वन विभाग के कार्य कागजों में ज्यादा,धरातल पर कम
-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,02 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। जिले के वन विभाग में पूरी तरह जंगल राज की तरह काम चल रहा है।यही वजह है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने कड़ी फटकार लगाते हुए डीएफओ समेत रेंजर पर कार्रवाई कर सुधरने का कड़ा संदेश दिया था।लेकिन अधिकारी से लेकर कर्मचारियों की खाल इतनी मोटी है इस तरह की कार्रवाई से भी उनके सेहत पर कोई फर्क नही पड़ता है। वही पुराने ढर्रे पर काम चल रहा है। जिला मुख्यालय में रेंज अफसर का काम प्रभारी स्तर के अधिकारी से कार्य चलाया जा रहा है जिनकी मनमानियां चरम पर है ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमे कार्य धरातल पर कम कागजों में ज्यादा दिखाई पड़ रहे है। प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये खर्च कर प्लान्टेशन, नाला संधारण, शाख कटिंग,वाटर लेबल दुरुस्त करने के लिए तालाब सहित अन्य कार्यो के लिए विभिन्न योजना अंतर्गत करोडों रुपये फंड आते है किंतु इन राशि का उपयोग धरातल में कम दिखाई देता है कागजों में ज्यादा दिखाई देता है। सूरजपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम देवनगर वन खण्ड के कक्ष क्रमांक 1747 में 60.000 हेक्टेयर में पौधारोपण का कार्य किया गया था इस कक्ष में करीब 66000 हजार कई तरह के पौधा का रोपण वन अमला द्वारा किया गया था। साथ ही इन पौधा के सुरक्षा के लिए कटीले तार का घेराव भी किया गया था। घेराव के लिए घटियां किस्म के गुणवत्ता विहिंन खम्भों का उपयोग किया गया था जिस कारण खम्बे टूट रहे है। जिसमे मवेशी बड़े आसानी से प्लांटेसन का अंदर घुस कर रोपे गए पौधों को अपना चारा बना रहे है। और वन विभाग के अफसर मरम्मत व देख रेख के नाम पर लाखों रुपये राशि आहरण कर लिया गया है। जिससे प्लान्टेसन मैदान में तब्दील हो गया। रोपे गए पौधा के स्थान को देखेंगे तो पता चलेगा कि कुछ जगहों पर पौधा रोपण कभी हुआ रहा होगा जिसके गढ्ढे देखे जा सकते है। किन्तु इन गड्ढो में पौधों के पोषक के लिए फर्टीलाइजर के नाम पर राशि आहरण हो चुका है। किंतु जमीन में उपयोग नही हुआ है जबकि कई वर्षों तक विभाग प्लांटेसन हुई पौधा का देख रेख करता रहता है। बल्कि नष्ट हुए पौधों को पुनः रोपित भी करता है। वहीं लगाए गए प्लान्टेसन के कुछ हिस्सों में कुछ पौधा तैयार तो हुए है किंतु पौधों का शाख कटिंग नही किया गया है। जिसमे पौधा सही दिशा में विकास नही कर पा रहा है। विभाग के उच्च अधिकारी निष्पक्षता से जांच करे तो बडा घोटाले सामने आएगा। पर जहाँ जंगल राज हो वहां जांच व कार्रवाई की उम्मीद बेमानी ही लगती है।
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