बैकुंठपुर,02 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। बर्फानी बाबा का दर्शन करने के लिए अमरनाथ यात्रा की शुरूआत हो गई है, इसके पूर्व ही काफी संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए टिकट बुक करा लिए थे और अपनी यात्रा शुरू कर दिए हैं।
अमरनाथ यात्रा के लिए शहर के कई युवाओं के द्वारा अपनी यात्रा शुरू किए। जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर शहर के निवासी मनोज गुप्ता, चंदन गुप्ता, कमल राजवाड़े वीरेन्द्र प्रताप सिंह, आशीष शर्मा, अनुज मिश्रा, अनुराग मिश्रा का दल 1 जुलाई को अमरनाथ यात्रा के लिए बैकुंठपुर शहर से रवाना हुए।
उल्लेखनीय है कि, अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू हो चुकी है, जेष्ठ पूर्णिमा पर अमरनाथ की पवित्र गुफा (अनंतनाग ) में पूजा-अर्चना की जाती है, गुफा में हिमलिंग स्वरूप बाबा बर्फानी पूरे आकार विराजमान होकर दर्शन देते हैं।
जानकारी के अनुसार अमरनाथ यात्र 11 अगस्त को रक्षाबंधन वाले दिन संपन्न होगी। इस साल 43 दिन तक यात्रा चलेगी। बाबा बर्फानी के दर्शन करने काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यताओं के मुताबिक से भगवान शिव ने यहां माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था। कहा जाता है कि अमरनाथ में जाकर हिमलिंग के दर्शन करने से मनुष्य केन पापों से मुक्ति मिल जाती है।
ये है अमरनाथ की पौराणिक कथा- अमर कथा सुनने के लिए शर्त यह थी कि कोई अन्य प्राणी या कोई भी श जीव इस कथा को न सुन सके इसलिए महादेव ने सबसे पहले अपने वाहन नंदी को पहलगांव में छोड़ा, यही वह जगह है जहां अमरनाथ की यात्रा शुरू होती है। यहां से थोड़ा आगे चलने पर शिवजी ने अपने शीश से चंद्रमा को अलग किया, इसलिए यह स्थान चंदनबाड़ी कहलाया, इसके बाद गंगाजी को पंचतरणी में कंठ पर लिपटे हुए सर्पों को शेषनाग स्थान पर छोड़ दिया। श्री गणेशजी को उन्होंने महागुणा पर्वत पर छोड़ दिया, इसके आगे महादेव ने पिस्पू नमक कीड़े को त्यागा था, इस जगह को पिस्सूघाटी कहा जाता है। इस प्रकार महादेव ने अपने अभिन्न अंगों नदी, गंगा, चंद्रमा, शेषनाग, पिस्सू को अपने से अलग कर माता पार्वती संग सुंदर गुफा में प्रवेश किया। गुफा में महादेव ने जीवन के उस गूढ़ रहस्यों की कथा शुरू कर दी। मान्यता है कि कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई थी, उस समय वो कथा वहां दो सफेद कबूतर सुन रहे थे। जब कथा समाप्त हुई तो भगवान शिव का ध्यान माता पार्वती पर गया तो उन्होंने पार्वती जी को सोया हुआ पाया। तब महादेव की दिव्य दृष्टि उन दोनों कबूतरों पर पड़ी, इसे देखते ही शिवजी को उन पर क्रोध आ गया, फिर दोनों कबूतर महादेव के पास आकर बोले कि हमने आपकी अमर कथा सुनी है, यदि आप हमें मार देंगे तो आपकी कथा झूठी हो जाएगी। कहते हैं कि इस पर महादेव ने उन कबूतरों को वर दिया कि वे सदैव उस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक के रूप में रहेंगे। बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले भक्तों को आज भी उन कबूतरों के दर्शन हो जाते हैं।
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