भोपाल, २8 जून 2022। अगर आप अनाथ बच्चे को गोद लेना चाहते है तो यह खबर आपके लिए है। अब बच्चा गोद लेना आसान होगा। केद्रीय महिला एव बाल विकास बच्चा गोद लेने के नियम मे बदलाव करने जा रही है। केद्रीय महिला एव बाल विकास ‘मिशन शक्ति’ के तहत इटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम मे बदलाव करने का निर्णय लिया है। नियम मे बदलाव करने के बाद एक महीने मे ही बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। साथ ही नए नियम मे कलेक्टर और एसडीएम को लेने के आदेश देने का अधिकार दिया जाएगा। साथ ही बच्चो के लिए चल रहे प्राइवेट और सरकारी शेल्टर होम मे मनोवैज्ञानिक काउसलर रखना अनिवार्य होगा।
बता दे कि अभी तक केद्रीय दाक ग्रहण प्राधिकरण के माध्यम से बच्चो को गोद दिया जाता था। बीते कुछ सालो से बच्चे को गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य किया गया था। बावजूद इसके बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने मे एक से दो साल का वक्त लग जाता है। केद्रीय महिला एव बाल विकास के सशोधन मे मजूरी के बाद यह प्रक्रिया और अब आसान हो जाएगी।
बच्चा गोद लेने के लिए ऐसे करे आवेदन
अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते है तो आपको सेट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट ष्ड्डह्म्ड्ड.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। इसके बाद कारा बच्चो की उपलधता के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करती है और फिर अनाथालयो मे पहुचने वाले बच्चो की उपलधता के आधार पर जरूरतमद दपती को बच्चे देने की प्रक्रिया पूरी करती है। इस काम को पूरा करने मे कई तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है और यह प्रक्रिया सालो चलती रहती है। अब इसी को ध्यान मे रख कर मोदी सरकार इस कानून मे बदलाव करने जा रही है। वही हाईकोर्ट की मॉनिटरिग कमेटी ने कुछ राज्यो मे सभी जिला अदालतो को निर्देशित किया है कि बच्चा गोद लेने के लिए कोर्ट सीधे आवेदन नही ले सकती। इसके लिए स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सारा) मे रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है।
अभी बच्चा गोद लेने की
यह है पूरी प्रक्रिया
4 वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए दपति की उम्र 45 साल से अधिक नही होनी चाहिए।
4 से 8 साल तक की उम्र का बच्चा 90 से सौ साल की उम्र तक के दपती गोद ले सकते है।
4 या अधिक बच्चो के पेरेट्स को बच्चा गोद नही मिलेगा।
दपति को आवेदन के साथ इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है।
अगर तलाक हो गया है तो तलाक का प्रमाण पत्र।
पति या पत्नी मे किसी मृत्यु हो गई है तो उसका प्रमाण पत्र।
आवेदक की आर्थिक स्थिति के हिसाब से कमेटी निर्णय लेती है।
लिव-इन रिलेशनशिप वाले दपतियो को बच्चा गोद नही दिया जाता।
बच्चा गोद देने मे निसतान दपति को प्राथमिकता दी जाती है।
विवाह नही किया है अकेले रहते है तो कोई बात नही।
कोई सक्रामक रोग या गभीर रोग नही इसका प्रमाण पत्र देना होगा।
आवेदक दपति का पुलिस सत्यापन एसपी ऑफिस से करवाया जाता है।
आवेदक के घर का दौरा किया जाता है।
आस-पड़ोस के वातावरण और सुविधाओ के साथ घर की व्यवस्थाओ को परखा जाता है।
बच्चे को सुपुर्द करने के बाद 10 साल तक घर का दौरा कर फॉलोअप रिपोर्ट तैयार की जाती है।
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