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रायपुर@जाति अत्याचार के खिलाफ निर्वस्त्र होकर राजधानी रायपुर मे प्रदर्शन करेगे युवा

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रायपुर, 09 जुलाई 2022।देशभर मे हो रहे जाति अत्याचार के खिलाफ युवा निर्वस्त्र होकर राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव आबेडकर प्रतिमा स्थल के पास प्रदर्शन करेगे. 18 जुलाई को प्रदेशभर से युवा रायपुर पहुचेगे. प्रदर्शन को लेकर समाजिक कार्यकर्ता सजीत बर्मन ने आधिकारिक तौर पर ऐलान कर दिया है.
प्रदर्शन करने वाले सजीत का कहना है उनके आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधि और पढ़े-लिखे अधिकारी कर्मचारी अपने वर्ग के साथ हो रहे अन्याय अत्याचार और प्रशासनिक दमन के खिलाफ मुह खोलने के बजाए चुप्पी साध कर पेटखोर रहते हुए आरक्षण का लाभ उठाते रहना चाहते है. लेकिन अब हमे अत्याचार की घटनाओ को सुनते हुए देखते हुए जीवन यापन करना सहन नही हो रहा है. हम नही चाहते है कि हमारे बच्चे भी अपने जीवनकाल मे जातिगत प्रताड़ना और अत्याचार झेलते रहे.
बता दे कि सजीत बर्मन पेशे से शासकीय स्कूल मे शिक्षक रह चुके है. उन्होने अपनी नौकरी छोड़कर अपना जीवन समाज और मानवता के लिए समर्पित कर दिया है. सजीत कहते है अगर गरिमामय जीवन और समान नागरिक अधिकार के साथ जीने के लिए धरना-प्रदर्शन और रैली-आदोलन करना अगर हमारे जाति वर्ग के हिस्से मे परपरा बन गया है तो हम इस परपरा को खत्म करना चाहते है. उन्होने बताया कि उनकी जाति ऐसी है कि पुलिस उनकी सुनती नही है, प्रशासन उन पर यकीन करती नही है और तो और उनके राजनीतिक वोट को बिकाऊ समझा जाता है हमारे समाज के सामाजिक ठेकेदारो को रुपए और पद के लालच देकर वोट प्रभावित किया जाता है. पदलोलुपता के वजह से सामाजिक ठेकेदारो की आवाज साा के सामने दबी रहती है और इसलिए सरकार हमारे अस्तित्व को स्वीकार करती नही है.
कानून के रास्ते मनुस्मृति को
थोपने का खेल
छाीसगढ़ के पेरियार कहे जाने वाले सजीत बर्मन ने केद्र और राज्य सरकार की नीति पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होने कहा सरकार मे बैठे लोग हमारे सारे सवैधानिक अधिकार को धीरे-धीरे निलबित करने मे लगे हुए है और मनुस्मृति के अनुसार हम पर शासन करने का योजना बनाई जा रही है. जिस मनुस्मृति को अमानवीय बता डॉक्टर अम्बेडकर ने सार्वजनिक तौर पर जला दिया था उसे अब धीरे-धीरे सरकार कानून के रास्ते थोपने की कोशिश कर रही है।
आजादी के बरसो बाद भी क्या वचित वर्ग को आजादी मिल सकी है?
सामाजिक कार्यकर्ता सजीत ने कहा कि क्या आजादी के बरसो बाद भी वचित वर्ग को आजादी मिल पाई है. इस मुद्दे पर बहस बहुत हुए है. अततः यह समझ आता है कि इस आजाद भारत मे आज भी वचित तपके को आजादी से जीने मे बहुत तरह की समस्याए है. उनके उध्धार के लिए बने कानून जाति के दीवार को तोड़ने मे नाकाम साबित रही है. देश का बहुसख्यक वर्ग इस व्यवस्था से आहत है. निश्चितरूप से युवाओ का यह प्रदर्शन देश की खोखली आजादी के पोल खोलने वाली है।
हिदू गिने जाते है लेकिन हिदू हमे अपना नही मानते!
सजीत प्रदेश और देश मे हो रहे घटनाओ पर चिता जताते हुए कहते है हमारी गिनती जनगणना के समय हिदू धर्म मे गिना जाता है, लेकिन जब तक हिदू के सामने मुस्लिम न हो तब तक हिदू धर्म हमे अपना मानती नही है. हमारे वर्ग के ऊपर अत्याचार करने वाले एव हमारे आरक्षण के खिलाफ खड़ा होते हमने सदैव हिदू धर्मी को ही देखा है. जब हमारे लोगो पर कोई हिदू धर्मी अत्याचार करता है तब कोई दूसरा हिदू धर्मी को हमारे पक्ष मे खड़ा होते कभी नही देखा है।
हर जगह से निराश है समाज
उन्होने कहा कि हम भारत का सविधान पर विश्वास करते हुए पुलिस से निवेदन किए, प्रशासन को आवेदन दिए, सरकार से गुहार लगाए और न्यायपालिका से न्याय मिलने की उम्मीद लगाए रहे. अफसोस हर जगह से हमे निराशा हाथ लगी. अब हमे एहसास होने लगा है कि हमे इस भारत देश मे दोयम दर्जे के नागरिक समझा जाने लगा है।
नग्न प्रदर्शन करने को मजबूर
इस प्रदर्शन मे सजीत बर्मन मनीष गायकवाड़, विनय कौशल, पकज भास्कर सहित अन्य युवा शामिल हो रहे है. प्रदर्शनकारी कहते है कि हम मजबूर है, हमे भारतीय नागरिक साबित करने के लिए नगा (निर्वस्त्र) होकर प्रदर्शन करने की आवश्यकता हो गई है. हमारा कदम अपने शोषित समाज के स्वाभिमान के लिए है।


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