केरल, 09 जुलाई 2022। हाइकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. उच्च न्यायलय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दो लोगो के बीच सहमति से बने सबध रेप की कैटेगरी मे नही आते. इसे आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप नही माना जा सकता. अगर सहमति धोखे से या जबरदस्ती ली गई थी तो ही आरोपी के खिलाफ बलात्कार माना जा सकता है.
शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट के जस्टिस बेचु कुरियन की बेच ने पेशे से 29 वर्षीय वकील और याचिकाकर्ता नवनीत एननाथ की याचिका पर सुनवाई के बाद ये फैसला दिया. नवनीत एननाथ को 23 जून को आईपीसी की धारा 376 (2) (ठ्ठ) और 313 के तहत गिरफ्तार किया गया था. नवनीत पर आरोप था कि चार साल तक उन्होने एक महिला वकील को शादी का झासा देकर उसके साथ रेप किया और शादी किसी और से कर ली. जब महिला को इसकी जानकारी मिली तो वह नाथ की मगेतर से होटल मे मिलने पहुची. कथित तौर पर महिला ने नस काटकर आत्महत्या करने की कोशिश की.
अब इस मामले मे केरल हाईकोर्ट के जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने नवनीत एन नाथ को जमानत देते हुए कहा कि भले ही दो लोगो के बीच सहमति से बने यौन सबध विवाह मे परिवर्तित नही होते है, फिर भी यह बलात्कार के अदर नही आएगे. बाद मे शादी करने से इनकार करना या रिश्ते को शादी मे ले जाने मे विफलता ऐसे कारक नही है जो बलात्कार के श्रेणी मे आते हो. भले ही साथी शारीरिक सबध मे शामिल हो. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि किसी की सहमति या इच्छा के बिना या बल प्रयोग से किया गया सेक्स ही बलात्कार की श्रेणी मे आएगा. यहा पर अहम सवाल यह भी है कि क्या सेक्स के बाद शादी करने से इनकार करना बलात्कार है. इस पर अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि जब वादा खराब विश्वास मे दिया गया हो या सेक्स धोखाधड़ी से किया गया है या इसे बनाते समय वादा पालन करने का इरादा नही था, तभी ये बलात्कार की श्रेणी मे आएगा।
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