अबिकापुर@टीएस सिहदेव ने दिया इस्तीफा

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टीएस सिहदेव के इस्तीफे के बाद राजनीति गरमाई,विपक्ष भी नही रहा पीछे
टीएस सिहदेव का इस्तीफा एक की जगह सारे पदो से देना चाहिएःसमर्थक

  • इस्तीफा भले ही एक पद से दिया हू पर इस्तीफे की खबर छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी घटना समझा जा रहा है
  • टीएस सिहदेव के इस्तीफे पर रामविचार नेताम ने कहा इस्तीफा देने मे हुई देरी बहुत पहले ही दे देना था इस्तीफा
  • टीएस सिहदेव ने सीएम को लिखा पत्र, बताया- किस वजह से पचायत मत्री के पद से देना पड़ा इस्तीफा
  • टीएस सिहदेव ने दिया इस्तीफा,पचायत मत्री की जवाबदेही से है यह इस्तीफा
  • अन्य समस्त विभागो के मत्री बने रहेगे टी एस सिहदेव,स्वास्थ्य सहित बने रहेगे अन्य विभागो के मत्री।
  • टीएस सिहदेव के स्तिफे की खबर पर जारी है चर्चा, समर्थको का कहना है दे पूरी तरह इस्तीफा।

अबिकापुर 16 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ सरकार मे पचायत स्वास्थ्य सहित अन्य कई विभागो की जिम्मेदारी सम्हाल रहे केबिनेट मत्री सरगुजा के अम्बिकापुर विधायक टीएस सिहदेव ने पचायत मत्री की अपनी जिम्मेदारी से स्तीफा दे दिया ऐसी खबर सामने आ रही है। पचायत मत्री के अपने प्रभार से टी एस सिहदेव के स्तिफे को लेकर अब उनके समर्थको का कहना है कि वह पूरी तरह स्तीफा दे क्योकि उनका छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार मे कोई भी पूछ परख नही है उन्हे बिल्कुल किनारे कर दिया गया है जो सोशल मीडिया मे जारी पोस्टो से समझा ज सकता है। काग्रेस के दिग्गज नेता और छत्तीसगढ़ मे काग्रेस की 15 साल बाद वापसी का श्रेय यदि किकिसी को जाता है तो वह टी एस सिहदेव को जाता है और उनकी जन घोषणा पत्र को जाता है जैसा लोगो का मानना भी है और जो शायद सत्य भी है। काग्रेस के दिग्गज नेता तथा छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एव पचायत मत्री टीएस सिहदेव ने शनिवार को अचानक पचायत मत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। हालाकि वे स्वास्थ्य मत्री व अन्य पदो पर बने रहेगे। उन्होने सीएम को चार पेज के लिखे एक पत्र मे पचायत मत्री के पद से इस्तीफे के कारणो का उल्लेख किया है। इसमे मुख्य रूप से प्रधानमत्री आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ मे आवास नही बनाया जाना एक प्रमुख कारण है।
गौरतलब है कि टीएस सिहदेव 14 जुलाई को जब सरगुजा के दौरे पर आए थे, तब से ही इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि वे कोई बड़ा निर्णय ले सकते है। बताया जा रहा है कि उन्होने शुक्रवार को अविभाजित सरगुजा के तीनो जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियो के साथ एक बैठक भी की थी। इसके बाद शनिवार को उन्होने पचायत विभाग के मत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वे अपने प्रभार वाले बाकी विभागो मे कैबिनेट मत्री के रूप मे बने रहेगे। स्वास्थ्य मत्री के पास अब लोक स्वास्थ्य एव परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय वाणिज्यिक कर का प्रभार है।
सीएम को भेजे गए लेटर मे ये लिखा
स्वास्थ्य मत्री टीएस सिहदेव ने सीएम को भेजे गए पत्र मे लिखा कि विगत 3 से अधिक वर्षो से मै पचायत एव ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मत्री के रूप मे कार्य कर रहा हू। इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितिया निर्मित हुई है जिससे आपको अवगत कराना चाहता हू। प्रधानमत्री आवास योजना के तहत् प्रदेश के आवास विहीन लोगो को आवास बनाकर दिया जाना था जिसके लिए मैने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवटन का अनुरोध किया था किन्तु इस योजना मे राशि उपलध नही की जा सकी। फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगो के लिए आवास नही बनाए जा सके। इसके अतिरिक्त 8 लाख घर बनाने मे से करीब 10 हजार करोड प्रदेश की अर्थव्यवस्था मे सहायक होते हमारे जन घोषणा पत्र मे छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है। विचारणीय है कि प्रदेश मे वर्तमान सरकार के कार्यकाल मे बेघर लोगो के लिए एक भी आवास नही बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरक रही। मुझे दु:ख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगो को नही मिल सका। यह भी नाराजगी का कारण पत्र मे सिहदेव ने आगे लिखा है कि किसी भी विभाग के अधीन विवेकाधीन योजनाओ के अतर्गत कार्यो की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मत्री का निर्धारित अधिकार है। किन्तु मुख्यमत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अतर्गत कार्यो की अतिम स्वीकृति हेतु रूल्स ऑफ बिजनेस के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता मे सचिवो की एक समिति गठित की गयी। कार्यो की स्वीकृति हेतु मत्री के अनुमोदन उपरात अतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनाई गई जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है। इस पर मेरे द्वारा समय-समय पर लिखित रूप से आपçा दर्ज कराई गई। किन्तु आज तक इस व्यवस्था को सुधारा नही जा सका है फलस्वरूप 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मत्री/विधायक/ जनप्रतिनिधि के सुझावो के अनुसार विकास कार्यो मे नही किया जा सका। वर्तमान मे पचायतो मे अनेक विकास कार्य प्रारभ ही नही हो पाए।
पेसा अधिनियम का भी किया जिक्र
टीएस ने पत्र मे लिखा है कि पेसा अधिनियम आदिवासी भाई-बहनो के अधिकारो के सरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे प्रदेश लागू करने के सबध मे जनघोषणा-पत्र मे भी वादा किया था तथा काफी मेहनत से नियम बनाये गये थे ताकि उसे सफलतापूर्वक प्रदेश मे लागू किया जा सके। 13 जून, 2020 से प्रदेश के आदिवासी लॉको मे जाकर, वहा के स्थानीय लोगो, स्थानीय जनप्रतिनिधियो इत्यादि से निरतर 2 वर्षो से सवाद स्थापित कर इसका प्रारूप तैयार किया गया किन्तु विभाग द्वारा जो प्रारूप कैबिनेट कमेटी को भेजा गया था। इसके अनुसार चर्चा हुई उसमे जल, जगल जमीन से सबधित महत्वपूर्ण बिन्दुओ को बदल कर कैबिनेट की प्रेसिका मे शायद पहली बार बदल दिया गया। भारसाधक मत्री को विश्वास मे नही लिया गया जो कि अस्वस्थ परम्परा को स्थापित करेगा। इस विषय पर पृथक से मैने व्यक्तिगत पत्र भी आपको लिखा है।
जनघोषणा मे किए गए सभी वादे नही हुए पूरे
सिहदेव ने सीएम को पत्र मे लिखा कि जनघोषणा पत्र मे किए गए वादो मे पचायत प्रतिनिधियो के अधिकारो को पूर्ण रूप से लागू करना भी है जिसके लिए आपसे कई बार चर्चा तथा विभागीय तौर पर भी पहल की किन्तु मुझे यह निराश मन से कहना पड़ रहा है कि इस पर आज पर्यन्त कोई भी सहमति सकारात्मक पहल नही हो पाई। महात्मा गाधी नरेगा योजना का सफल क्रियान्वयन इस प्रदेश मे हुआ है। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल मे जब जरूरतमदो को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, छाीसगढ़ इस योजना के क्रियान्वयन मे सम्पूर्ण भारत मे अग्रणी रहा। 20 हजार से अधिक कोविडकेयर सेटर्स का सफलतापूर्वक सचालन पचायतो द्वारा किया गया। प्रदेश के ग्रामीण अचलो मे योजना के माध्यम से हम ज्यादा से ज्यादा लोगो को रोजगार देने मे सफल रहे। जिसकी प्रशसा देश के सभी हिस्सो मे हुई। मनरेगा का कार्य करने वाले रोजगार सहायको के मेहनत को देखते हुये उनके वेतनवृद्धि का प्रस्ताव पचायत विभाग द्वारा वित्तविभाग को प्रेषित किया गया जो कि विा विभाग की सहमति न मिलने के कारण आजपर्यन्त लबित है। इस विषय पर व्यक्तिगत तौर पर आपसे कई बार चर्चा हुई।
साजिश के तहत रोजगार सहायको को कराया गया हड़ताल
श्री सिहदेव ने पत्र मे लिखा कि एक साजिश के तहत् रोजगार सहायको से हड़ताल करवाकर मनरेगा के कार्यो को प्रभावित किया गया। इसमे सहायक परियोजना अधिकारियो (सविदा) की भूमिका स्पष्ट रूप से निकल कर आई। स्वय आपके द्वारा हडतालरत कर्मचारियो की मागो को पूरा करने के लिए एक कमेटी गठित की गई, इसके बाद भी हड़ताल वापस नही ली गई। हड़ताल के कारण लगभग 1250 करोड का गजदूरी भुगतान प्रभावित हुआ तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे नही पहुच सका। समन्वय के माध्यम से आपसे अनुमोदन लेकर सहायक परियोजना अधिकारियो (सविदा) के स्थान पर रेगुलर सहायक परियोजना अधिकारियो की पदस्थापना भी कर दी गयी थी ताकि मनरेगा का कार्य सुचारू रूप से चल सके और रोजगार की तालाश कर रहे नागरिको को रोजगार से वचित न होना पड़े। टीएस ने लिखा कि जब हमारे प्रदेश को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो सहायक परियोजना अधिकारियो के द्वारा कार्य को प्रभावित रखा गया।


बहुत पहले बाबा को इस्तीफा दे देना था

पूर्व राज्यसभा सासद रामविचार नेताम ने कहा कि टीएस बाबा इस्तीफा देने मे काफी विलब कर दिए है इन्हे तो कब का इस्तीफा दे देना चाहिए था और वैसे भी इन्होने एक पदो से इस्तीफा दिया है इन्हे संपूर्ण मंत्री पदो से इस्तीफा दे देना चाहिए था इनके पासमत्री होने के बाद भी कोई अधिकार नही थे जबकि मत्रियो के पास कितने अधिकार होते है यह सभी को पता है पर अधिकार ना मिलना भी बाबा के लिए व बाबा समर्थको के लिए काफी निराशाजनक रहा।


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