अपना कारोबार शुरू करने में पुरुषों से आगे महिलाएं, हिस्सेदारी 2.8 गुना बढ़ी

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एजेंसी, नई दिल्ली 14 जुलाई 2022 रिपोर्ट के मुताबिक, महिला उद्यमशीलता की वृद्धि दर 2020 और 2021 में सबसे ज्यादा रही। श्रमबल में शीर्ष पदों पर काबिज महिलाओं का प्रतिनिधित्व 18% है, जो अब भी कम है। भारतीय महिलाएं अपना कारोबार शुरू करने के मामले में पुरुषों से आगे हैं। विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक स्त्री-पुरुष असमानता रिपोर्ट-2022 में प्रकाशित लिंक्डइन आंकड़ों के मुताबिक, स्टार्टअप की महिला संस्थापकों का हिस्सा 2016 से 2021 के बीच 2.68 गुना बढ़ा। इसके मुकाबले पुरुष संस्थापकों की हिस्सेदारी सिर्फ 1.79 गुना ही बढ़ सकी। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला उद्यमशीलता की वृद्धि दर 2020 और 2021 में सबसे ज्यादा रही। श्रमबल में शीर्ष पदों पर काबिज महिलाओं का प्रतिनिधित्व 18% है, जो अब भी कम है।  महिलाओं को समान पदों पर काबिज पुरुषों की तरह पदोन्नति नहीं मिलती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों के शीर्ष पद पर पदोन्नत होने की संभावना 42% अधिक है।

लिंक्डइन की वरिष्ठ निदेशक रुचि आनंद ने कहा, भारत में कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल पर पुरुषों की तुलना में अधिक अवरोधों का सामना करना पड़ता है। प्रतिकूल स्थिति के बाद भी महिलाएं बेअसर रहती हैं। उद्यमशीलता अपनाकर एक अलग राह पर चलना जारी रखती हैं।

राज्यों को कर्ज लौटाने के लिए चार साल की मोहलत

केंद्र ने राज्यों के बजट के अलावा लिए गए कर्ज के समायोजन को लेकर नियमों में ढील दी है। राज्य अब 2021-22 में लिए गए कर्ज को अगले चार साल यानी मार्च, 2026 तक लौटा सकेंगे।  इससे राज्यों के पास संसाधन बढ़ेंगे और और वे 2022-23 में खर्च के लिए कर्ज का उपयोग कर सकेंगे। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने कहा, कुछ राज्यों के बजट के अलावा लिए गए कर्ज और उनकी समस्याओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। नियमों के तहत राज्य सरकारों को वित्त वर्ष के लिए तय कर्ज सीमा से ऊपर उधारी को लेकर केंद्र की मंजूरी की जरूरत होती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा, 2021-22 में राज्यों ने बजट के अलावा जीडीपी की तुलना में 4.5% या 7.9 लाख करोड़ का कर्ज लिया था।

7.6 फीसदी तक रहेगी जीडीपी की वृद्धि दर

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर उत्पन्न संकट के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 में 7.1 से 7.6% दर से आगे बढ़ेगी। डेलॉय ने कहा, महंगाई के ऊंचे स्तर पर पहुंचने व आपूर्ति की कमी के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा कायम रख सकता है। 2023-24 में वृद्धि दर 6-6.7% रह सकती है। 


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