पाकिस्तान की डोलती अर्थव्यवस्था को राजनीतिक अनिश्चिय से लगा एक नया धक्का

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वर्ल्ड डेस्क, इस्लामाबाद 20 जुलाई 2022 रविवार को आए उप चुनाव नतीजों के मुताबिक 20 में 15 सीटें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने जीत लीं। इससे पंजाब में सत्ता परिवर्तन तय हो गया। आम समझ बनी है कि इन नतीजों के बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है…पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रविवार को आए उप चुनाव नतीजों ने पहले से ही डोल रही देश की अर्थव्यवस्था पर ताजा चोट की है। नए पैदा हुए अनिश्चिय के कारण सोमवार से पाकिस्तानी रुपये की कीमत में गिरावट का नया दौर आ गया है। शेयर बाजारों में भी गिरावट का रुख देखने को मिला है। बाजार विश्लेषकों के मुताबिक 15 जुलाई को नया कर्ज पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान का समझौता हो जाने की खबर आने के बाद डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में ठहराव आया था। लेकिन सोमवार को रुख को पलट गया।

रविवार को आए उप चुनाव नतीजों के मुताबिक 20 में 15 सीटें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने जीत लीं। इससे पंजाब में सत्ता परिवर्तन तय हो गया। आम समझ बनी है कि इन नतीजों के बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की अपने गढ़ में हुई बुरी हार से संघीय सरकार की धमक खत्म हो गई है।

वित्तीय पोर्टल मेटिस ग्लोबल के निदेशक साद बिन नसीर ने कहा है कि पंजाब के नतीजों से बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है। इससे संघ की गठबंधन सरकार के भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है। कुल मिला कर राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन गया है। उन्होंने कहा- अगली सरकार कैसी होगी, इसे लेकर अनिश्चय के कारण रुपया दबाव में है। द्विपक्षीय सहायता के लिए जो करार मौजूदा वित्त मंत्री ने किए हैं, उनका क्या होगा, अब यह सवाल खड़ा हो गया है।
 एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान के महासचिव जफर पारचा के मुताबिक हाल में हालात ऐसे बने हैं, जिनसे रुपये को लाभ होना चाहिए था। आईएमएफ से समझौता हो गया, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत गिरी है, और देश के अंदर ब्याज दर बढ़ाई गई है। ऐसे में लोगों को रुपये में निवेश के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए। लेकिन सरकार और राजकीय संस्थाओं को लेकर उठे सवालों की वजह से ये फायदे पाकिस्तानी रुपये को नहीं मिल पा रहे हैं।
पारचा ने अंदेशा जताया है कि अगर मौजूदा हाल बना रहा, तो विदेश निवेशक पाकिस्तान में निवेश करने को लेकर अनिच्छुक हो जाएंगे। उन्होंने ध्यान दिलाया कि विदेशों में काम करने वाले पाकिस्तानी भी देश की हालत से नाखुश हैं, इसलिए उनमें से कई ने अपनी कमाई वापस देश भेजना बंद कर दिया है। इसका असर भी पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा है।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक पीटीआई आर्थिक अनिश्चिय की नई बनी स्थिति का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में है। पूर्व वित्त मंत्री और पीटीआई नेता शौकत तरीन ने भी कहा है कि रुपये की कीमत में गिरावट राजनीतिक अस्थिरता के कारण आई है। उन्होंने कहा- इसका संदेश यह है कि ये अनिश्चिय दूर किया जाए। इसका रास्ता नया आम चुनाव कराना है। पीटीआई के महासचिव असद उमर ने कहा है- मौजूदा सरकार एक बुरा विचार और खराब ढंग से किया गया प्रयोग है। उसके कमजोर फैसलों की कीमत पाकिस्तानी आवाम को चुकानी पड़ रही है।


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