रशासनिक संरक्षण।
  • क्या कभी बंद भी हो सकेगा यह संरक्षण मिलने का सिलसिला या मरते रहेंगे शासकीय कर्मचारी।
  • बात पुलिस की आई तो एनकाउंटर भी तत्काल हुआ, आम व्यक्ति की बात होती आरोपी अज्ञात ही होता।
  • आखिर क्यों पुलिस पर हमले के बाद ही एनकाउंटर होता है, आम लोगों की जान की क्यों नहीं है कीमत?

अपराध बढ़ रहा है शासन प्रशासन का भय सरकारों का भय माफियाओं के बीच खत्म हो गया है और यह भय तभी सामने आता है जब शासन प्रशासन पर माफिया सीधे हमला करते हैं यह कहना कहीं से गलत नहीं होगा आम आदमी पर हुए हमले या आम आदमी की माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की मांग दबी रह जाती है उसे कानून का भी संरक्षण नहीं मिल पाता यह प्रायः देखा जा रहा है। उत्तरप्रदेश में विकास दुबे एनकाउंटर की बात की जाए या हरियाणा में डीएसपी पर डम्फर चढ़ाने वाले ड्राइवर को गोली मारकर गिरफ्तार करने की बात दोनों ही मामलों में सीधे माफियाओं ने प्रशासन पर हमला किया था खासकर कानून व्यवस्था सम्हालने वाली पुलिस पर हमला किया था इसलिए त्वरित रूप से एनकाउंटर कर मामले में माफियाओं पर कार्यवाही नजर आई। आखिर माफियाराज क्यों हावी है? व्यवस्था पर यदि इस प्रश्न का उत्तर ढूंढा जाए तो इसके पीछे की मूल वजह जो सामने आएगी वह यह आएगी की माफियाओं को संरक्षण देने के पीछे और किसी का हांथ नहीं है शासन प्रशासन के नुमाइंदे और राजनीतिक लोगों का ही संरक्षण माफियाओं को प्राप्त होता रहता है और संरक्षण की वजह से उनका मनोबल इतना बढ़ जाता है कि वह शासन प्रशासन के नुमाइंदों पर भी वक्त आने पर अपने काम मे रोड़ा अटकाने पर हमला करने से बाज नहीं आते। अभी हालिया घटनाक्रम जिसमें हरियाणा में पुलिस विभाग के डीएसपी पर डम्फर चढ़ा दिया गया और डीएसपी की मौत हो गई इस मामले में खनन माफिया का हांथ था और यह खनन माफिया केवल एक दिन का ही अवैध कारोबार कर रहे थे ऐसा नहीं है सतत रूप से जारी अपने उस अवैध कार्य मे यह लिप्त थे जिस काम का माफियाओं को शासन प्रशासन से ही संरक्षण मिला हुआ था और वह संरक्षण के बावजूद रोड़ा अटकाने वाले पुलिस अधिकारी को सबक सिखाने सीधे उनकी हत्या तक को अंजाम दे डाले जो उनके बढ़ चुके मनोबल को समझने के लिए काफी है।

आज देश के हर राज्य में अवैध कारोबार से जुड़े माफिया अपना धंधा शासन प्रशासन के संरक्षण में बेखौफ होकर संचालित कर रहें हैं यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। सबसे अधिक यदि कोई अवैध कारोबार संचालित है तो वह है अवैध उत्खनन का। खनिज संपदाओं का बेखौफ उत्खनन हर राज्य में वहां उपलब्ध खनिज संपदाओं के हिसाब से जारी है। कहीं रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है,कहीं पत्थरों का कहीं कोयले और कहीं लकड़ियों का सभी अवैध कार्य निश्चिन्त होकर इसमें संलिप्त माफिया संचालित कर रहें हैं यह जानी जुनाई बात है। शासन प्रशासन के नुमाइंदों को इसकी खबर नहीं यह ऐसा कहना गलत होगा,उनको भलीभांति मालूम है कि कौन किस जगह क्या अवैध कार्य कर रहा है और वह किसके संरक्षण में कर रहा है। कहीं राजनीतिक संरक्षण की वजह से शासन प्रशासन मजबूर है कहीं खुद ही अवैध कार्यों को संचालित करने में मददगार है शासन प्रशासन। कुल मिलाकर माफियाओं पर कार्यवाही तभी हो पाती है जब उनका निशाना किसी शासन प्रशासन के नुमाइंदे पर होता है यह उनको क्षति पहुंचती है। कई बार देखा गया है कि अवैध कार्यों में लिप्त लोगों पर कार्यवाही अपने क्षेत्र से अवैध उत्खनन को बंद कराने स्थानीय निवासी शासन प्रशासन से मांग करते नजर आते हैं लेकिन कार्यवाही नहीं होती बल्कि मांग करने वालों पर ही माफिया हमला कर देते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं जिसपर शासन प्रशासन मौन रहता है और यहीं से माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ जाता है कि वह शासन प्रशासन पर हमला करने से भी परहेज करना छोड़ देते हैं जिसकी परिणीति ही है हरियाणा की घटना।

देश के सभी राज्यों में जारी किसी न किसी तरह के अवैध कार्य की जानकारी होने के बाद भी शासन प्रशासन की तरफ से कार्यवाही नहीं किया जाना ही इन कार्यों में लिप्त लोगों को बढ़ावा दे रहा है। आज किसी भी राज्य में अवैध कार्यों पर अंकुश लगाने वहां की सरकार को सक्रिय देखा जा रहा हो या शासन प्रशासन को सजग देखा जा रहा हो ऐसा नहीं है। अवैध उत्खनन एक ऐसा अवैध कार्य है जिसमे आमदनी बड़ी है और जोखिम भी कई गुना है बावजूद केवल मुनाफे के कारण इसमें लिप्त लोग हर खतरा उठाने तैयार रहते हैं। खतरा उठाने के साथ साथ वह पूरी ईमानदारी से शासन प्रशासन के नुमाइंदों को भी इसमें अप्रत्यक्ष रूप से शामिल करके चलते हैं यह बात भी सर्वविदित है। शासन प्रशासन के नुमाइंदे भी लालच में आकर उनका अप्रत्यक्ष रूप से साथ देते हैं अपनी आंखें बंद कर माफियाओं को उनका काम करने देते हैं।

रवि सिंह
कटकोना
कोरिया (छत्तीसगढ़)


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