नेपाल: सत्ता में पहली सालगिरह से पहले प्रधानमंत्री देउबा पर दागे गए दर्जनों सवाल

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वर्ल्ड डेस्क, काठमांडो 12 जुलाई 2022 विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोमवार को देश के अखबार संपादकों के साथ एक बैठक में चेतावनी दी कि नेपाल में श्रीलंका जैसे हालात पैदा होने की स्थिति है। उन्होंने कहा कि मौजूदा गठबंधन सरकार मृत हो चुकी है और इस कारण देश विनाश की तरफ जा रहा है…नेपाल में शेर बहादुर देउबा सरकार बुधवार को सत्ता में अपनी पहली सालगिरह मनाएगी। पिछले साल 13 जुलाई को देउबा ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन सालगिरह से ठीक पहले देउबा पर बेहतर शासन देने में नाकाम रहने के आरोप लगे हैं। ये इल्जाम सिर्फ विपक्ष की तरफ से ही नहीं, बल्कि सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस एक धड़े ने भी लगाए हैं।

विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोमवार को देश के अखबार संपादकों के साथ एक बैठक में चेतावनी दी कि नेपाल में श्रीलंका जैसे हालात पैदा होने की स्थिति है। उन्होंने कहा कि मौजूदा गठबंधन सरकार मृत हो चुकी है और इस कारण देश विनाश की तरफ जा रहा है। ओली ने यह इल्जाम भी लगाया कि देउबा सरकार ने मर्यादाओं को तोड़ते हुए बजट तैयार करने की प्रक्रिया में व्यापारियों को शामिल किया।

शेखर कोइराला ने भी उठाए सवाल

लेकिन देउबा के लिए चिंता की बड़ी वजह नेपाली कांग्रेस के एक धड़े की तरफ से उछाले गए सवाल हैं। नेपाली कांग्रेस के शेखर कोइराला गुट सरकार ने संविधान परिषद संशोधन बिल पेश करने को लेकर सरकार के इरादे पर सवाल उठाए हैं। देउबा सरकार ने यह बिल संसद में पेश किया है। इसका मकसद संविधान परिषद की बैठक आयोजित करने और उसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना है। पूर्व केपी शर्मा ओली ने भी यह विधेयक संसद में पेश किया था। लेकिन तब नेपाली कांग्रेस ने उसका पुरजोर विरोध किया था। तब नेपाली कांग्रेस ने इस बिल को संविधान और कानून के राज पर हमला बताया था। नेपाली कांग्रेस के शेखर कोइराला गुट ने अब पूछा है कि आखिर पार्टी जिस बिल के खिलाफ थी, उसे देउबा सरकार ने संसद में क्यों पेश किया है। इस खेमे ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में देउबा की भूमिका भी आलोचना की है। नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में कोइराला ने आरोप लगाया कि कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ गठबंधन के कारण नेपाली कांग्रेस की विचारधारा कमजोर पड़ी है। इसी वजह से मई में हुए स्थानीय चुनावों में पार्टी सही उम्मीदवारों का चयन नहीं कर पाई।

देउबा का अपनी ही पार्टी में विरोध

खबरों के मुताबिक सोमवार को कार्यसमिति की बैठक में जब देउबा पहुंचे, तो उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। बैठक में पार्टी उपाध्यक्ष धनराज गुरुंग और महासचिव गगन थापा ने भी शेखर कोइराला गुट का समर्थन किया। पार्टी की छात्र शाखा के नेताओं ने भी देउबा के रुख को लेकर विरोध जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि देउबा ने जानबूझ कर नेपाल स्टूडेंट्स यूनियन की महासभा की बैठक नहीं बुलाई है।  शेखर कोइराला गुट ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट, राजस्व जांच विभाग और एंटी मनी लॉन्ड्रिंग डिपार्टमेंट को प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत लाने के पूर्व ओली सरकार के फैसले को अब तक रद्द न करने को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल पूछे। विरोधी खेमों के नेताओँ ने प्रधानमंत्री के सामने दो-टूक कहा कि विपक्ष में रहते हुए नेपाली कांग्रेस ने जो मुद्दे उठाए थे, उस पर अब देउबा ने अपना रुख बदल लिया है। उन्होंने कहा कि इससे सरकार और पार्टी की छवि खराब हुई है, जिसकी कीमत उसे अगले आम चुनाव में चुकानी पड़ सकती है।


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