वर्ल्ड डेस्क, इस्लामाबाद 20 जून 2022। रविवार को इस खबर से संबंधित एक अखबार में छपी रिपोर्ट को टैग करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ट्विट किया। इसमें उन्होंने कहा- ‘दुनिया के सर्वाधिक सम्मानित बुद्धिजीवियों में से एक चोम्स्की ने दलालों के इस गिरोह की तरफ से किए जा रहे दमन के खिलाफ आवाज उठाई है। इस गिरोह को अमेरिकी साजिश के तहत पाकिस्तान पर थोपा गया है…पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन की बढ़ती घटनाओं के कारण अब शहबाज शरीफ सरकार घिरती नजर आ रही है। कई अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों के इस बारे में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को खुला पत्र लिखने के बाद देश के अंदर भी ये मुद्दा गरमा गया है। जिन शख्सियतों ने ये पत्र शरीफ को लिखा, उनमें विश्व प्रसिद्ध भाषाशास्त्री और बुद्धिजीवी नोम चोम्स्की भी हैं।
अंतरराष्ट्रीय बुद्धिजीवियों का पत्र पाकिस्तानी मीडिया में छपा है। उसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन की घटनाओं में खतरनाक बढ़ोतरी हो रही है। पत्र में ‘पत्रकारों, सोशल मीडिया यूजर्स, और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को परेशान करने और धमकाने’ की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता जताई गई है। साथ ही पत्र में इस आरोप का जिक्र है कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ईश-निंदा के आरोप में झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। पत्र में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की नेता और मानवाधिकार मामलों की पूर्व संघीय मंत्री शिरीन मजारी के साथ सुरक्षा बलों के दुर्व्यवहार का खास उल्लेख किया गया है।
इमरान खान से किया ट्वीट
रविवार को इस खबर से संबंधित एक अखबार में छपी रिपोर्ट को टैग करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ट्विट किया। इसमें उन्होंने कहा- ‘दुनिया के सर्वाधिक सम्मानित बुद्धिजीवियों में से एक चोम्स्की ने दलालों के इस गिरोह की तरफ से किए जा रहे दमन के खिलाफ आवाज उठाई है। इस गिरोह को अमेरिकी साजिश के तहत पाकिस्तान पर थोपा गया है। हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का क्रूरता से उल्लंघन किया गया है। खास कर ऐसा हकीकी आजादी मार्च के समय हुआ।’ ‘हकीकी आजादी मार्च’ का आयोजन इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने पिछले महीने किया था। पर्यवेक्षकों के मुताबिक चोम्स्की और अन्य बुद्धिजीवियों के खुला पत्र लिखने से इमरान खान के समर्थकों को काफी बल मिला है। इसके आधार पर अब वे दावा कर रहे हैं कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के ‘लोकतंत्र विरोधी रुख’ पर दुनिया का ध्यान जा रहा है। बुद्धिजीवियों ने अपने पत्र में पत्रकारों के घरों पर छापा मारने और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की घटनाओं का जिक्र किया है। साथ ही उन्होंने इस आरोप भी उल्लेख किया है कि मौजूदा सरकार ने विरोधी राजनेताओं के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हैकिंग कराई है। पिछले दिनों पीटीआई के नेताओं के खिलाफ ईश-निंदा के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। ये मामला मस्जिद नवाबी के कैंपस में हुई घटना के आधार पर दर्ज किया गया। सऊदी अरब में स्थित इस मस्जिद में जब प्रधानमंत्री शरीफ गए थे, तब उनके खिलाफ नारेबाजी हुई थी। उस सिलसिले में पीटीआई नेतृत्व पर इस्लाम को कलंकित करने का अभियोग लगा दिया गया। चोम्स्की और उनके साथियों ने इस घटना पर अपना खास विरोध जताया है।
सरकार कर रही ईश-निंदा संबंधी का कानून का दुरुपयोग
पत्र में कहा गया है- ‘सरकार ईश-निंदा संबंधी का कानून का दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों से बदला लेने के लिए कर रही है। परेशान करने वाली ये घटनाएं न्यूनतम लोकतांत्रिक शासन, पाकिस्तान के संविधान में दी गई बुनियादी आजादियों, और नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन हैं।’ पीटीआई पहले से शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट सरकार पर मानवाधिकारों हनन करने के आरोप लगाती रही है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसी आवाज उठने से शरीफ सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी हुई है।