अम्बिकापुर@रामप्यारे रसिक एवं श्रीमती संध्या सिंह की पुस्तकों का हुआ विमोचन

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अम्बिकापुर 25 जून 2022(घटती-घटना)। सरगुजा के वरिष्ट साहित्यकार रामप्यारे रसिक कृत व्यंग्य संग्रह ’जंगली प्रजातंत्र’ एवं श्रीमती संध्या सिंह के काव्य संकलन ’कोई तो है’ का गरिमामय विमोचन जीवन ज्योति हॉस्पिटल के ऑडिटोयिम में संपन्न हुआ । आयोजन के मुख्य अतिथि नवल शुक्ला,अध्यक्ष एवं निदेशक,लोक कला अकादमी, छत्तीगढ़, विशिष्ट अतिथि बंशीधर लाल सेवानिवृत्त प्राचार्य तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यमर्मज्ञ एवं विचारक बब्बनजी पाण्डेय ने की । सरस्वती वन्दना के साथ आयोजन की औपचारिक शुरूआत करते हुए रचनाकारों के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला गया । इस अवसर बी.डी.लाल ने विमोचित पुस्तकों के संदर्भ में अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि रसिक जी का रचना संसार विस्तृत है । जंगली प्रजातंत्र मे उन्होंने भारत की पारिवारिक,सामाजिक,राजनैतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों का बारीकी से अवलोकन कर हास्य व्यंग्य एवं लघुकथाओं के रूप में अपना विस्तृत प्रतिवेदन जनता जनार्दन के समक्ष प्रस्तुत किया है । कोई तो है कि कविताओं पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री लाल ने कहा कि श्रीमती संध्या सिंह सच्चाई की धरातल पर कलम चलाने वाली सषक्त हस्ताक्षर हैं जो समाज में फैली विषमताओं पर पैनी नजर रखते हुए नियमित लेखन कर समाज और देश को जागृत करने का काम कर रही हैं । उनके कार्यो की उपादेयता आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय होगी ।
मुख्य अतिथि की आसंदी से श्री नवल शुक्ला ने विमोचित पुस्तकों की प्रशंसा एवं अम्बिकापुर से जुड़े अपने संस्मरण साझा करते हुए स्त्री विमर्ष पर सारगर्भित व्याख्यान दिया । उन्होंने विमोचित पुस्तकों के रचनाकारों को अपनी शुभकामनायें दी । गोरखपुर उत्तरप्रदेश से पधारे साहित्यविज्ञ संजय सिंह ने इस अवसर पर कहा कि साहित्य के क्षेत्र में नारी भावना प्रधान होने के साथ ही पुरूषों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील हैं क्योंकि अधिकांषतः वे अपना भोगा हुआ यथार्थ लिपिबद्ध करती हैं । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बब्बनजी पाण्डेय ने वयोवृद्ध रचनाकार रामप्यारे रसिक की अस्वस्थता के कारण विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित नहीं होने की जानकारी देते हुए उनकी मंशानुसार आयोजन के लिए आयोजक मण्डल को बधाई देते हुए कहा कि-रसिक जी के इस संग्रह में निराशा,अनास्था, बौद्धिक तटस्थता आदि के स्थान पर जिजीविषा और संघर्ष करने का अदम्य साहस दिखाई पड़ता है । प्रतीकों और उपमाओं से सजी हुई इस संग्रह की भाषा एवं शैली कथा सम्राट प्रेमचन्द के युग के कथाकारों की याद दिलाती है । उन्होंने अपने चुटीले अन्दाज में संग्रह की सायकल शीर्षक रचना की कुछ पंक्तिओं को उद्धृत कर उपस्थित जनमानस को हास्य रस से सराबोर कर दिया । उन्होंने श्रीमती संध्या सिंह के नवम संग्रह ’कोई तो है’ के सफल प्रकाशन पर उन्हें बधाई देते हुए उनकी प्रतिनिधि रचनाओं पर अपने विचार व्यक्त किये तथा निरंतर लेखन के लिए प्रेरित करते हुए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दी । इस अवसर पर श्रीमती संध्या सिंह ने अपनी पुस्तक ’कोई तो है’ से दो विचारपरक रचनाओं का पाठ किया जिसकी उपस्थितजनों ने मुक्तकण्ठ से सराहना की ।
विमोचन समारोह में रामप्यारे रसिक के प्रतिनिधि के रूप में उनकी पोती श्रीमती प्रीति कष्यप उपस्थित थीं । साथ ही सर्वश्री डॉ. जे.के.सिहं, त्रिलेाक कपूर कुशवाहा,श्यामबिहारी पाण्डेय, देवेन्द्रनाथ दुबे, द्वारिका यादव विकास,मुकुन्द लाल साहू, श्रीमती आशा पाण्डेय, अर्चना पाठक, माधुरी जायसवाल,सुधीर पाठक, राजेश पाण्डेय, श्रीमती राजलक्ष्मी पाण्डेय, रेहाना खान,अरूणा राव,पुष्पा लकड़ा, विनोद हर्ष,अतुल सिंह, स्मिता सिंह, अजीत सिंह, अंजनि सिन्हा, राजनारायण द्विवेदी, सुनिता कश्यप,ममता कश्यप, श्रीमती जूली एवं शहर के सुधि साहित्यकारों सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।
कार्यक्रम का संचालन प्रकाश कश्यप तथा आभार प्रदर्शन श्रीमती संध्या सिंह ने किया ।


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