कोरबा@निगम मद से बने मंच और अधिकांश भवन खंडहर होने की स्थिति में

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  • राजा मुखर्जी-
    कोरबा, 21 जून 2022(घटती-घटना)। शहर में पिछले 20 साल में सबसे अधिक निगम का बजट खर्च हुआ है तो सामुदायिक भवन और मंच के निर्माण में। स्थिति ये है कि किसी वार्ड में 8 सामुदायिक भवन है तो कहीं 10 । मंच तो हर मोहल्ले में बना दिया गया है। इन भवनों के निर्माण में खर्च तो हो रहा है ,साथ ही इसके मरम्मत में लाखों फूंकना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या ये है कि इन भवनों का उपयोग साल में तीन से चार बार ही होता है। कई जगह तो भवन खंडहर होने लगी हैं। निगम ने अलग-अलग मद से कई समाज के लिए भवन का निर्माण कराया है। कई जगह अवैध कब्जा कर उसका उपयोग किया जा रहा है तो वहीं अधिकांश भवन खंडहर होने की स्थिति में है। एक बार भवन बनाने के बाद उसकी उपयोगिता नहीं देखी जा रही है। इसमें निगम का बड़ा बजट खर्च हो रहा है। पार्षद निधि, निगम मद से इसपर हर साल खर्च हो रहा है। लगातार बढ़ते बजट को देखते हुए निगम ने निर्णय लिया है कि अब इन भवनों का संचालन खुद ना कर प्राइवेट एजेंसी से कराया जाएगा। जो कि आयोजन के एवज में किराया लेगी। इसी से भवन के मेंटेनेंस का खर्च उठाया जाएगा, लेकिन अब तक निगम की किसी तरह की तैयारी नहीं दिख रही है, क्योंकि कोई एजेंसी संचालन के लिए तैयार नहीं दिख रहा है।
    तीन प्रकार के भवन,तीनों के लिए नई तैयारी
  1. गीतांजलि भवन और स्टेडियम स्थित राजीव गांधी ऑडिटोरियम के मेंटेनेंस में सबसे अधिक खर्च निगम को उठाना पड़ रहा है। एसी, पानी, बैठक व्यवस्था, लाइट, चौकीदार रखने में खर्च हो रहा है। अब इसे किसी निजी फर्म को अनुबंध कर दिया जाएगा। जो कि हर आयोजन का एक निश्चित शुल्क वसूली करेगा।
  2. निगम के बड़े व मध्यम सांस्कृतिक व सामुदायिक भवन
    जैसे भंडारा भवन, दशहरा मैदान भवन, इतवारी भवन, वीर सावरकर भवन को एकमुश्त प्रीमियम व मासिक किराया आधार पर 5 वर्ष के अनुबंध पर दिया जाएगा। शहर में ऐसे 40 भवन हैं।
    03.गली-मोहल्लों में निर्मित छोटे सामुदायिक भवन व मंच का
    किराया तय कर वार्ड स्तर पर एक समिति बनाई जाएगी। समिति इसका संचालन करेगी। समिति में जोनल कमिश्नर, वार्ड पार्षद, जोन उप प्रभारी होंगे।

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