विभाजन में कोरिया के साथ अन्याय को लेकर आक्रोश खत्म होने का नाम नहीं ।
कोरिया का बंटवारा बराबर-बराबर क्यों नहीं?
एक को देखकर दूसरे से छिनने वाली स्थिति कोरिया के साथ क्यों?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 12 जून 2022 (घटती-घटना)। कोरिया के लिए 15 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद काले दिन में तब्दील हो गया था, जिस लेकर वादा किया गया था की कोरिया के साथ अन्याय नहीं होगा पर अन्याय होता देखा एक पर फिर कोरिया बचाओ मंच, सर्व आदिवासी समाझ, सर्व समाज संगठन एंव क्षेत्र के समस्त रहवासिजन का विरोध शुरू हो गया है आज 13 जून को विशाल रैली व धरना प्रदर्श किया जाएगा।
ज्ञात हो की कोरिया जिले का विभाजन कर नवीन जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) बना दिया गया है। इस अन्यायपूर्ण असंतुलित विभाजन से असंतुष्ट होकर तमाम जिलेवासियों, व्यापारिक, सामाजिक व राजनैतिक संगठनों द्वारा विरोध करते हुए कोरिया बचाव मंच के माध्यम से 63 दिनों तक अनवरत धरना, रैली, आंदोलन चलाया और अपनी बातों को विरोध स्वरूप प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के समक्ष रखा। तत्पश्चात् मुख्यमंत्री एवं स्थानीय विधायक के आश्वासन पर धरना प्रदर्शन समाप्त किया गया। किन्तु 11 नवम्बर 2021 को प्रकाशित राजपत्र में सीमा विभाजन को लेकर बैकुण्ठपुर, बचरा पोंड़ी क्षेत्र के लोगों को निराशा हाथ लगी, यह देखते हुए तमाम सत्ता पक्ष-विपक्ष के सभी राजनैतिक दलों ने नगरीय निकाय वैकुण्ठपुर, शिवपुर-चरचा चुनाव के बहिष्कार करने का निर्णय लिया, फलस्वरूप मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया एवं संसदीय सचिव- स्थानीय विधायक अम्बिका सिंहदेव के द्वारा चुनाव कराने हेतु आश्वस्त किया गया कि कोरिया का विभाजन न्यायपूर्ण होगा साथ ही कांग्रेस के घोषणा पत्र के कडिका क्रमांक 01 में स्पष्ट लिखा गया कि “खडगवां विकासखण्ड के जो ग्राम पंचायत कोरिया जिले में शामिल होना चाहते हैं शामिल किया जायेगा। “तत्पश्चात् वैकुण्ठपुर, बचरा पोंड़ी के 6500 व्यक्तिगत दावा-आपत्ति 44 ग्राम सभाओं के प्रस्ताव, खड़गवा जनपद के सामान्य सभा का प्रस्ताव के साथ राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग रायपुर में सर्व आदिवासी समाज व कोरिया बचाओ मंच प्रतिनिधियों के माध्यम से कोरिया जिले में यथावत रहने हेतु दावा आपत्ति प्रस्तुत करते हुए, माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छग में पीआईएल दर्ज कराया गया, जहां न्यायालय ने निर्देश दिया कि कोरिया जिला के याचिकाकर्ता पुन: राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में 15 दिवस के भीतर दावा आपत्ति प्रस्तुत करेंगे तथा दावा आपत्तियों के निराकरण के पश्चात् ही राज्य सरकार द्वारा जिला गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाये साथ ही कहा कि निराकरण से असंतुष्ठ होने पर पुन: याचिकाकर्ता न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर सकेंगे।
वर्तमान में न्यायालय के निर्देशों से इतर जाते हुए राज्य सरकार दावा आपत्तियों का निराकरण किये बगैर ओएसडी नियुक्त कर जिला गठन की प्रक्रिया को प्रारंभकर चुकी है जो कि मातृ जिला कोरिया वासियों के साथ अन्याय है। उक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कोरिया जिले के आगमन के पूर्व दिनांक 13/06/2022 को एक विशाल ध्यानाकर्षण, वादा निभाओ रैली एवं आमसभा का आयोजन किया जाकर मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांगों को अवगत कराया जावेगा। उक्त कार्यक्रम में कोरिया जिले के मातृ भूमि से प्यार करने वाले सभी सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक संगठन, जनप्रतिनिधि, आमजन सभी से आग्रह है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में कार्यक्रम में सम्मिलित होकर इस आन्दोलन को सफल बनाने में अपनी सहभागिता प्रदान करें।
आपत्ति का कारण एवं आधार
पूर्वजों के ऐतिहासिक धरोहर व धार्मिक आस्था कोरियागढ़ पहाड़ जो कि जनपद पंचायत खडगवां के ग्राम पंचायत सिंघत गणेशपुर के पास स्थित है, उक्त कोरियागढ (कोडयागढ़ पहाड़) में कई आदिवासी राजाओं द्वारा अपना गढ़ स्थापति कर राज किया गया था। जहां आदिवासी राजाओं द्वारा पूजे जाने वाले देवी-देवताओं को उक्त पहाड़ में स्थान देकर आस्था को पहचान दिया गया है। कोरिया जिले के सम्पूर्ण जनता के साथ-साथ कोरियागढ़ आदिवासियों के आस्था का प्रमुख केन्द्र है। आज भी वहां किला के अवशेष के साथ-साथ देवी-देवताओं के स्थान देखे जा सकते हैं। कोरियागढ़ से ही कोरिया रियासत फिर बाद में वर्ष 1998 में नये जिले का गठन कर कोरिया जिला नाम दिया गया है। खड़गवां विकाखण्ड को कोरिया जिला में रहने से धार्मिक आस्था सहित जिले का नाम अस्तित्व में बना रहेगा। जिस कारण संपूर्ण खड़गवां विकासखण्ड को कोरिया जिला में यथावत रखा जावे।
मातृ जिला
इतिहास उठाकर देखें तो जब देश बटा, कई राज्य बने, कई जिले बने तो आज दिनांक तक मातृ देश, राज्य, जिलों को कभी छोटा नहीं 164087 किया गया। अनुसूचित जिला कोरिया का गठन सन् 1998 में किया गया था, जिसमें 05 विकासखण्ड शामिल है। प्रकाशित राजपत्र के अनुसार जिले विभाजन के उपरांत कोरिया जिले में 02 विकासखण्ड ही शेष रह जायेंगे। वर्तमान में कोटडोल को विकासखण्ड बनाने का प्रस्ताव शासन के द्वारा भेजा गया है जो कि भरतपुर विकासखण्ड और सोनहत विकासखण्ड के रामगढ़ क्षेत्र को जोडक़र नया ब्लॉक का सृजन महामहिम राष्ट्रपति जी के समक्ष प्रस्तावित है, वर्तमान परिस्थिति के अनुसार यह ब्लॉक भी नये जिले मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में ही जुडऩे की संभावना है। जिससे कोरिया जिले का क्षेत्रफल और घट जायेगा। विकासखण्ड सोनहत के 60 प्रतिशत हिस्से वन भूमि है जो टाइगर रिर्जव फॉरेस्ट क्षेत्र कहलाता है। ऐसे में कोरिया जिले में राजस्व ग्रामों की संख्या बहुत ही कम रह जायेगी जो कि जिले के विकास के लिए अवरोधक होगी। 23 वर्षों पश्चात् आज भी 09 मुख्य जिला कार्यालय पूर्व से ही बन रहे नव घोषित मनेन्द्रगढ़ – चिरमिरी – भरतपुर जिले में स्थापित हैं जिसके कारण अनुसूचित जिला कोरिया अपूर्ण एवं अविकसित है। मातृ जिले को नये जिले से क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा किया जाना क्षेत्रवासियों के लिए न्यायोचित नहीं है।
विकासखण्ड खड़गवां के ग्राम सभाओं के प्रस्ताव
अनुसूचित जिला कोरिया होने के कारण संविधान के पांचवी अनुसूची क्षेत्र अंतर्गत पंचायत का विस्तार अधिनियम 1996 (पेशा एक्ट) लागू है तथा संविधान में अनुच्छेद 13,3 (क) के तहत् रूदि और प्रथा को विधि का बल प्राप्त होने के कारण ग्राम सभाओं और पारंपरिक ग्राम सभाओं को अपने क्षेत्र के विषय में निर्णय लेने का विशेषाधिकार प्राप्त है। विकासखण्ड खड़गवां के 44 ग्राम सभाओं का प्रस्ताव, जनपद पंचायत खड़गवां के सामान्य सभा का प्रस्ताव तथा पारंपरिक ग्राम सभा का प्रस्ताव अनुसूचित जिला कोरिया में यथावत रहने बावत् पास किया गया है जो कि प्रकाशित राजपत्र के सीमानुसार ग्राम सभा के विशेषाधिकार का उल्लंघन है तथा ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्ताव को अमल में न लाने से जन भावनाओं के खिलाफ होगा जो विधि संगत नहीं है।
त्रुटिपूर्ण राजपत्र का प्रकाशन
(अ) विषयांतर्गत प्रकाशित छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) अनुसार भू-राजस्व संहिता 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) की धारा-13 की उपधारा (2) परंतुक में अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुशरण में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए नवीन जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी- भरतपुर का सृजन किया जा रहा है किन्तु उक्त धारा के अनुसार नवीन जिला बनाने का कारण दर्शाया जाना आवश्यक है जो कि राजपत्र में प्रकाशित नहीं किया गया यह भू-राजस्व संहिता की धारा 13 की उपधारा (2) का उल्लघन है। (ब) उक्त राजपत्र में प्रकाशित उपखण्ड (भरतपुर तथा उपखंड खड़गवा-चिरमिरी आज दिनांक तक राज्यपाल/राज्य सरकार द्वारा सृजन कर अधिसूचित नहीं किया गया है, जिन उपखंडो का सृजन ही नहीं किया गया है उसे राजपत्र में प्रकाशित कर गलत तरीके से जनता को गुमराह किया जा रहा है जो कि विधि संगत नहीं है।
छत्तीसगढ़ जिला पुर्नगठन आयोग की सिफारिश
नवीन जिला के सृजन में जिला पुर्नगठन आयोग का गठन करते हुए आयोग के द्वारा जिला विभाजन हेतु भौगोलिक, पारम्परिक सीमा, जनसंख्या, वित्त का प्रबंधन इत्यादि विषयों पर रिपोर्ट तैयार किया जा कर अनुशंसा किया जाना आवश्यक होता है जो कि आयोग का गठन न करते हुए इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। जिस कारण नवीन जिला के सृजन में मनमाने तरीके से असंतुलित विभाजन किया जा रहा है।
दूरी एवं अन्य सुविधाएं
वर्तमान खड़गवां ब्लॉक के क्षेत्र जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर से मात्र 15-35 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि नवीन जिला का मुख्यालय का स्थान निर्धारित न होने के कारण आवागमन हेतु ग्रामवासियों को कितनी दूरी तय करना पड़ेगा स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में बेहतर स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, सुगम यातायात से आवागमन इत्यादि समस्त सुविधाएं प्राप्त हैं। इस क्षेत्र के लोगों को नवीन जिले में दूरी के कारण सभी मूलभूत सुविधाओं हेतु कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा जिससे यहां कि गरीब आदीवासी वर्ग को बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
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