वर्ल्ड डेस्क, वाशिंगटन 26 जून 2022I इंडिपेंडेंट हॉल में महाद्वीपीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता की घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे। 11 साल बाद उसी कमरे में संवैधानिक सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने अमेरिका के संविधान को बनाया गया और उस पर हस्ताक्षर किए थे। इसे इंडिपेंडेंट हॉल के रूप में जाना जाता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी.रमना ने कहा है कि दुनिया के सभी नागरिकों के लिए यह जरूरी है कि वे स्वतंत्रता और लोकतंत्र को बनाए रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास करें। रमना ने कहा, “हमारे पूर्वजों ने इसके लिए लड़ाई लड़ी है”। अमेरिका के फिलाडेल्फिया में इंडिपेंडेंस हॉल का अवलोकन करने के बाद उन्होंने यह बातें कहीं।
इंडिपेंडेंट हॉल का दौरा करने के बाद सीजेआई ने कहा, यह स्मारक मानव सभ्यता में एक निर्णायक क्षण का प्रतीक है। सभी लोकतंत्र उन मूल्यों से प्रेरित हैं जो इस पवित्र स्थान से उत्पन्न हुए हैं। यह मानव गरिमा और अस्तित्व की निश्चित गारंटी और वादों का प्रतिनिधित्व करता है हम सभी के लिए। दुनिया के नागरिकों के लिए उस स्वतंत्रता और लोकतंत्र को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास करना आवश्यक है जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी है, वही उनके बलिदान के योग्य श्रद्धांजलि है। इंडिपेंडेंस हॉल में द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस ने 1976 में स्वतंत्रता की घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे। 11 साल बाद उसी कमरे में संवैधानिक सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राज्य के संविधान को बनाया और उस पर हस्ताक्षर किए। आज इसे इंडिपेंडेंट हॉल के रूप में जाना जाता है। सीजेआई रमना ने संयुक्त राज्य अमेरिका के उस पहले सुप्रीम कोर्ट का भी दौरा किया जिसने छह जजों के साथ फिलाडेल्फिया से एक दशक से अधिक समय तक कार्य किया। इससे दो दिन पहले रमना ने न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी का दौरा किया था और इसके विशिष्ट पूर्व छात्र डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्ंधाजलि अर्पित की थी। उस मौके पर सीजेआई ने कहा था, “काफी सला पहले डॉ. बी.आर.अंबेडकर इस महान शिक्षा के गलियारों से गुजरते थे। आज मुझे उनके नक्शे कदम पर चलने का सम्मान मिला। यह मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण है।” रमना ने बताया था, “मेरी कोई विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि नहीं है। मैं एक साधारण किसान परिवार का बेटा हूं। मैं विश्वविद्यालय की शिक्षा प्राप्त करने वाला परिवार में पहला हूं। आज मैं यहां भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में खड़ा हूं। ऐसी संभावना भारत के सबसे प्रगतिशील और भविष्यवादी संविधान के तहत डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व में की गई थी। मैं और मेरे जैसे लाखों लोग हमेशा दूरदर्शी के ऋणी रहेंगे।