रायपुर , 11 जुलाई 2022।खडेलवाल दिगबर जैन मदिर सन्मति नगर फाफाडीह मे चातुर्मासिक मगल प्रवेश के बाद सोमवार को चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने धर्मसभा को सबोधित किया। उन्होने कहा कि जिसके पास सकल्प शक्ति का अभाव है वह कभी विकास नही कर सकता। कोई भी कार्य करने के लिए सकल्प दृढ़ होना चाहिए। जिनके सकल्प ढीले है उनके मस्तिष्क मे विकल्प आते है, जिनके सकल्प मजबूत है वे निर्विकल्प हो जाते है। निर्णय के अभाव मे दुख होता है। ससार मे सबसे दुखी वे लोग है जो निर्णय करना नही जानते। जिनके जीवन का निर्णय नही है,वो दूसरे के जीवन का क्या निर्णय करेगे। निर्णय विहीन व्यक्ति घर ,परिवार, राष्ट्र नही चला सकता तो वह मोक्ष मार्ग पर क्या चल पाएगा। जीवन मे एक निर्णय करना पड़ता है। निर्णय के बाद आप को मजबूत होना पड़ता है। जिसे अपने कार्य का विश्वास नही, जिसे अपने कार्य का आनद नही वह व्यक्ति कभी आगे नही बढ़ सकता।
आचार्य श्री ने कहा कि जीव सकल्प ना करे तो कभी कार्य नही हो सकता। प्रमाण की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने समझाया कि मै हू-मै हू मन मे बार-बार सोचे तो ज्ञान,वाक्य शद,था -अन्यथा दोनो का ज्ञान कराता है। व्यक्ति केवल राग के वशीभूत होकर पर को मै मानता है। यदि आपने अपने मै को खोज लिया, तो जो मै बोलता है वही आत्मा है। भगवत कहते है जिसे हमने ज्ञान कहा उस ज्ञान को खोजते खोजते जब परोक्ष ज्ञान को खोजते है तो पर की सहायता दिखाई देती है। अनुमान प्रमाण होता है। धुए को देखकर अग्नि का ज्ञान हो जाता है। साधन से साध्य का ज्ञान होना इसका नाम अनुमान है। वचनो के,भाषा के माध्यम से व्यक्ति के भाव का बोध होता है। जैसे भाव होगे वैसे ही भाषा निकलती है। जीवन मे लोग दिखावा बहुत करते है। सामने कुछ और पीछे कुछ और होते है। जीवन से मुखौटे को उतारना होगा असली रूप मे आना होगा।
आचार्य श्री ने कहा कि दीपक से आप वस्तुओ को सूने कक्ष मे खोजते हो, पहले वस्तु उठाते हो या दीपक को उठाते हो? घोर आश्चर्य है कि लोग सामग्री को जान रहे है,लेकिन जिससे सामग्री को जानना है उसे नही जान रहे है। दीपक से वस्तुओ की खोज कर रहे है परतु जिस ज्ञान से जगत को जाना जाता है, जिस ज्ञान से जगत को पहचाना जाता है, उस ज्ञान को ही नही जान पा रहे हो। यही अज्ञानता है। उसे जानो जिससे तुम जगत को जान रहे हो वह ज्ञान है। जो आपके बाहर नही है आपके भीतर है,आप ज्ञानमयी है।
आचार्य श्री ने कहा कि क्या एक जलते दीपक को उठाने के लिए दूसरा दीपक जलाना पड़ेगा ? जब हम जानते है कि दूसरे दीपक की आवश्यकता नही पड़ेगी तो स्वय हमारी आत्मा ज्ञानमयी है। ऐसी निज आत्मा को भगवान बनाने के लिए दूसरी आत्मा की आवश्यकता नही है। हमे पहचानना पड़ेगा। आज से अपने आपको अज्ञानी कहना समाप्त कर दो,आप जैसा सोचते हो जैसा विचार आता है वैसा जीवन बनना प्रारभ हो जाता है।
12 जुलाई को वर्षायोग मगल कलश की होगी स्थापना
विशुद्ध वर्षायोग 2022 के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी, महामत्री राकेश बाकलीवाल, कोषाध्यक्ष निकेश गोधा, मनोज सेठी,कार्यकारी अध्यक्ष मनीष बाकलीवाल, मनोज पाड्या ने बताया कि 12 जुलाई मगलवार को सुबह 8:30 बजे विशुद्ध सभागृह का उद्घाटन महावीर प्रसाद ,राजकुमार बाकलीवाल परिवार की ओर से किया जाएगा। ध्वजारोहण चातुर्मास शिरोमणि सरक्षक सुधीर कुमार, रितेश कुमार,नितेश कुमार,अरिहत कुमार बाकलीवाल परिवार की ओर से किया जाएगा। दोपहर 1 बजे से चातुर्मास वर्षायोग मगल कलश की विधि-विधान पूर्वक स्थापना की जाएगी। रात्रि 7:30 बजे भजन का आयोजन किया गया है।
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