रायपुर, 14 जुलाई 2022। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 मे छाीसगढ़ के सुकमा जिले के गोमपाड़ मे 16 आदिवासियो के मारे जाने के मामले की जाच की माग को खारिज कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जे बी पारदीवाला की पीठ ने इस मामले मे याचिकाकर्ता हिमाशु कुमार पर पाच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता हिमाशु कुमार को चार सप्ताह की मोहलत दी गई है।
राज्य सरकार कर सकती है कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले मे झूठा आरोप लगाने सबधी केद्र सरकार की दलील पर कहा कि वे आईपीसी की धारा 211 के तहत कार्रवाई करने का निर्णय छाीसगढ़ सरकार पर छोड़ते है। अदालत ने कहा कि इस मामले मे केवल झूठा आरोप लगाने का ही नही, बल्कि आपराधिक साजिश रचने पर भी कार्रवाई की जा सकती है। हालाकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले मे अतर-राज्यीय प्रभाव हो सकते है। उन्होने इस मामले मे केद्रीय एजेसी द्वारा जाच की माग करते हुए अदालत से इसे स्पष्ट करने का अनुरोध किया। अदालत ने उनका अनुरोध मान लिया है।
अब न्याय मागने मे डरेगा आदिवासी -हिमाशु
फ़ैसले के बाद हिमाशु कुमार ने कहा कि “यह आदिवासियो के न्याय मागने के अधिकार पर बड़ा हमला है। अब आदिवासी न्याय मागने मे डरेगा। इससे तो यही साबित होता है कि पहले से ही अन्याय से जूझ रहा आदिवासी अगर अदालत मे आएगा तो उसे ही सजा दी जाएगी। इसके साथ-साथ जो भी आदिवासियो की मदद की कोशिश कर रहे है, उन लोगो के भीतर भी डर पैदा करेगा।”
16 नक्सलियो को मारने का किया था दावा
साल 2009 मे गोमपाड़ मे पुलिस ने 16 माओवादियो के मारे जाने का दावा किया था। लेकिन इस मामले मे घायल एक आदिवासी महिला ने दावा किया था कि सुरक्षाबलो ने गाव के निर्दोष लोगो की फर्जी मुठभेड़ मे हत्या की है। 14 साल का अयाता नुलकातोग नरसहार के पीडि़तो मे से एक था, जिसे एनकाउटर मे वयस्क बताकर मारने की बात कही गयी। इस दौरान कुछ नवयुवक भी मारे गए थे। ग्रामीणो का कहना था कि गोमपाड़ मे पुलिस के आने की सूचना पर अधिकाश पुरुष सदस्य भागकर जगल मे एक झोपड़ी मे छिप गए थे, जिन्हे पुलिस ने मारा और इसे एनकाउटर बताया।
इस मामले मे दतेवाड़ा मे रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हिमाशु कुमार और अन्य 12 लोगो ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की थी।
लगभग 13 बरसो तक चली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जाच के लिए एसआईटी गठित करने की भी बात कही थी। लेकिन स्वतत्र जाच की बात टल गई। इसी साल अप्रैल मे केद्र सरकार की ओर से हिमाशु कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओ के खç¸लाफ़ अदालत मे आवेदन दिया गया और याचिकाकर्ताओ के खिलाफ ही सीबीआई या एनआईए से जाच की माग की गई थी।
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