- कोरिया के अधिकांश अधिकारी खराब फॉर्म में क्या मुख्यमंत्री सभी का लेंगे विकेट।
- कोरिया में ओपनर से लेकर मिडिल ऑर्डर तक के अधिकारियों का फॉर्म खराब।
- कोरिया जिले के अधिकारियों का फॉर्म इतना खराब है की इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री को भी है।
- मुख्यमंत्री के कोरिया दौरे से लोगो को काफी उम्मीद व कार्यवाही का रहेगा इंतजार।
- कोरिया में प्रशासनिक कसावट के लिए एक सिरे से फेरबदल बदल की जरूरत।
- जनता मुख्यमंत्री की मुरीद हो चुकी हैं पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बेरुखी व बेलगाम प्रशासन मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल कर रहा।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 08 जून 2022 (घटती-घटना)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सरगुजा संभाग दौरा इस समय हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है लोग की उम्मीद जाग गई है कि मुख्यमंत्री अपनी जनता की सुनेंगे और जिले में हो रहे परेशानियों से जनता को मुक्ति दिलाएंगे यही वजह है कि कोरिया जिले में मुख्यमंत्री के आने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है शिकायतें भी भ्रष्ट अधिकारियों की खूब होगी, शिकायत तो विधायकों की भी खूब होगी, आम जनता के साथ-साथ खुद कांग्रेसजन भी नाखुश हैं तो इस बार शिकायत जनता के साथ साथ अपने विधायकों से नाखुश कांग्रेसी भी अपने मुखिया को अपना दर्द बयां करेंगे। कोरिया में खराब फॉर्म में स्वास्थ विभाग के सीएमएचओ, पुलिस विभाग की एडिसनल व थानेदार, वन विभाग के मशहूर रेंजर जो अब हैं एसडीओ व डीएफओ हैं, जिला पंचायत सीईओ, खनिज विभाग के अधिकारी सभी का फॉर्म जनता के खिलाफ खराब है,वहीं कुछ पटवारी और राजस्व निरिक्षिकों की भी शिकायत होनी तय है, जिनका विकेट गिराना मुख्यमंत्री के लिए अत्यंत जरूरी है क्योंकि इस समय मुख्यमंत्री की गेंद काफी धारदार है और वह खराब फॉर्म में चल रहे अधिकारियों की विकेट लेने में बिल्कुल भी संकोच नहीं कर रहें हैं।
ज्ञात हो की मुख्यमंत्री प्रोटोकॉल के अनुसार 90 विधानसभा का दौरा करेगे और 90 विधानसभा की समस्या मुख्यमंत्री सुनेगे साथ ही तुरंत एक्शन भी लेगे, जैसा कि प्रोटोकॉल के अनुसार कोरिया जिले में मुख्यमंत्री 9 जून से 11 जून तक तीनों विधानसभा में रहने का कार्यक्रम था जो बदलने की बात कही जा रही है सूत्रों की मामने तो कोरिया जिले में सीएम भूपेश बघेल के दौरा कार्यक्रम में हुआ बदलाव हुआ है अब 16 से 18 जून तक रहेंगे जिले में पहले 9 से 11 तक का था कार्यक्रम। क्योंकि अभी उन्होंने संभावित सरगुजा संभाग के तीनो जिले का दौरा कर लिया है और लोगों की शिकायतों पर अधिकारियों के विकेट भी लिए, इस गिरते विकेट को देखते हुए कोरिया वासी बेसब्री से मुख्यमंत्री के आने वाले तिथि का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि कोरिया ही एक ऐसा जिला है जहां पर अधिकारियों का सबसे ज्यादा खराब फॉर्म चल रहा है यहां के अधिकारियों से हर वर्ग के लोग परेशान है हर विभाग के अधिकारियों ने लोगों को परेशान कर रखा है सरगुजा दौरे के बाद कोरिया जिले के लोगों में भी यह उम्मीद जगी है कि जिले को भी भ्रष्ट अधिकारियों से मुक्ति मिलेगी और 15 महीने अच्छा गुजरेगे, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री किस किस विभाग के कितने अधिकारियों के विकट गिराते हैं क्योंकि मुख्यमंत्री कोरिया जिले के हर पहलू से वाकिफ है और उन्हें सारी जानकारी पहले से ही है ऐसे में कोरिया जिले में अधिकारी बचने के लिए शिकायतकर्ताओं को मुख्यमंत्री तक पहुंचने से भी रोक सकते हैं।
क्या कोरिया के ओपनर बैट्समैन जिला पंचायत सीईओ का विकेट गिरेगा
कोरिया जिले में सबसे ज्यादा जिला पंचायत सीईओ को लेकर लोगों में नाराजगी है यह नाराजगी आम लोगों से लेकर कर्मचारी व राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों में भी है जिला पंचायत सीईओ अपने मुद्दों से भटक गए हैं और अब उन्हें आम जनता की फिक्र नहीं है आम जनता की कई शिकायतों पर जांच आज तक लंबित है जो कब पूरा होगी इसका पता नहीं, यह सब वजह शिकायत के तौर पर मुख्यमंत्री के पास पहुंच सकता हैं और इनके विकेट गिरने की संभावना अभी से ही जताई जा रही है जिसे लेकर जिला पंचायत सीईओ भी अंदर से सहमे हुए पर क्या होगा यह तो मुख्यमंत्री के दौरे में आने के बाद ही पता चलेगा कि मुख्यमंत्री इनका विकेट ले पाएंगे या फिर यह अच्छी बैटिंग कर मुख्यमंत्री के गेंदों से जिला पंचायत सीईओ बच जाएंगे।
दूसरा है स्वास्थ्य विभाग जिसके मुखिया को पैसे के आलावा स्वास्थ्य व्यवस्थाओ से नहीं है कोई सरोकार
कोरिया जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की बात की जाए तो यह सबसे अधिक खराब है वहीं इसकी सिर्फ एक ही वजह बताई जाती है वह है स्वास्थ्य विभाग के मुखिया मतलब की जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जब से वर्तमान जिला स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया को जिले का मुखिया बनाया गया है तब से स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है, साहब पैसे कमाने में इतने मशगूल हैं कि इनके पास स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने का समय नहीं है ना तो परेशानी में जूझ रहे लोगों को फोन उठाने का, इनके पास यदि कोई समस्या के समय फोन करता है तो फोन स्विच ऑफ कर देते हैं या फिर फोन काट देते हैं ऐसा हम नहीं ऐसा स्वास्थ से संबंधित परेशान लोग का कहना हैं ऐसे कई दृश्य आ चुके हैं जिससे स्वास्थ विभाग हमेशा ही चर्चाओं में रहा पर इन अधिकारी के सलाहकार भी काफी राजनीतिक हैं तीनों विधायक इनके मुरीद हैं यही वजह है कि इनका बचाव पक्ष काफी तगड़ा है इन्हें बचाने के लिए विधायक तो सामने आ जाते हैं पर सुविधाओं को अच्छा करने के लिए विधायकों को कोई मतलब नहीं रहता है।
कोरिया का एक ऐसा रेंजर जो एसडीओ बनकर भी बने रहेंगे जिले में
तीसरे नंबर पर आते हैं वन विभाग बैकुंठपुर के एसडीओ जो अभी-अभी रेंजर से एसडीओ बने हैं नाम है अखिलेश मिश्रा इनकी संपत्ति कैसे बढ़ रही है यह तो इनके ऊपर मेहरबान लोग ही बता सकते हैं पर इनके अधिकार क्षेत्र में जो काम होते हैं उसमें गोलमाल ज्यादा होता है पर किसी में हिम्मत नहीं कि इनके कामों की जांच कर सकें, और इनके गोलमाल का पता कर सकें, गोलमाल भी दाल में नमक जैसा नहीं पूरी दाल ही काली जैसी होती, फिर भी अपने पहुंच व पकड़ से काली दाल को भी सफेद करके दिखा देते हैं, यही वजह है कि उनका कार्यकाल कोरिया जिले में इतना लंबा हो चुका है, शासकीय विभागों में लगभग यही देखने को मिलता रहा है कि अधिकारियों को एक ही जगह बहोत समय तक नहीं रहने दिया जाता और कुछ सालों को सेवा एक जगह लेकर उनका तबादला कर दिया जाता है, यदि ऐसे तबादला नहीं भी किया जाता है तो कम से कम जब अधिकारियों का प्रमोशन होता है तब तबादला जरुर किया जाता है और यह अमूमन सभी शासकीय विभागों में जारी नियम है और जिसका पालन भी सभी विभाग करते आ रहें हैं, लेकिन कोरिया जिले के बैकुंठपुर वन विभाग में एक ऐसे अधिकारी भी हैं जिनका तबादला जिले से बाहर विभाग कर पाने में खुद को सक्षम नहीं मानता और वह एक ही जिले में लगातार काम करते चले आ रहें हैं और जबकि कई बार उनका प्रमोशन भी हो चुका है और उसके बाद भी विभाग उनको जिले से कहीं और भेज पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इतना लंबा कार्यकाल कोरिया जिले में किसी का भी नहीं होगा, यह इतिहास के पन्नों में इनका नाम सुनहरे पन्नों पर लिखा गया है, रेंजर में 10 साल बिता लिए एसडीओ भी बन गए पर जमे कोरिया में है, साहब की संपत्तियों को लेकर भी उठते रहे सवाल, रिश्तेदार भी साहब के हो चुके मालदार। क्या सतर्कता व आयकर विभाग भी साहब की गिरफ्त में हैं लगातार। अरबों की संपत्ति के साहब बन बैठे हैं जिले सहित प्रदेश में मालिक। भाजपा सरकार रही हो या वर्तमान की कांग्रेस सरकार, रेंजर साहब की मौज बरकरार, क्या रेंजर से एसडीओ बने साहब का नहीं होगा तबादला, उठ रहा विभाग पर ही सवाल? एसडीओ बने बैकुंठपुर रेंजर को पदोन्नति पश्चात भी जिले से बाहर नहीं भेज पाया कोई, विभाग में पकड़ भी ऐसी की पूरे प्रदेश के वन विभाग में इनका तबादला कराने किसी भी अधिकारी में हिम्मत नहीं, जिले में मुख्यमंत्री का दौरा है क्या मुख्यमंत्री की नजर इन पर पड़ती है या नहीं क्या इस बार इनका विकेट गिरेगा या फिर अब अगली सरकार में ही उनका विकेट गिरेगा, वैसे सूत्रों की माने तो इनका विकेट गिरना मुश्किल है क्योंकि विधायकों को खुश करके रखे हैं और विधायक अपने मुखिया को खुश करेंगे, ताकि इनका विकेट ना ले पाए मुख्यमंत्री, यदि इस बार विकेट नहीं गिरता है तो इतिहास के पन्नों में एक नाम दर्ज हो जाएगा, इनका रिटायरमेंट भी इसी जिले से होगा जो आज तक किसी का नहीं हुआ होगा, मुख्यमंत्री से शिकायत भी होनी है अब देखना है कि क्या मुख्यमंत्री इनका विकेट ले पाते हैं या नहीं, सूत्रों की माने तो नवपदस्त एसडीओ की प्रैक्टिस जारी वह अपना विकेट नहीं गिरने देगे।
कोरिया जिले में दोहराए जाते है अधिकारी
चौथे नंबर पर आते हैं कोरिया वनमण्डल के डीएफओ जो कोरिया वनमण्डल की स्थापना 08 जनवरी 1948 में हुयी थी जिसके बाद से 62 वनमण्डलाधिकारी पदस्थ रह चुके है। जिसमें से 4 ऐसे अधिकारी यहां पदस्थ हुये जो यहां आते तो है और साल दो साल में चले जाते है फिर दोबार आते है फिर साल दो साल रहकर चले जाते है। इन अधिकारीयों का आना जाना कोरिया वनमण्डल में कई बार हो चुका है। जिसमें पहला नाम वर्तमान में ईमोतेन्सु आओ का है जो चार बार आये है व गये है। पहली बार यह 2016 में आये थे और दूसरी बार यह 2018 में आये थे, तीसरी बार यह 2019 में आये थे और चैथी बार यह 2020 में आये है जो अब तक है। इसी प्रकार इनके पूर्व के वनमण्लाधिकारी आरके सिंह दो बार, ओपी यादव दो बार, राजेश एस कल्लाजे पांच बार रह चुके है जो सबसे बड़ा अब तक का रिकार्ड है। यह रिकार्ड वर्तमान वनमण्डलाधिकारी द्वारा तोड़ने की उम्मीद जतायी जा रही है।
राजस्व विभाग का हाल सबसे बुरा,यहां होती है मनमानी जिसकी होगी शिकायत
कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा का बैकुंठपुर तहसील व एसडीएम कार्यालय दोनों आम लोगों को इस कदर परेशान करके रखे हैं कि इनके यहां चलने वाला प्रकरण बिना पक्षकार को नोटिस पहुंचे हैं समाप्त हो जाता है और एक पक्षी कार्रवाई हो जाती है और उसके बाद पक्षकार को नोटिस पहुंचता है तहसीलदार और एसडीएम अपने न्यायालय में इस कदर के फैसले दे देते हैं जो लोगों पैर के नीचे से जमीन खिसक जाए, वकील तो सर पकड़ लेते है स्थित तो यह है की वकील तहसील व एसडीएम कार्यालय का लेना भी नहीं चाहते कोई की यह बैठे अधिकारी अपने आपको हाईकोर्ट के जज से कम नहीं समझते वकीलों से भी सीधे मुंह बात नहीं करते इन्हें सिर्फ पैसे की बात समझ आती है, ऐसे कई उदाहरण पूरे जिले में मौजूद है अभी हाल फिलहाल में ही कुछ लोगों की जमीन रातो रात ऑनलाइन दूसरे के नाम पर चढ़ गई और चढऩे के बाद पक्षकारों को नोटिस पहुंचा कि आप केस हार चुके हैं, पर सवाल यह है की कार्रवाई एक पक्षी हुई पक्षकार उनके न्यायालय तक पहुंचे नहीं पाए क्योंकि उन्हें सूचना ही नहीं मिली पर न्यायालय में नोटिस भेजने की जानकारी मौजूद है जब नोटिस वहां से निकली तो आखिर कहां गई? क्या नोटिस को तमिल करना जिम्मेदारी नहीं है संबंधितो की पर फैसले के बाद वही समय अवधि ख़त्म होने के बाद नोटिस तामिल हो जाता है कैसे? जमीन के मसलों पर इतनी मारामारी मची हुई है कुछ कहने लायक नहीं भूमाफियों का ही बोल बाला है जो भू-माफिया चाहेंगे वही अधिकारी करेंगे चाहे फैसले के बाद पक्षकार को क्यों न सिविल न्यायालय जाना पड़े उन्हें डर नहीं लगता, मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान तहसीलदार, एसडीएम सहित कुछ राजस्व निरिक्षिकों व पटवारियों की भी शिकायत होगी। कुछ पटवारियों जो बिना लंबी राशि लिए नामांतरण तक नहीं करते ऐसे पटवारियों की शिकायत पर मुख्यमंत्री क्या कार्यवाही करते हैं यह देखने वाली बात होगी।
विवादित पुलिस कर्मियों को संरक्षण देने वाली अधिकारी सहित थाना प्रभारियों की हो सकती है शिकायत
पुलिस अधीक्षक को जिले में आये कुछ महीने ही हुए हैं पर विवादित पुलिस कर्मियों को संरक्षण देने वाली अधिकारी का कार्यकाल जिले में 1 साल का पूरा हो चुका है इनके रहते हुए थाना प्रभारियों के जलवे हैं पुलिस थानों को दुकान बना चुके हैं शिकायतों के बावजूद थाना प्रभारी और कर्मचारियों को विभागीय जांच में एक अधिकारी द्वारा बचाने का आरोप है मनेन्द्रगढ़ से लेकर पटना थाना चिरमिरी थाना सभी प्रभारियों के खिलाफ अवैध कारोबार कराने का आरोप है, यहां तक की आम पब्लिक भी किस कदर परेशान है यह सब मुख्यमंत्री के समक्ष शिकायतों में देखा जा सकता है खासकर मनेंद्रगढ़ थाना जहां के थाना प्रभारी का कार्यकाल 2 साल पूरा हो गया है और वहां के लोग थानेदार से परेशान भी है यहां तक कि शराब दुकान वाले भी इस थानेदार से परेशान है, जिसके लिए सोशल मीडिया से लेकर कई बार एसपी को भी शिकायत हो चुकी है पर कार्यवाही नहीं हुई, क्योंकि इनकी पहुंच ऊपर तक है अब इनकी पहुंच कहां तक है यह तो पता नहीं पर आम लोगों की पहुंच मुख्यमंत्री तक है, जहां उनकी शिकायत वह करेंगे, मनेंद्रगढ़ थाना जिले का बहुत बड़ा थाना माना जाता है जंहा पिछले 2 साल से निरीक्षक नहीं उपनिरीक्षक थाने को चला रहे हैं किस की कृपा इन पर बरसी हुई है यह तो यही जानेंगे, कुछ यही हाल पटना थाने का भी है जहां जमकर अवैध कारोबार जारी है और कई मामलों में खुलकर शिकायत हुई है यहां तक कि खुद विभाग के आरक्षक तक अपने थाना प्रभारी की शिकायत कर चुके हैं पर इनके ऊपर भी कार्यवाही नहीं हो रही, क्योंकि सारे शिकायतों की जांच एडिशनल एसपी के द्वारा की गई है और सभी में क्लीन चिट देने की बात सामने आ रही है। लेकिन अब मुख्यमंत्री के सामने ही शिकायत होगी कार्यवाही जरूर होगी ऐसा लोगों का मानना है।
शिकायतकर्ताओं की तरफ से नोट
शिकायतकर्ताओं ने नाम ना प्रकशित करने की शर्त बताया की नाम हम इसलिए प्रकशित नहीं करना चाहते है क्यों की नाम जानने पर शायद हमें मिलने से पहले ही रोक दिया जा सकता है हम शिकायत करना चाहते हैं पर क्या शिकायत करने के लिए हम सीएम तक पहुंच पाएंगे या फिर हमें बाहर ही रोक दिया जाएगा, जैसा कि बाकी जगहों पर देखा गया है यदि हम पहुंच गए तो ठीक है यदि उस दिन नहीं पहुंचे तो समझ जाइएगा कि आपके प्रशासन के लोग हमें पहुंचने नहीं दिए।
अंत में कुछ सवाल
क्या मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का समय बढऩे से प्रशासनिक अधिकारियों को मिली राहत?
क्या कार्यक्रम का समय बढऩा प्रशासन के लिए तैयारी करने का मौका?
क्या खराब फॉर्म में चल रहे अधिकारी सीएम के आने तक अपना परफॉर्मेंस सुधार लेंगे?
क्या शिकायतकर्ताओं को रोक पाएंगे या सीएम साहब के आने तक ही अपना परफॉर्मेंस अधिकारी सुधरेगे उसके बाद फिर से उसी स्थिति में आ जाएंगे?