कम उम्र में ही बढ़ रहे हैं हृदय रोगों से मौत के आंकड़े, यह आसान सा उपाय 35 फीसदी तक कम कर देगा जोखिम

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हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली 18 जून 2022।  हृदय रोग (सीवीडी) को दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019 में सीवीडी से अनुमानित 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जो कुल वैश्विक मौतों का 32 प्रतिशत है। इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुईं। गंभीर बात यह है कि हृदय रोगों के शिकार कम आयु वाले लोग भी तेजी से हो रहे हैं। भारत में भी यह खतरा बढ़ता जा रहा है, अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला से लेकर हाल ही में गायक केके की मौत भी कम उम्र में हृदय से संबंधित समस्याओं के कारण हुई है। अध्ययन  में विशेषज्ञ सभी लोगों को इस खतरे से बचे रहने के लिए आहार और जीवनशैली को ठीक रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है हमारी कई खराब आदतें हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा देती हैं। इसी से संबंधित जोखिमों को कम करने के लिए किए गए विश्लेषण में ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने एक आसान से उपाय के बारे में बताया है जिसको प्रयोग में लाकर हृदय रोगों के जोखिम को 35 फीसदी तक कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी लोगों को इस बारे में गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है। आइए आगे इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनियाभर में जिस तरह से पिछले एक दशक में हृदय रोगों के केस में अप्रत्याशित उछाल देखा गया है, वह चिंता बढ़ाने वाला है। इसके कारणों पर गौर किया जाए तो लोगों में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता को प्रमुख कारण के रूप में देखा जा सकता है। ऐसे में यदि शारीरिक सक्रियता पर ध्यान दे दिया जाए तो हृदय और संचार संबंधी बीमारियों के विकास के जोखिम को 35 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। शारीरिक निष्क्रियता की समस्या लगभग हर आयु वर्ग के लोगों में देखी जा रही है।
लाखों लोगों की हर साल होती है मौत
न्यूयॉर्क के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ के अनुसार, अमेरिका में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 60 फीसदी लोगों में शारीरिक निष्क्रियता के मामले देखे जा रहे हैं। इस वजह से यहां सालाना कोरोनरी हृदय रोगों के कारण 7 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी इस खतरे को लेकर लोगों को सचेत करता रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक शारीरिक रूप से सक्रिय, नियमित रूप से व्यायाम करने वाले लोगों में अन्य की तुलना में हृदय रोगों से मृत्यु का जोखिम 20 से 30 तक कम होता है।
अधिक समय तक काम करना भी नुकसानदायक
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के नवीनतम अनुमान के आधार पर एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रति सप्ताह 55 या उससे अधिक घंटे काम करने वाले लोगों में स्ट्रोक का अनुमानित जोखिम 35 फीसदी और अन्य हृदय से मृत्यु का खतरा 17 फीसदी अधिक होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सप्ताह में 35-40 घंटे काम करना स्वस्थ माना जाता है। इस दौरान भी शारीरिक सक्रियता का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए। 
हृदय को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
विशेषज्ञों का कहना है कि हृदय रोगों के बढ़ते खतरे से बचे रहने के लिए सभी लोगों को शारीरिक निष्क्रियता कम करने पर जोर देना चाहिए। नियमित गतिविधि, जैसे वॉक-रनिंग, योग-व्यायाम न केवल आपके हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक हैं साथ ही यह आपके मूड को ठीक रखकर एकाग्रता और याददाश्त में भी सुधार करने में मदद करते हैं। दिनचर्या में  कोई भी एरोबिक व्यायाम जैसे वॉकिंग, तैराकी, डांस आदि को शामिल करके  हृदय को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: दैनिक घटती-घटना  के  हेल्थ एंड फिटनेस कैटेगिरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर और विशेषज्ञों,व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं. लेख में उल्लेखित तथ्यों और सूचनाओं को दैनिक घटती-घटना के पेशेवर पत्रकारों द्वारा परखा व जांचा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठकों की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। दैनिक घटती-घटना  लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और ना ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।


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