रायपुर, 19 जून 2022। प्रदेश सहित राजधानी के आसपास ग्रामीण क्षेत्रो मे कृत्रिम तालाब बनाकर मत्स्य पालन के नाम पर बड़ी सख्या मे प्रतिबधित मागुर मछली का उत्पादन हो रहा है। जिसे मछली उत्पादक मोगरी के नाम मे बेच कर लोगो को धामी जहर दे रहे है। मागुर मछली खाने के लोगो को कई तरह की बीमारियो का पता चलने के बाद से सरकार ने मागुर मछली के उत्पादन और बचने पर प्रतिबध लगा दिया था। यह भाजपा शासनकाल के समय से पिछले 7-8सालो से प्रतिबध लगा हुआ है। अधिक कमाई के लालच मे मछली उत्पादक चोरी छिपे मागुर का उत्पादन कर मोगरी के नाम से बड़ी आसानी से मार्केट मे बेच रहे है। जिसे तस्करी के रास्ते एक राज्य से दूसरे राज्य मे पहुचाया जा रहा है। हाल ही मे इसका खुलासा कोडागावमे हुआ जहा एक मछली से भरे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसमे परतिबधित मछली मागुर मिले जिसे प्रशासन ने तत्काल नष्ट कराया। राजधानी मे स्वास्थ्य अमले को मछली मार्केट मे जाकर जाच करनी चाहिए कि कही मोगरी ने नाम पर यहा भी मागुर तो नही बेचा जा रहे है। भारत सरकार ने मागुर के उत्पादन और पूरी तरह बैन लगा रखा है उसके बाद भी छुटभैया नेता और मागुर माफिया तस्करी के रास्ते लोगो को मागुर परोस कर गबी्र बीमारियो से पीडि़त कर रहे है।
कोण्डागाव के चिखलपुटी मे अग्रवाल पेट्रोल पम्प के सामने प्रतिबधित हाइब्रिड मागुर मछली रखकर आध्रप्रदेश से रायपुर की ओर जाते हुए बोलेरो पिकअप वाहन क्रमाक एपी 16 टीएस 2504 अचानक अनियत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन मे रखी मागुर मछलिया आसपास बिखर गयी थी जिसे देखते स्थानीय लोगो द्वारा प्रशासन को सूचना दी गयी। जिसमे अधिकारियो द्वारा जाच मे 4-5 म्टिल प्रतिबधित मागुर मछलियो के परिवहन की बात सामने आयी। जिस पर पुलिस विभाग द्वारा पता किये जाने पर वाहन मालिक आध्रप्रदेश के ग्राम ऐलुरू निवासी एम दुर्गा राव पिता एम रामा राव का होने की बात सामने आयी तथा वाहन चालक किरन राव पिता भास्कर भी उसी गाव का है। घटनास्थल पर दोनो के द्वारा अवैध रूप से परिवहीत की जा रही 4-5 म्टिल प्रतिबधित हाइब्रिड मागुर पायी गयी थी। जिससे नियमानुसार मत्स्य विभाग द्वारा शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र कोपाबेड़ा मे राजस्व, मत्स्य एव पुलिस विभाग के अधिकारियो की उपस्थिति मे नष्ट कर दिया गया। इस अवसर पर सहायक सचालक मत्स्य पालन एम एस कमल, सहायक मत्स्य अधिकारी योगेश देवागन, मत्स्य निरीक्षक हरिश पात्र, थाना प्रभारी कोण्डागाव भीमसेन यादव, प्रधान आरक्षक पन्नालाल देहारी, रामचन्द मरकाम, आरक्षक लोकेश शोरी सहित राजस्व विभाग से हलका नम्बर 15 के पटवारी झनकलाल समरथ भी उपस्थित रहे।
कही आप तो नही खा रहे ये मछली! हो सकता है कैसर
थाईलैड मे विकसित थाई मागुर पूरी तरह से मासाहारी मछली है। इसकी विशेषता यह है कि यह किसी भी पानी (दूषित पानी) मे तेजी से बढ़ती है, जहा अन्य मछलिया पानी मे ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, लेकिन यह जीवित रहती है। मछली का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है, पर यह खबर आपको सावधान करने के लिए है। क्योकि राज्य के मछली बाजारो मे मागुर मछली की बिक्री बेरोक टोक जारी है। थाईलैड की प्रजाति होने के कारण इसे थाई मागुर कहा जाता है. डॉक्टर मानते है कि मागुर मछली खाने से कैसर हो सकता है। मछली पर बैन होने के बावजूद यह खुलेआम बाजार मे बेची जा रही है। राजधानी के थोक मछली बाजार मे यह मछली जिदा बेची जाती है. दुकानदार हाइब्रिड मागुर को देसी मागुर या बॉयलर मागुर बता कर बाजार मे बेच रहे है। जबकि राची मे समेत पूरे राज्य मे इसकी बिक्री पर बैन लगा हुआ है।
गौलतरब है कि भारत सरकार मे साल 2000 मे ही थाई मागुर नामक मछली के पालन और बिक्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसकी बेखौफ बिक्री जारी है। इस मछली के सेवन से घातक बीमारी हो सकती है. इसे कैसर का वाहक भी कहा जाता है। ये मछली मासाहारी होती है, इसका पालन करने से स्थानीय मछलियो को भी क्षति पहुचती है. साथ ही जलीय पर्यावरण और जन स्वास्थ्य को खतरे की सभावना भी रहती है।
थाई मागुर खाने के नुकसान
थाईलैड की थाई मागुर मछली के मास मे 80 प्रतिशत लेड और आयरन की मात्रा होती है। इसलिए इसका सेवन करने से कई प्रकार की इस मछली को खाने से लोगो मे गभीर बीमारी हो सकती है. बता दे की मागुर मछली मासाहारी मछली है, यह मास को बड़े चाव से खाती है। सड़ा हुआ मास खाने के कारण इन मछलियो के शरीर की वृद्धि एव विकास बहुत तेजी से होता है. यह कारण है क्य ह मछलिया तीन माह मे दो से 10 किलोग्राम वजन की हो जाती है। इन मछलियो के अदर घातक हेवी मेटल्स जिसमे आरसेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड अधिक पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। थाई मागुर के द्वारा प्रमुख रूप से गभीर बीमारिया, जिसमे हृदय सबधी बीमारी के साथ न्यूरोलॉजिकल, यूरोलॉजिकल, लीवर की समस्या, पेट एव प्रजनन सबधी बीमारिया और कैसर जैसी घातक बीमारी अधिक हो रही है।
थाई मागुर पर्यावरण
के लिए घातक
थाईलैड मे विकसित थाई मागुर पूरी तरह से मासाहारी मछली है. इसकी विशेषता यह है कि यह किसी भी पानी (दूषित पानी) मे तेजी से बढ़ती है, जहा अन्य मछलिया पानी मे ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, लेकिन यह जीवित रहती है. थाई मागुर छोटी मछलियो समेत यह कई अन्य जलीय कीड़े-मकोड़ो को खा जाती है. इससे तालाब का पर्यावरण भी खराब हो जाता है. पिछले दिनो धनबाद के मैथन मे पुलिस ने चार टन प्रतिबधित थाई मछली को जत किया था. इसके बाद भी रोजाना प्रदेश मे थाई मछली का खेप पहुच रहा है।
इन मछलियो की
बिक्री पर है रोक
भारत मे थाई मागुर, बिग हेड और पाकु विदेशी नक्सल की हिसक मासाहारी मछलियो की बिक्री पर रोक लगी हुई है। उनका भारत मे अवैध तरीके से प्रवेश हुआ है. भारत सरकार ने 2020 मे इन तीनो प्रजाति की मछलियो की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है। कर्नाटक, आध्रप्रदेश और केरल उच्च न्यायालय, ग्रीन ट्रियूनल के द्वारा थाई मागुर के पालन पर पूर्णत: प्रतिबध लगाने का आदेश जारी किया है।
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