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बैकुण्ठपुर@एक नहीं तीन एसपी बदले पर नहीं बदले तो कोरिया के कुछ थानों के थानेदार,आखिर क्या वजह?

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  • लाइन में चार निरीक्षक के होते हुए उप निरीक्षक चला रहे थाना,क्या यही है व्यवस्था?
  • जिले के सिर्फ 4 थानों में निरीक्षक बाकी सभी थानों में उप निरीक्षक के जलवे बतौर थाना प्रभारी।
  • जंगलों के थानों में निरीक्षक पर उप निरीक्षक जिले के बड़े थानों का संभाल रहे कमान।
  • जिले के एक थानेदार तो अपने नाम एक उपलब्धि जुड़ चुके हैं वह भी एक रसूखदार ट्रांसपोर्टर को ना पकड़ पाने का।
  • क्या आउटर के थाने उन्हें को मिलेंगे जिनके अधिकारियों से संबंध नहीं होंगे मधुर,मधुर संबंध व राजनीतिक पकड़ड़ वालो को बेहतर थाना?
  • कर्मचारी से अधिकारी बन जाए पर जिले से बाहर ना जाना पड़े ऐसी सोच रखते हैं कोरिया स्थानीय कुछ पुलिस कर्मचारी।
  • कोरिया में कुछ ऐसे नाम है जो आरक्षक से उपनिरीक्षक तक बन गए पर जिले से बाहर नहीं गए।
  • स्टेनो सहित कोरिया पुलिस में कई ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें प्रमोशन तो चाहिए पर स्थानांतरण नहीं।
  • क्या कोरिया के नए पुलिस अधीक्षक पहुंच पकड़ड़ व पहचान से थान पाने वाले कर्मचरियों की बनी प्रथा को खत्म कर पाएंगे?
  • जिले के कुछ थाना प्रभारियों व प्रधान आरक्षक के खिलाफ कई शिकायतें,क्या नवपदस्थ एसपी
  • ही इन थानेदारों को थानों से हटा पाएंगे?

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 09 जुलाई 2022(घटती-घटना)। कोरिया जिले में लंबे समय से एक प्रथा बन चुकी है वह प्रथा है पहुंच पकड़वा पहचान से बढ़िया थाना पाने की क्या यह प्रथा नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक के आने पर खत्म होगी? कोरिया जिले के पुलिस विभाग में पहुंच पकड़ एवम पहचान से मिलता है बढ़िया थाना क्या नवपदस्थ एसपी ख़त्म कर अपएगे इस व्यवस्था को?
कोरिया जिले में पुलिस विभाग में अक्सर देखा जाता है कि पहुंच, पकड़, चापलूस व पैसे वाले पुलिसकर्मी शहर के अच्छे थानों में रहना चाहते हैं, जिसके लिए वह काफी प्रयास करते नजर आते हैं कई ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो कोरिया जिले के चंद अच्छे थानों में रहकर अपना कार्यकाल पूरा कर चले जाते हैं पर कुछ ऐसे भी पुलिस कर्मी हैं जो काबिलियत रखते हैं पर उन पुलिस वालों के जैसे आदत नहीं होती इसलिए वह कोरिया जिले के जनकपुर कोटाढोल जैसे जगह पर वफादारी के साथ नौकरी करते हैं। कोरिया जिले में पुलिस विभाग में विभिन्न थानों में अपनी पदस्थापना के लिए पुलिस विभाग के विभिन्न स्तर के कर्मचारियों को भारी जुगत एवम जुगाड़ लगाना पड़ता है तब जाकर मनचाहे थाने में उनकी पदस्थापना हो पाती है। जो जुगाड़ एवम पहुँच के अपने प्रभाव को जितना साबित कर पाता है वह हमेशा बढ़िया थानों में ही पदस्थ रहता है। वहीं जो पुलिसकर्मी पहुंच पकड़ में कमजोर साबित होते हैं वह बढ़िया काम करके भी जिले के दूरस्थ थानों में ही काम करते नजर आते हैं। कोरिया जिले में पुलिस के कई ऐसे कर्मचारी देखने को मिल जाएंगे जिनका विभाग में इतना जुगाड़ एवम पकड़ है कि वह आरक्षक से पदोन्नत होकर थानेदार तक के पद पर आज तक जिले में ही कार्यरत हैं साथ ही उन्हें हमेशा बेहतर थानों में ही सेवा का अवसर भी दिया जाता आ रहा है। कहने को किसी भी विभाग में अपने कर्तव्य को लेकर सभी बेहतर काम करना चाहते हैं लेकिन अवसर के आभाव में वे अपनी प्रतिभा दिखा पाने में असफल हो जाते हैं और पहुंच पकड़ वाले लगातार बेहतर जगह पर काम करते हुए अपने आपको प्रसिद्ध करने में सफल हो जाते हैं। कोरिया जिला में वैसे तो पुलिस थानों की संख्या ज्यादा नही है लेकिन चौकियों की संख्या के आधार पर पुलिसकर्मियों की पदस्थापना के लिए विभाग के पास विकल्प बहुत सारे हैं। जिले की कई थानों एवम चौकियों में अपनी पदस्थापना को लेकर पहुंच पकड़ वाले पुलिसकर्र्मी लगातार अच्छी जगह पोस्टिंग करा लेते हैं और वर्षों तक वहीं जमे रहते हैं वही बहुत सारे योग पुलिसकर्मी लगातार जिले के दूसरे थाने में ही अपनी सेवा देने मजबूर है। जबकि नियम से सभी पुलिसकर्मियों को जिले के हर थाने में काम करके क्षेत्र का अनुभव लेना चाहिए और बेहतर सुविधा व सुरक्षा व्यवस्था कायम करनी चाहिए।
कोरिया पुलिस विभाग में कुछ ऐसे नाम है जो पदोन्नत हुए पर जिला नहीं छोड़े कब छोड़ेंगे यह जिला
कोरिया पुलिस विभाग में कुछ ऐसे नामचीन नाम है जो पदोन्नत तो होते हैं और पदोन्नत होने के लिए एड़ी चोटी एक करते हैं इन्हें पदोन्नति तो चाहिए तनख्वाह भी बड़ी नहीं चाहिए, बस जिला छोड़ने क्यों मत कहिए क्योंकि कोरिया जिले के बाहर लगता है यह पुलिसकर्मी काम ही नहीं कर पाएंगे, तेरे कुछ नामों पर गौर किया जाए तो पहला था विजय सिंह आता है जो आरक्षक से लेकर उप निरीक्षक बन गए पर विडंबना ऐसी पदोन्नत के बाद भी स्थानांतरण सूची से बाहर रहे वजह पहुंच व पकड़, दूसरा नाम है पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ स्टेनो विकास नामदेव यह भी पदोन्नत हुए पदोन्नत होने के बाद स्थानांतरण सूची में नाम भी आया पर पहुंचा पकड़ से अपना स्थानांतरण रोकने में सफल रहे पदोन्नति तो चाहिए पर स्थानांतरण नहीं चाहिए कुछ इस उद्देश में यह कर्मचारी काम कर रहे हैं एक ही जगह टिके होने की वजह से कर्मचारियों को विभागीय जांच में भी यह अड़चन डालते हैं ऐसा इन्हीं के कर्मचारियों का कहना है, तीसरा नाम है कोरिया जिले के सुपर कॉप नवीन दत्त तिवारी जिनकी शिकायतों को गिनने बैठे तो पुलिस विभाग भी थक जाए पर जुगाड़ व चापलूसी के दम पर नजदीकी थानों के थानेदार के साथ मिलकर माल कमाने पर भरोसा ज्यादा रखते हैं। ऐसे थानेदारों की तादाद भी बहोत ज्यादा नहीं है, कुछ गिने चुने थाना प्रभारी ऐसे हैं वैसे इनमें से सभी उप निरीक्षक हैं और थानेदार बनकर काम कर रहें हैं और निरीक्षक लाइन में काम कर रहें हैं।
क्या सुधरेगा व्यवस्था?
नए पुलिस अधीक्षक से अब जिलेवासियों को उम्मीद रहेगी कि वह जिले में बेहतर पुलिसिंग की मिसाल कायम करेंगे और जिले में न्याय व्यवस्था पर विश्वास कायम हो सके ऐसा प्रयास करेंगे। जिले में एक ही थानों में वर्षों से जमे उप निरीक्षकों को लेकर भी नए पुलिस अधीक्षक से बदलाव की उम्मीद रहेगी क्योंकि जिले में ही कई योग्य निरीक्षकों के पास पुलिस थाने नहीं हैं या फिर उन्हें दूरस्थ भेज दिया गया है। कुल मिलाकर नए पुलिस अधीक्षक से जिले की जनता को काफी उम्मीदें हैं और उनपर खरा उतरना नए पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी होगी।
निरीक्षकों को नहीं मिल रहे पुलिस थाने, उपनिरीक्षक वर्षों से मनचाहे पुलिस थानों में कर रहे कार्य
कोरिया जिले में नए पुलिस अधीक्षक से यह भी उम्मीद होगी कि वह पुलिस विभाग में ही बेहतर सामंजस्य स्थापित कर सकें एवम पदानुरूप पुलिस कर्मचारियों की पदस्थापना करें। आज जिले में 8 निरीक्षक कार्यरत हैं जिनमे से जिन्हें पुलिस थाने मिले हुए हैं वह या तो दूरस्थ पुलिस थानों में जंगलों में पदस्थ हैं वहीं कुछ लाइन में समय काट रहें हैं वहीं कुछ ऐसे उप निरीक्षक जिनके ऊपर कई तरह के आरोप भी लगते आ रहें हैं और जिनकी कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सवाल भी उठते रहें हैं उनको शहरी क्षेत्र के बड़े पुलिस थानों की जिम्मेदारी मिली हुई है और वह वर्षों से वहीं जमे हुए हैं। अब नए पुलिस अधीक्षक से यह उम्मीद है कि वह ऐसे उप निरीक्षकों जो लगातार एक ही पुलिस थानों में वर्षों से कार्यरत है उनकी पदस्थापना स्थल में बदलाव करेंगे और जिले के 6 निरीक्षकों को पुलिस थानों की कमान सौपेंगे।
जिले में इतने थाने
ज्ञात हो कि अविभाजित कोरिया जिले में 12 पुलिस स्टेशन, 4 पुलिस चौकी और 5 पुलिस सहायता केंद्र हैं। जिला पुलिस मुख्यालय बैकुंठपुर शहर में स्थित है। जिले में दो जेल हैं जिला जेल बैकुंठपुर और उप जिला जेल मनेंद्रगढ़ पर जिले में पुलिस विभाग में अक्सर देखा जाता है कि पहुंच, पकड़, चापलूस व पैसे वाले पुलिसकर्मी शहर के अच्छे थानों में रहना चाहते हैं जिसके लिए वह काफी प्रयास करते नजर आते हैं कई ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो कोरिया जिले के चंद अच्छे थानों में रहकर अपना कार्यकाल पूरा कर चले जाते हैं पर कुछ ऐसे भी पुलिस कर्मी हैं जो काबिलियत रखते हैं पर उन में उन पुलिसवालों के जैसे आदत नहीं होती इसलिए वह कोरिया जिले के जनकपुर कोटाडोल जैसे जगह पर वफादारी के साथ नौकरी करते हैं। जबकि इन जगहों पर काम करने वाले पुलिसकर्मी काफी अनुभव पाते हैं साथी इन क्षेत्रों में कार्यवाही भी अच्छी होती है।
वह थाने जहाँ ज्यादा रहना चाहते हैं पुलिस कर्मी
कोरिया जिले में चिरमिरी, मनेंद्रगढ़, पटना, झगराखांड, बैकुण्ठपुर खड़गवां ऐसे थाने है जहां रहने के लिए पुलिसकर्मी एड़ी चोटी एक कर देते हैं ताकि उनका कार्यकाल इन थानों में ही पूरा हो जाए यह थाना पुलिस कर्मियों के लिए बढ़िया आय वाला थाना माना जाता है जहाँ सभी अपनी पोस्टिंग चाहते हैं।


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