सूरजपुर 10 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। हाल ही में कोरिया जिले में छात्रों के झाड़ू लगाने के मामले में हेडमास्टर को निलंबित करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए शालेय शिक्षक संघ सूरजपुर के जिलाध्यक्ष यादवेन्द्र दुबे ने कहा कि क्षमा करना बाबू देश आज भी मैकाले – एम ए शेरिंग है। उन्होंने आगे कहा कि प्राचीन काल में भारत में सात लाख गुरुकुलों के माध्यम से सर्वांगीण विकास की आत्मनिर्भर शिक्षा दी जाती थी। जहाँ दरिद्र सुदामा, राजा श्रीकृष्ण ,राजा रामचन्द्र और निषादराज एक साथ गुरुकुल की सफाई ,ईंधन व्यवस्था,सहज वात्सल्य सेवा-भाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य, जो आजकल अतिशय छोटे माने जाते हैं किया करते थे। जापान के शिक्षा संहिता और शिक्षा व्यवस्था में साफ सफाई की पूरी जिम्मेदारी शिक्षक – छात्र के समूहों की होती है,जो मिलकर काम करते हैं। भारत हजार साल गुलाम रहा,जिसमें साम्राज्यवादी अंग्रेजों का लगभग 250 साल गुलाम रहा,कुर्सी मेज हायररिकी व्यवस्था दिमाग में घर कर गई है । पूरी मनोवैचारिक स्थिति हम लोगों की गुलाम जैसी है,आधुनिक शिक्षा व्यवस्था भी बस उसी क्रम को आगे बढ़ाती है। महात्मा गांधी के बुनियादी शिक्षा सिद्धांत में स्पष्ट है कि हर बच्चा आत्मनिर्भर होगा वह स्वच्छता, स्वावलम्बन,बागवानी,पशुपालन,प्राथमिक जीवन उपयोगी कार्यों,सेवा संवेदना में बचपन से ही उसे इन गुणों में पारंगत होने की शिक्षा दी जावेगी । जिस देश,राज्य शिक्षा व्यवस्था में झाड़ू लगाना,सफाई कार्य सिर्फ वर्ग विशेष का दायित्व हो तो जान लीजिए कि अभी भी हमारी शिक्षा और सामाजिक व्यवस्था गम्भीर रूप से बीमार है, उसे निर्मम इलाज की आवश्यकता है। किसी शिक्षक या हेडमास्टर का निलंबन होना वह भी छात्रों के सफाई के नाम से यह सिर्फ अधिकारियों की ही गलती नहीं है। यह निलंबन बताता है कि अभी भी हम मैकाले,मैक्समूलर, एम ए शेरिंग के शिक्षा व्यवस्था में जकड़े हुए हैं,गुलामी अंदर तक यानी रक्त-प्रवाह तथा हमारे डीएनए में शामिल हो चुका है। शालेय शिक्षक संघ सूरजपुर के जिला सचिव गौतम शर्मा ने इस संबंध में कहा कि एक बार मैं प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का छात्रों से संवाद कार्यक्रम देख रहा था, तो मोदी जी ने कहा कि – जब गुजरात का मुख्यमंत्री था तो समाचार – पत्रों में छपता था, टेलीविजन में आता था कि फलाने स्कूल में छात्रों ने झाड़ू लगाई शिक्षक को स्पष्टीकरण जारी,कई जगह शिक्षकों को निलंबित भी किया जाता था । मैंने मूल को समझा अधिकारियों और तंत्र को स्पष्ट निर्देश दिया कि ऐसे विषयों पर न स्पष्टीकरण जारी किया जावे और न ही कोई भी विभागीय कार्यवाही की जावे । अपितु शिक्षक छात्रों को समूह सफाई के लिए प्रोत्साहित किया जावे। इस बावत उन्होंने बुद्धिजीवियों,सामाजिक कार्यकर्त्ताओं,पत्रकारों की कई बार बैठक भी ली। विभाग और प्रशासन को निलंबन करने से अच्छा होता शिक्षा के आला अधिकारी ,प्रशासन के यूपीएससी,पीएससी अधिकारी,नेतागण खुद ही शिक्षक और छात्रों के साथ प्रति सप्ताह सामूहिक स्वच्छता अभियान का हिस्सा बने। पूरी व्यवस्था को गुलाम वैचारिक मानसिकता से अब बाहर निकालने हेतु हम सबको मिलकर काम करना होगा।
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