वर्ल्ड डेस्क, कोलंबो 8 जुलाई 2022। श्रीलंका में आर्थिक संकट रोज अधिक गंभीर होता जा रहा है। दो करोड़ 20 लाख आबादी वाले इस देश के लोग अनाज, उरर्वक, और दवा जैसी जरूरी चीजों के लिए भी तरस रहे हैं। जून में देश में मुद्रास्फीति की दर 54.6 फीसदी दर्ज हुई। इस महंगाई से लोगों को राहत कैसे दिलाई जाए, इसको लेकर विक्रमसिंघे सरकार अंधेरे में हाथ-पांव चलाती नजर आ रही है…
अब यह साफ हो गया है कि श्रीलंका के लोगों को अभी लंबे समय तक आर्थिक संकट से राहत नहीं मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अभी श्रीलंका की मदद करने को तैयार नहीं है। उसने कर्ज देने और पुराना कर्ज चुकाने की समयसीमा फिर से तय करने के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं। श्रीलंका सरकार इस माथापच्ची में लगी हुई है कि वह उन शर्तों पर कैसे अमल करे।
एक ताजा खबर के मुताबिक श्रीलंका सरकार कर्ज चुकाने की समयसीमा फिर से तय करने संबंधी एक योजना का मसविदा बना रही है। लेकिन यह अगस्त के अंत तक ही तैयार हो सकेगा। उसके बाद उसे आईएमएफ के सामने पेश किया जाएगा। अगर आईएमएफ को वह योजना पसंद आई, तो सितंबर में उससे श्रीलंका को कोई मदद मिल सकेगी। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि आईएमएफ से चार साल तक लगातार श्रीलंका को कर्ज की किस्तें देने का अनुरोध किया गया है।
जून में मुद्रास्फीति दर 54.6 फीसदी
इस बीच श्रीलंका में आर्थिक संकट रोज अधिक गंभीर होता जा रहा है। दो करोड़ 20 लाख आबादी वाले इस देश के लोग अनाज, उरर्वक, और दवा जैसी जरूरी चीजों के लिए भी तरस रहे हैं। जून में देश में मुद्रास्फीति की दर 54.6 फीसदी दर्ज हुई। इस महंगाई से लोगों को राहत कैसे दिलाई जाए, इसको लेकर विक्रमसिंघे सरकार अंधेरे में हाथ-पांव चलाती नजर आ रही है। आईएमएफ के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल में श्रीलंका का दौरा किया था। उस दौरान उससे हुई बातचीत का ब्यौरा रानिल विक्रमसिंघे ने अब देश की संसद में दिया है। उन्होंने कहा- ‘हम बातचीत में एक दिवालिया देश के रूप में शामिल हो रहे हैं। इसलिए पहले की वार्ताओं की तुलना में अब हमें अधिक कठिन और जटिल स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।’ श्रीलंका 12 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाने के मामले में डिफॉल्ट कर चुका है। इसके अलावा अभी देश पर 21 बिलियन डॉलर का और कर्ज है, जिसे 2025 तक उसे चुकाना है।
अनुदानदाता देशों का सम्मेलन बुलाएगा श्रीलंका
इस बीच देश की अर्थव्यवस्था इस वर्ष से चार से फीसदी तक सिकुड़ चुकी है। उधर महंगाई 60 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। इस बदहाली के बीच अब श्रीलंका संभावित अनुदानदाता देशों का एक सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रहा है। उसमें भारत, चीन, जापान आदि को बुलाया जाएगा। विक्रमसिंघे के मुताबिक इस सम्मेलन में कोशिश यह होगी कि ये देश के एक ‘साझा समझौते’ के तहत श्रीलंका को कर्ज देने पर राजी हो जाएं।
इस बीच चर्चा है कि श्रीलंका का सेंट्रल बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने वाला है। मगर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि उससे महंगाई काबू पाने में कोई सफलता नहीं मिलेगी, जबकि अर्थव्यवस्था में दूसरी समस्याएं गहरा जाएंगी। इन जानकारों के मुताबिक महंगाई का कारण आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के बढ़े दाम हैं। इसका समाधान ब्याज दर बढ़ाने से नहीं निकलेगा। ईंधन के लगातार जारी अभाव के कारण इस हफ्ते भी श्रीलंका में स्कूलों को बंद रखा जा रहा है। सरकार ने अपने कर्मचारियों से भी वर्क फ्रॉम होम करने को कहा है। इन मुश्किलों से फौरी राहत की संभावना नहीं है, जिससे देश में हताशा बढ़ रही है।