वर्ल्ड डेस्क, बीजिंग 25 जून 2022। नए कानून के तहत अगर किसी कंपनी ने विक्रेताओं पर ये शर्त लगाई कि वे अपनी चीजें सिर्फ उसके ही प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं, तो उसे दंडित किया जाएगा। अलीबाबा कंपनी पर इसी आरोप में कार्रवाई की गई थी। इस आरोप में उस पर 2.7 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था…चीन में हाई टेक कंपनियों को सरकारी डंडे से राहत मिलने की जगी उम्मीद निराधार साबित हुई है। चीन सरकार ने अब ऐसे कानून को मंजूरी दे दी है, जिसमें लक्ष्मण रेखाएं लांघने वाली कंपनियों के लिए और भी ज्यादा कड़े दंड का प्रावधान है। चीन में एंटी-ट्रस्ट (एकाधिकार रोकने) के कानून को तैयार करने की कोशिश लंबे समय से चल रही थी। शुक्रवार को इसके ड्राफ्ट को चीनी संसद (नेशनल पीपुल्स कांग्रेस) की स्थायी समिति ने अंतिम मंजूरी दे दी। अब नए नियम अगले एक अगस्त से लागू हो जाएंगे।
चीन में अभी लागू एंटी-ट्रस्ट कानून को 2008 में मंजूरी दी गई थी। अभी जिस ड्राफ्ट को अंतिम मंजूरी दी गई है, उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन इस ड्राफ्ट का एक संस्करण पिछले अक्तूबर में जारी किया गया था। समझा जाता है कि मोटे तौर पर उसी को अब हरी झंडी दी गई है।
बड़ी टेक कंपनियों पर नजर
वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम ने अपनी एक खास रिपोर्ट में बताया है कि एकाधिकार रोकने के उपायों को सख्त बनाने के मकसद से तैयार इस दस्तावेज में ‘आविष्कार को प्रोत्साहन’ देने की बात भी शामिल की गई है। इसमें एक नई धारा शामिल की गई है। इसमें कहा गया है कि कंपनियों के प्रतिस्पर्धा रोकने के लिए डाटा, एल्गोरिद्म, टेक्नोलॉजी, पूंजी संबंधी लाभों और प्लेटफॉर्म नियमों का दुरुपयोग करने पर रोक होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस कानून का मकसद यह है कि बड़ी टेक कंपनियां छोटी कंपनियों को बाजार से बाहर ना करें। साथ ही उभर रही प्रतिस्पर्धी कंपनियों के रास्ते में अड़चनें ना डालें। बीजिंग स्थित चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ में प्रोफेसर जियाओ हाइताओ ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘संशोधित कानून के तहत उन बहुत से व्यवहारों पर रोक लग जाएगी, जिनका इस्तेमाल कंपनियां अपना एकाधिकार कायम करने के लिए करती हैं।’ समझा जाता है कि चीन ने एकाधिकार विरोधी कानून को सख्त बनाने की पहल 2018 में ही शुरू कर दी थी।
अब यह साफ हो गया है कि चीन सरकार का हाई टेक उद्योग के प्रति अपना रुख नरम करने का कोई इरादा नहीं है। चीन की एक प्रांतीय सरकार के अधिकारी ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘कठिन आर्थिक परिस्थितियों से उबरने के दौरान हो सकता है कि बड़ी इंटरनेट कंपनियों पर से कुछ प्रतिबंध हटाए जाएं। लेकिन ऐसा सीमित अवधि के लिए ही होगा। चीन के नेतृत्व की कुल नीति इंटरनेट क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को नियंत्रित करने की है, जो आगे भी जारी रहेगी।’
अलीबाबा कंपनी पर हो चुकी है कार्रवाई
नए कानून के तहत अगर किसी कंपनी ने विक्रेताओं पर ये शर्त लगाई कि वे अपनी चीजें सिर्फ उसके ही प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं, तो उसे दंडित किया जाएगा। अलीबाबा कंपनी पर इसी आरोप में कार्रवाई की गई थी। इस आरोप में उस पर 2.7 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। नए कानून के जरिए जुर्माने की रकम बढ़ाई जा रही है। साथ ही अधिकारियों को यह हक दिया जा रहा है कि अगर वे जरूरी समझें तो दोषी कंपनी के संचालकों पर आपराधिक मुकदमा भी चला सकते हैँ। साल 2021 में चीन सरकार ने एकाधिकार विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया। चीनी मीडिया के मुताबिक इसके तहत उसने 23.5 बिलियन युवान का जुर्माना वसूला। जबकि 2020 में जुर्माने के रूप में सिर्फ 40 करोड़ युवान की वसूली हुई थी।