बाघ के लोकेशन की जानकारी अफसरों को क्यों नहीं थी? विभाग की दिखी लापरवाही।
- मरने वाले बाग की उम्र 7 से 8 साल बताई गई, पीएम के बाद बाग का हुआ अंतिम संस्कार।
- रायपुर के फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री से आएगा पीएम रिपोर्ट तभी मौत की सही वजह का चलेगा पता।
- गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघ की मौत,आरोपियों के घर से कीटनाशक बरामद, तीन को न्यायालय में किया पेश।
- गुरुघासीदास टाईगर रिजर्व स्थित सलगवा खुर्द जंगल का मामला।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 07 जून 2022 (घटती-घटना)। कोरिया स्थित गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर में बाघ की मौत के बाद सोमवार को। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ देर शाम 9 बजे रामगढ़ पहुंचे, उधर पार्क संचालक रामाकृष्णनन ने 6 पशु चिकित्सकों की टीम की उपस्थिति में बाघ के शव का पोस्टमार्टम कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। वहीं इस संबंध में राष्ट्रीय उद्यान के संचालक रामाकृष्णनन का कहना है कि 7 साल के बाघ की मौत की जानकारी उन्हें रविवार देर रात को हुई, जिसके बाद मौके पर पहुंचकर पोस्टमार्टम कर शव का अंतिम संस्कार किया गया, उन्होंने बताया कि उनके द्वारा मादा बाघ मृत होने की जानकारी संबंधित अधिकारी से मिली जानकारी के कारण दी गई थी, परन्तु डॉग टीम आने के बाद पोस्टमार्टम के लिए उठाया गया, तब पता चला कि नर बाघ की मौत हुई है, मामले में 3 आरोपियों को पकड़ा गया है, जिन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। अभी जांच जारी है।
सूत्रों की माने तो कोरिया जिले में स्तिथ राष्ट्रीय उद्यान में बाघ की मौत में कही न कही अधिकारियों की बढ़ी चूक हैं क्यो की मृत पाए गए बाघ के मूवमेंट शासकीय वाहन खराब होने से वहाँ पदस्थ अधिकारियों को नही थी वही कुछ दिनों से शासकीय वाहन भी खराब होना बताया जा रहा जिसे अब घटना के बाद ट्रैक्टर से खींच कर जिला मुख्यालय बैकुंठपुर बनवाने लाया गया हैं। जहा अब इस घटना से ग्रामीण भी डरे हुए हैं जो कि इस मामले में अब कुछ भी कहने से इंकार कर रहे। जानकारों के अनुसार कोरिया-सरगुजा संभाग में बाघ मध्यप्रदेश के संजय गांधी टाइगर रिजर्व से आते हैं और अब यह उनका कॉरीडोर बन गया है। वहीं उन्होंने बताया कि बाघ एक बार गाय या भैंस का शिकार करने के बाद उसे दो से तीन बार तक खाने आते हैं। यदि बाघ की मौत भैंस का मांस खाने से हुई है, तो यह बड़ी चूक है, क्योंकि शिकार के बाद पेट्रोलिंग पार्टी को तत्काल मरी हुई भैंस को वहां से हटा देना चाहिए था।
बाघ की मौत पर
मचा हुआ है हडक़ंप
क्षेत्रीय विधायक गुलाब कमरो के निर्देश पर वस्तु स्थिति का जायजा लेने घटनास्थल पहुँचे विधायक प्रातिनिधि राजन पांडे, प्रेमसागर तिवारी, सांसद प्रातिनिधि अनित दुबे व लव प्रताप सिंह व गणेश गुप्ता को 4 किमी पहले रोका, काफी हुज्जत बाद टीम पहुँची घटनास्थल।
तीन ग्रामीणों को लिया गया हिरासत में
वही बताया जा रहा है कि बाघ ने भैंस का शिकार 4 जून को शाम के बाद किया था, जिससे गुस्साए ग्रामीण ने मरी हुई भैंस पर जहर डाल दिया, जिसे खाकर बाघ की मौत हो गई। वही अब वन विभाग के जाच में तीन आरोपियों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया है जहा देर शाम तीन आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, वही वन विभाग अब पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत कैसे हुई इस की पुष्टि करेगा, वही वन विभाग के अधिकारी मिले सबुत के आधार पर बाघ की मौत की जहर खाने से हुई ऐसा अनुमान लगा जा रहा हैं।
बाघ के लोकेशन की जानकारी अफसरों को
भी नहीं थी
विदित है कि छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या और गुरु घासीदास नेशनल पार्क में बाघ की मौत ने पार्क क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों की पोल खोल दी है। बता दें कि कोरिया जिले के गुरु घासीदास नेशनल पार्क में 2016-17 से बाघों का मूवमेंट देखा जा रहा है, जिस पर लगातार वनकर्मियों द्वारा नजर रखने का दावा किया जा रहा है। किन्तु बाघ के लोकेशन की अफसरों को जानकारी नही होने से बाघों का लोकेशन ट्रेस करने में लापरवाही बरती गई है। बाघिन ने भैंस का शिकार किया है, इसकी जानकारी पार्क क्षेत्र के अफसरों को क्यों नहीं मिली? जबकि एक्सपर्ट बता रहे हैं कि बाघ शिकार करने के बाद दो से तीन दिन तक शिकार का मांस खाने उसके पास जाती है। साथ ही कई उपकरण कैमरे भी लगे होने के दावे किए जाते है किंतु अचानक बाघ की मौत से विभागीय अधिकारी सक्ते में हैं। बाघ की मौत किस वजह से हुई, वन विभाग के अधिकारी पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही अब पुष्टि करने की बात कह रहे।
मौत के पीछे बड़ी लापरवाही
दरअसल, गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का रामगढ़ सहित अन्य परिक्षेत्र में बीते दो वर्षों से संरक्षित क्षेत्र में बिना जरूरत सडक़ें बनाई जा रही है, वन्य जीवों के प्राकृतिक रहवास में सीसी सडक़ों का निर्माण करवाया जा रहा है, वही पदस्थ अधिकारी केवल निर्माण कार्य से ज्यादा व्यस्त दिखाई देने के साथ मुख्यालय से नदारत रहने के कारण बाघों के संरक्षण से अधिकारियों की बिल्कुल चिंता नहीं है। जानकार बताते है कि पूर्व में जब भी वाघ किसी ग्रामीण के जानवर को मारा करते थे तो वहां तत्काल वन विभाग के द्वारा निगरानी की जाती थी, ताकि मृत जानवर में कोई जहर ना डाल सके, परन्तु ऐसा अब नहीं किया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इसी का फायदा उठाकर आरोपियों ने मृत भैसे के मास में जहर का छिड़काव किया गया।
ग्रामीणों में जागरूकता की कमी
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के संरक्षण व संवर्धन के लिए पार्क क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को समय समय पर बैठक लेकर उन्हें बाघों सहितं अन्य वन्य जीवों से दूर रहने और उनके संरक्षण को लेकर समझाईश देना एक नियम है, पर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में ऐसा कहीं नहीं किया जा रहा है, ग्रामीणों की माने तो सिर्फ सडक़, पुल पुलिया, तालाब निर्माण को लेकर अधिकारी बेहद व्यस्त रहते है। क्षेत्र में वन्य जीवों ने मारे जाने पर जानवरों का मुआवजा नहीं दिया जाता है। ऐसी स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों से विभाग को तालमेल बनाकर काम करना होता है परन्तु यहां ऐसा नहीं हो रहा है।