बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली 15 जुलाई 2022I ब्लॉकचेन को हम अलग-अलग ब्लॉक की एक शृंखला कह सकते हैं, इन ब्लॉक्स में सूचनाएं छिपी रहती हैं। ब्लॉकचेन के इस्तेमाल का मकसद डिजिटल दस्तावेज़ों को एक खास समय पर फिक्स करना (Time Stamp) करना होता है ताकि उन्हें बैकडेट करना या उनके साथ छेड़छाड़ करना संभव नहीं हो सके। बेंगलुरु में अगले महीने की पांच और छह तारीख को दो दिनों के ब्लॉकचेन हेकाथन का आयोजन किया जाएगा। इस हेथन को बिल्डिंग फ्यूचर सिटीज का नाम दिया गया है। इस हेकाथन का आयोजन क्रिप्टो इंन्वेंस्टिंग ऐप CoinSwitch की ओर से किया जा रहा है। इसके आयोजन में कर्नाटक सरकार की इनिशियेटिव ‘स्टार्टअप कर्नाटक’ और बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या और सिक्यूईया इंडिया कि ओर से भी सहयोग दिया जाएगा। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया है कि इस हैकाथन का उद्देश्य भारत में ब्लॉकचेन के इस्तेमाल और संभावनाओं पर चर्चा करने के साथ-साथ इस पर काम करने वालों को एक मंच उपलब्ध करवाना है। इस हेकाथन के दौरान विजेताओं को तीन लाख रुपये तक इनाम भी दिया जाएगा।
हाल के दिनों में पूरी दुनिया में ब्लॉकचेन चर्चा का विषय रहा है। जबसे क्रिप्टोकरेंसी का दौर शुरू हुआ है ब्लॉकचेन और अधिक लाइमलाइट में आ गया है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन की तकनीक पर ही काम करती है। पूरी दुनिया में जिस तरह से क्रिप्टोकरेंसी या एनएफटी (Non Fungible Tokens) का प्रयोग बढ़ रहा है, ब्लॉकचेन तकनीक की महत्ता भी बढ़ी जा रही है। ब्लॉकचेन की तकनीक अब आम आदमी की जिंदगी पर भी अपना असर डालने लगी है। हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में जिन सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं उनमें सेवाएं ब्लॉकचेन की तकनीक पर आधारित हो सकती हैं पर हमें इसके बारे में पता ही नहीं होता है। ऐसे में एक आज के समय में ब्लॉकचेन क्या है और हमारी जिंदगी इससे किस तरह से जुड़ी हुई इस बारे में जानकारी होनी जरूरी है।
ब्लॉकचेन है क्या?
ब्लॉकचेन को हम अलग-अलग ब्लॉक की एक शृंखला कह सकते हैं, इन ब्लॉक्स में सूचनाएं छिपी रहती हैं। ब्लॉकचेन के इस्तेमाल का मकसद डिजिटल दस्तावेज़ों को एक खास समय पर फिक्स करना (Time Stamp) करना होता है ताकि उन्हें बैकडेट करना या उनके साथ छेड़छाड़ करना संभव नहीं हो सके। ब्लॉकचेन की तकनीक हमें सेंट्रल सर्वर का इस्तेमाल किए बिना दो रिकॉर्ड की समस्या से भी निजात दिला सकती है।
ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर बैंक, सरकार या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता के बिना धन, संपत्ति, समझौते आदि जैसी वस्तुओं का आसानी से आदान-प्रदान किया जा सकता है। इस तकनीक की खासियत यह है कि एक बार जब कोई डेटा एक ब्लॉकचेन के अंदर दर्ज हो जाता है, तो उसे बदलना मुश्किल ही नहीं लगभग-लगभग नामुमकिन ही होता है।
एक आसान उदाहरण से समझिए क्या है ब्लॉकचेन?
मान लिजिए आप किसी मॉल में शॉपिंग कर रहे हैं। जैसे ही आप काउंटर पर अपनी खरीदी हुई चीज का भुगतान करने जाते हैं आपको पता चलता है कि आपका डेबिट या क्रेडिट कार्ड काम नहीं कर रहा है। आपको यह सूचना मिलती है कि आपके बैंक के सर्वर में खराबी के कारण उस बैंक का कोई भी ग्राहक जिसमें आप भी शामिल हैं अपने कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। तब आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है अगरर ऐसी स्थिति में आप कभी फंसते हैं तो आपको परेशानी होगी।
अब एक दूसरे पहलू पर गौर कीजिए। मान लिजिए आप जिस मॉल में खरीदारी कर रहे हों उसके पास किसी ऐसे डेटा या लेजर का एक्सेस हो जो आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड से होने वाली हर लेन-देन को अपडेट कर सकता हो चाहे उस बैंक का सर्वर काम करे या न करे। अगर ऐसा होता है तो आप अपने बैंक का सर्वर डाउन रहने के बावजूद अपने कार्ड्स का इस्तेमाल कर पाएंगे। क्योंकि, मॉल अपने डेटा में आपकी खरीदारी की राशि को अपडेट कर देगा और जब आपके बैंक का सर्वर ठीक हो जाएगा यह वहां भी अपडेट हो जाएगा। ऐसे में आप बिना की किसी परेशानी के सर्वर डाउन रहने की स्थिति में भी खरीदारी कर पाएंगे। यही ब्लॉकचेन तकनीक है।
ब्लॉकचेन का वो उदाहरण जिसका हम इस्तेमाल करते हैं?
हम लोगों में से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी Google स्प्रेडशीट का इस्तेमाल किया है। अगर हम सोचकर देखें तो पाएंगे कि हम जिस गूगल स्प्रेडशीट का इस्तेमाल कर रहे हैं वह एक ऐसा दस्तावेज या लेजर है जो दुनिया के हर कंप्यूटर पर साझा की जा सकती है और इंटरनेट से जुड़ी होती है। हम अगर इस स्प्रेडशीट में कोई भी बदलाव करते हैं तो वह इसकी एक पंक्ति में दर्ज हो जाता है।
मोबाइल डिवाइस या कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से इस स्प्रेडशीट से कनेक्ट हो सकता है और इसके डेटा तक पहुंच सकता है। इंटरनेट से जुड़ा कोई भी व्यक्ति इस स्प्रैडशीट में दर्ज किए गए आंकड़ों को देख सकता है पर इसमें पहले से मौजूद आंकड़ों को बदल नहीं सकता है। मूल रूप से यही एक ब्लॉकचेन है। फर्क सिर्फ इतना है स्प्रेडशीट में अलग-अलग पंक्तियों में आंकड़े होते हैं और ब्लॉकचेन में अलग-अलग ब्लॉक्स में आंकड़े संग्रहित किए जाते हैं।
ऐसे में हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ब्लॉकचेन का एक ब्लॉक डेटा का एक संग्रह है जिसमें छोटे-छोटे ब्लॉक्स को जिसमें डेटा या सूचनाएं होती हैं, को chronological तरीके से एक के बाद रखकर जोड़ा जाता है। जब कई ब्लॉक आपस में जुड़ की ब्लॉक्स की एक शृंखला बन जाती है तो उसे ही ब्लॉकचेन कहते हैं।
ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी का क्या रिश्ता है?
दुनियाभर के क्रिप्टोकरेंसी चाहे वह बिटकॉइन हो या इथेरियम सभी ब्लॉकचेन की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। ब्लॉकचेन पर आधारित सबसे पहला और सबसे प्रसिद्ध एप्लिकेशन बिटकॉइन है, दुनिया दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पीयर-टू-पीयर डिजिटल करेंसी है। बिटकॉइन को ब्लॉकचेन की तकनीक पर ही बनाया और नियंत्रित किया जाता है। पारंपरिक मुद्रा के उलट आप ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित बिटकॉइन को बैंकों या सरकारों से अनुमति लिए बिना किसी को भी और कहीं भी भेज सकते हैं।
ब्लॉकचेन पर आधारित डिजिट करेंसी बिटकॉइन या इथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन में इस बात की भी परवाह नहीं करती है कि आप इंसान हैं या मशीन। ब्लॉकचेन तकनीक के आधार पर एक ही समय में हजारों बिटकॉइन समान रूप से पेमेंट की वैधता को वेरीफाई करने में सक्षम होते हैं इसलिए इसके परिचालन के लिए बैंकों या किसी तीसरे पक्ष के बिचौलिये की जरूरत नहीं पड़ती है।
बिटकॉइन के ब्लॉकचेन में, 1 एमबी ब्लॉक मौजूद हैं जिनमें पीयर-टू-पीयर लेनदेन होते हैं। इन ब्लॉक्स को एक इनबिल्ट consensus mechanism की मदद से cryptominers द्वारा वेरीफाई किए जाने के बाद हर 10 मिनट में जोड़ा जाता है। इन ब्लॉकों में प्रत्येक एंट्री cryptographic maths का इस्तमाल करते हुए सुरक्षित की जाती है जो इसे अपरिवर्तनीय बनाती है।
आरबीआई की digital rupee की लॉन्चिंग में ब्लॉकचेन की क्या भूमिका होगी?
आपको बता दें कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2022 के बजट भाषण के दौरान घोषणा की थी कि आने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को विकसित करेगी। भारतीय रिज़र्व बैंक इस CBDC को लॉन्च करेगा जो बिटकॉइन या इथेरियम जैसी किसी क्रिप्टोकरेंसी की भांति ही ब्लॉकचेन की तकनीक पर आधारित होगी। CBDC या डिजिटल मुद्रा आरबीआई की ओर से डिजिटल रूप में जारी एक legal tender होगा।
ब्लॉकचेन का खराब पक्ष क्या है?
ब्लॉकचैन तकनीक की मूल समस्या है इसको नियंत्रित करना। किसी भी केंद्रीय बैंक का मुद्रा पर पूर्ण नियंत्रण रहीं रहता है क्योंकि ब्लॉकचेन की प्रकृति विकेंद्रीकृत होती है। ऐसे में अगर आरबीआई भविष्य में डिजिटल करेंसी लेकर आती है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि यह इसकी गोपनीयता बनाए रखने और इसकी निगरानी करने के लिए कौन सी तकरीब अपनाता है। अगर आरबीआई इस डिजिटल करेंसी के आंकड़ों पर अपना नियंत्रण रखता है तो फिर से एक डिजिटल करेंसी होकर भी डिजिटल करेंसी के स्वभाव से अलग हो जाएगा, क्योंकि डिजिटल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी की मूल खासियत ही यही है कि इस पर कोई नियंत्रण या इसकी निगरानी नहीं कर सकता है।