आर्थिक संकट में पाकिस्तान: चीन को खुश करने के लिए बिछ गए हैं शहबाज शरीफ

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वर्ल्ड डेस्क, इस्लामाबाद 8 जुलाई 2022। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसके पहले आम तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री साल में एक या दो बार ग्वादर का दौरा करते थे। लेकिन शरीफ एक महीने के अंदर वहां दो बार गए। उनके साथ उनकी सरकार में योजना मंत्री और उनके अन्य प्रमुख सहयोगियों ने भी ग्वादर का दौरा किया…गहराते आर्थिक संकट के बीच एक बार फिर पाकिस्तान की उम्मीदें चीन पर ही टिकी हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत बन रही परियोजनाओं के रास्ते में आई अड़चनों को दूर करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जानकारों के मुताबिक इसके पीछे उनका मकसद चीन को खुश करना है।

बीते जून में शरीफ ने दो बार ग्वादर का दौरा किया। ग्वादर सीपीईसी के तहत एक प्रमुख स्थल है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसके पहले आम तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री साल में एक या दो बार ग्वादर का दौरा करते थे। लेकिन शरीफ एक महीने के अंदर वहां दो बार गए। उनके साथ उनकी सरकार में योजना मंत्री और उनके अन्य प्रमुख सहयोगियों ने भी ग्वादर का दौरा किया।

ग्वादर में बन रहा नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में ग्वादर की नुमाइंदगी करने वाले सांसद असलम भूटानी ने बताया है- ‘कुछ दिन के अंदर ही प्रधानमंत्री के कहीं जाने का लाभ यह होता है कि अफसर और निवेशक भी उस जगह को महत्त्व देने लगते हैं।’ भूटानी ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को बताया कि शरीफ ने अपने बिजली मंत्री को ईरान भेजा, ताकि वहां से ग्वादर के लिए 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का इंतजाम किया जा सके। मई में ग्वादर में बिजली संकट पैदा हो गया था, जिस कारण वहां चली परियोजनाओं में बाधा पड़ी थी। ग्वादर में सीपीईसी के तहत एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा हवाई अड़्डा होगा। इसे समय पर तैयार करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने विशेष योजना बनाई है। तय लक्ष्य के मुताबिक सितंबर 2023 में ये हवाई अड्डा चालू हो जाएगा।

इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक- इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज में रिसर्च एसोसिएट तैमूर फहद खान के मुताबिक पूर्व पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) सरकार के कार्यकाल में सत्ताधारी पार्टी के कई नेताओं ने सीपीईसी से जुड़ी कई परियोजनाओं के बारे में दोबारा बातचीत करने की मांग उठाई थी। उससे चीन को नाराजगी हुई। खान ने कहा- ‘अब शहबाज शरीफ स्थिति सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। वे सीपीईसी को समस्या मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि चीन पाकिस्तान का सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है, जिसने हर कठिन वक्त में पाकिस्तान की मदद की है।

 पाकिस्तान इस समय गहरे आर्थिक संकट में है। खास कर विदेशी मुद्रा भंडार के घटने से जरूरी चीजों का आयात मुश्किल होता जा रहा है। बीते सवा महीने में पेट्रोल के दाम सौ रुपये से भी ज्यादा बढ़े हैं। उधर बिजली संकट के कारण घंटों तक लोडशेडिंग आम बात हो गई है। जून में मुद्रास्फीति दर 21.3 प्रतिशत रही।

जून में चीनी बैंकों ने पाकिस्तान को दी विदेशी मुद्रा

तैमूर फहद खान ने कहा- ‘शरीफ को मालूम है कि पाकिस्तान का आर्थिक भविष्य अनिश्चित हो गया है। इसलिए वे हर वक्त पर काम आए दोस्त चीन से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। चीन ने अतीत में राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा संबंधी समस्याओं के बावजूद पाकिस्तान में भारी निवेश किया है। पाकिस्तान की सेना भी चीन पर बेहद निर्भर है।

शरीफ की कोशिशों का असर भी हुआ दिखता है। जून में चीनी बैंकों ने पाकिस्तान को 2.3 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराई। इस्लामाबाद स्थित कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी में राजनीति एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय के प्रोफेसर इश्तिहाक अहमद ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘चीन ने मदद दी है, लेकिन अभी और मदद की जरूरत है। इसलिए शरीफ इस कोशिश में हैं कि जब वे बीजिंग की यात्रा करें, तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग उनसे निराश ना हों।’


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