वर्ल्ड डेस्क, कोलंबो 13 जुलाई 2022। गोटाबया के देश छोड़ कर जाने और बासिल के ऐसी कोशिश करने के बाद श्रीलंका में सोशल मीडिया पर राजपक्षे परिवार को लेकर लोगों का गुस्सा फिर भड़क उठा है। ज्यादातर सोशल मीडिया पोस्ट में श्रीलंका की मौजूदा दुर्गति के लिए इसी परिवार को दोषी ठहराया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि परिवार के दूसरे सदस्य भी चोरी-छिपे देश छोड़ कर जा सकते हैं…श्रीलंका निवर्तमान राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे देश से भाग जाने में कामयाब रहे। लेकिन उनके भाई बासिल राजपक्षे की ऐसी कोशिश नाकाम हो गई। पूर्व वित्त मंत्री 71 वर्षीय बासिल राजपक्षे को कोलंबो स्थित बंडारनायके इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ही अधिकारियों ने रोक लिया। इन दो घटनाओं के बाद श्रीलंका में यह चर्चा जोर पकड़ गई है कि राजपक्षे परिवार के दूसरे सदस्य कहां हैं। गोटाबया राजपक्षे परिवार के राष्ट्रपति बनने के बाद इस परिवार के दर्जन भर सदस्य सरकार या प्रशासन में ऊंचे पदों पर बैठाए गए थे। उनमें राष्ट्रपति रह चुके महिंदा राजपक्षे भी हैं, जिन्हें गोटाबया के शासनकाल में प्रधानमंत्री बनाया गया था। महिंदा राजपक्षे ने मौजूदा सरकार विरोधी आंदोलन शुरू होने के बाद ही अपना पद छोड़ा। ऐसी चर्चा रही है कि वे भी देश छोड़ कर भागने की फिराक में हैं।
गोटाबया के देश छोड़ कर जाने और बासिल के ऐसी कोशिश करने के बाद श्रीलंका में सोशल मीडिया पर राजपक्षे परिवार को लेकर लोगों का गुस्सा फिर भड़क उठा है। ज्यादातर सोशल मीडिया पोस्ट में श्रीलंका की मौजूदा दुर्गति के लिए इसी परिवार को दोषी ठहराया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि परिवार के दूसरे सदस्य भी चोरी-छिपे देश छोड़ कर जा सकते हैं। बीच में एक छोटी अवधि को छोड़ कर 2005 के बाद श्रीलंका पर राजपक्षे परिवार का राज रहा है। इस दौरान देश के बहुसंख्यक सिंहली- बौद्ध समुदाय का इस परिवार को भारी समर्थन मिलता रहा। महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते हुए ही श्रीलंका के सुरक्षा बलों ने 26 साल तक चले तमिल अलगाववादी छापामार युद्ध को कुचला था। 2009 में इस युद्ध को चला रहे संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के प्रमुख वी प्रभाकरन के मारे जाने के साथ अलगाववादी आंदोलन खत्म हुआ था। इस कामयाबी के कारण महिंदा राजपक्षे की महानायक की छवि बनी। इसका इस्तेमाल कर उन्होंने देश पर अपने परिवार का राज कायम कर दिया।
पहले महिंदा और फिर गोटाबया के शासनकाल में वित्त, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, ग्रामीण विकास, खेल आदि जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालय हमेशा राजपक्षे परिवार के सदस्यों के पास ही रहे। वेबसाइट इकॉनमीनेक्स्ट.कॉम में छपी एक रिपोर्ट में राजपक्षे की पार्टी एसएलपीपी के नेताओं के हवाले से बताया गया है कि इस परिवार के शासनकाल के दौरान महत्त्वपूर्ण फैसले कैबिनेट की बैठक में नहीं, बल्कि राजपक्षे परिवार की अपनी बैठक में होते थे। इसीलिए अब देश की सारी दुर्दशा के लिए लोग इस परिवार को ही दोषी ठहरा रहे हैं। गो गोटा गामा (राजपक्षे घर वापस जाओ) नाम से बीते लगभग चार महीनों से चल रहे आंदोलन के दौरान एक प्रमुख मांग राजपक्षे परिवार के धन के स्रोतों की जांच कराने की रही है। आरोप है कि महिंदा राजपक्षे की पत्नी श्रीरंती, उनके तीन बेटों- नमल, योशिता और रोहिता और परिवार के दूसरे सदस्यों ने अकूत धन इकट्ठा किया है। बासिल राजपक्षे को परिवार का मुख्य रणनीतिकार माना जाता है। वे अमेरिका के नागरिक हैं। पहले श्रीलंका में दोहरी नागरिकता रखने वाले लोगों को चुनाव लड़ने की छूट नहीं थी। लेकिन अगस्त 2020 में यह नियम बदल दिया गया, जिससे बासिल के संसद में प्रवेश करने का रास्ता साफ हो गया। उसी वर्ष उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। इसीलिए आर्थिक दुर्दशा के लिए प्रमुख रूप से उन्हें जिम्मेदार माना गया है।