अम्बिकापुर@मौसी के घर जाने निकले प्रभु जगन्नाथ तो रथ की रस्सी खींचने उमड़ड़े श्रद्धालु

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अम्बिकापुर,01 जुलाई 2022 (घटती-घटना)। महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा शुक्रवार को शहर में धूमधाम से निकली। श्रद्धालुओं ने रथयात्रा का जगह-जगह स्वागत किया और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की पूजा अर्चना की। भजन-कीर्तन एवं महाप्रभु के जयकारे से पूरा शहर भक्तिमय हो गया। रथ को खींचने श्रद्धालुओं में खासा उत्साह रहा। रथयात्रा जोड़ा पीपल, गांधी चौक, संगम चौक होते हुए देर शाम को दुर्गाबाड़ी स्थित महाप्रभु के मौसी के घर पहुंच कर सम्पन्न हुई। यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को स्थापित किया गया। यहां से नौ दिनों बाद महाप्रभु की अपने घर वापसी होगी।
केदारपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर में सुबह रथयात्रा से पूर्व परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना हुई। इसमें उत्कल समाज के लोग सहित बड़ी संख्या में शहर के श्रद्धालु शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए और मंगलमय जीवन की कामना की। दोपहर में पारंपरिक पूजा के साथ महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की प्रतिमा को फूलों से सजे रथ पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच स्थापित कर रथयात्रा निकाली गई। रथयात्रा जोड़ा पीपल होते हुए चोपड़ापारा स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंची। जगन्नाथ मंदिर में काफी देर तक दर्शन के लिए रथ को रोका गया। पूजा-अर्चना के बाद रथयात्रा आकाशवाणी चौक, गांधी चौक, संगम चौक, ब्रह्म रोड, सदर रोड, महामाया चौक होते हुए देर शाम को देवीगंज रोड स्थित दुर्गा बाड़ी पहुंची। दुर्गा बाड़ी को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। यहां रथयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित की गई।
शहर में जगह-जगह किया गया स्वागत
रथयात्रा का शहर में श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह स्वागत किया गया और महाप्रभु की पूजा अर्चना की गई। ढोल, नगाड़े, घंटी की थाप पर श्रद्धालु झूमते रहे। इससे पूरा शहर भक्तिमय वातावरण में डूबा रहा। रथ को खींचने लोगों में खासा उत्साह रहा। बच्चे, महिलाएं, युवा व बुजुर्ग रथ खींचने के लिए लालायित रहे। रथ जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई।
नौ दिनों बाद वापस घर लौटेंगे महाप्रभु
मौसी के घर से भगवान जगन्नाथ सहित बलभद्र एवं सुभद्रा की नौ दिनों बाद घर वापसी होगी। मौसी के घर उत्कल समाज द्वारा नौ दिनों तक उनकी परंपरागत ढंग से पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद उनको वापस श्रद्धालुओं द्वारा रथ पर बैठाकर केदारपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर लाया जाएगा। मौसी के घर में विश्राम करने के बाद दुर्गा बाड़ी से भगवान जगन्नाथ मंदिर तक जाएगी।


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