Breaking News

बैकुण्ठपुर@कमीशन दीजिए निजी भूमि पर कराइए शासकीय बोर…क्या पानी की समस्या इसलिए है?

Share

  • भीषण गर्मी में पानी के लिए भटकते ग्रामीण फिर भी समस्याओं के बीच चेहरे पर मुस्कान।
  • चौपाल में जन समस्या देखने पहुंचे कलेक्टर को शायद पानी की समस्या ना देखी हो पर यह दृश्य रोज देखते हैं।
  • 3 दिन पहले जिस गांव कलेक्टर की चौपाल लगी थी उसी गांव के लोग गर्मी में पानी के लिए भटकते है।
  • ग्रामीणों का कोरिया कलेक्टर से आग्रह है कि उनकी समस्याओं पर भी संज्ञान लें पानी की समस्या से निजात दिलाए।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 04 जून 2022 (घटती-घटना)। जब समस्याओं से लोग घिरे होते हैं तो उन्हें मदद की उम्मीद होती है और मदद की उम्मीद भी उसी से होती है जिसे वह अपने उम्मीद के काबिल बनाते हैं हम बात कर रहे हैं शासन व सत्ता की, शासन में बैठे हुए लोग जनता की देन है और जनता के सेवा लिए शासन ने प्रशासन को बैठा रखा है यही वजह है कि हर ग्रामीण मुसीबत के समय यह सोचता है कि प्रशासन में बैठा आदमी उनकी समस्या तक पहुंच सके, प्रशासन में यदि जिले स्तर पर किसी को बड़ा माना गया है तो वह कलेक्टर को सभी की निगाहें कलेक्टर पर होती हैं कि उनके गांव में कलेक्टर का आगमन हो और वह अपनी समस्या कलेक्टर को बता सकें पर ऐसा काफी कम ही देखने को मिलता है की बड़ी आसानी से कलेक्टर गांव तक पहुंच जाए, वह भी सभी गांव तक, कलेक्टर भी चुनिंदा जगहों तक ही पहुंच पाते हैं वह भी अपने रूपरेखा के अनुसार, इस समय कोरिया जिले के कलेक्टर जन चौपाल लगाकर लोगों की समस्या तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं और शायद पहुंच भी रहे हो… समस्या दिख भी रही हो…और उसका समाधान हो भी रहा हो पर हम बात कर रहे हैं छिंदिया ग्राम पंचायत की जहां 3 दिन पहले कोरिया कलेक्टर का चौपाल लगा था पर इस चौपाल लगने की जानकारी शायद सभी को नहीं थी, यदि होती तो पड़ोस के पंचायत चिरगुडा, पटना, अमहर व छिंदिया के ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर वहां पहुच सकते थे पर जिस गांव में चौपाल लगा था उसी गवां के सभी को जानकारी नहीं थी तो बाकि गांव के लोगों को इस बात की जानकारी कैसे होगी, जिस गांव में कलेक्टर की चौपाल लगी थी उस गांव में पानी की समस्या है प्रतिदिन लोग पानी के लिए भटकते हैं जिस का दृश्य रोज सुबह शाम देखने को मिलता है पर शायद यह दृश्य चौपाल में आए कलेक्टर साहब को ना दिखा हो क्योंकि वह उस समय पर नहीं आए थे जिस समय पर ग्रामीण पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी तस्वीरें आम देखने को मिल जाती हैं। जहां सरकारों के विकास के दावे खोखले नजर आते हैं और आम जनता प्रतिदिन बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करती नजर आती है। आम जनमानस को बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सडक़, खाद्यान्न इत्यादि सहज, सुलभ उपलब्ध कराने के लिए सरकारें लाखों योजनाओं को धरातल पर उतारने का प्रयास करती हैं। परंतु ना जाने वह कैसी और किसकी चूक है, जिससे जनता को इन सब से मरहूम होना पड़ता है। बहरहाल बेबसी, लाचारी और मजबूरी को बयां करती यह तस्वीर कोरिया जिला के बैकुंठपुर विधानसभा के पटना उप तहसील से लगे ग्राम पंचायत छिंदिया बाजारपारा का है। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार इस भीषण गर्मी में ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए जूझ रहे हैं। ऐसा नहीं है की यह तस्वीर किसी दूर वनांचल पहुंचविहीन, सुविधाविहीन क्षेत्र का है। बल्कि पटना कुड़ेली मुख्य मार्ग से सटे हुए मोहल्ले का है। असुविधाओं के इस दर्द को वही महसूस कर सकता है, जिसके हिस्से में यह बेबसी आती है, सरकारें आती हैं, जाती हैं चेहरे बदलते रहते हैं‌ सियासत का खेल चलता रहता है। पंचायत स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेता विकास के वादों के साथ सत्तासीन होते रहते हैं। अधिकारी, कर्मचारी सरकार की योजनाओं तथा जनप्रतिनिधियों की घोषणाओं को अमल में लाने का प्रयास करते हैं… परंतु देश की आजादी के इतने साल बाद भी नहीं बदलती हैं, तो ऐसी तस्वीरें।
2 दिन पूर्व तस्वीर स्थल से एक किलोमीटर पहले लगा था प्रशासन का जन चौपाल
जल जीवन मिशन को चिढ़ाती यह तस्वीर और यह मामला जिस ग्राम पंचायत का है वहां 2 दिन पूर्व तस्वीर स्थल से ही 1 किलोमीटर पहले मुख्य मार्ग स्थित विद्यालय भवन में जिला प्रशासन का जन चौपाल एवं जनसमस्या निवारण शिविर आयोजित हुआ था। जिसमें जिलाधीश महोदय के साथ-साथ जिला पंचायत, जनपद पंचायत बैकुंठपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पूरा राजस्व अमला, क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी एवं अन्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी गण स्वयं उपस्थित होकर ग्रामीणों की समस्याओं का निदान कर रहे थे। विडंबना यह हुई कि यह जन चौपाल और जन समस्या निवारण शिविर इतने आनन-फानन में आयोजित किया गया था कि जिनके लिए यह आयोजन था उन्हें ही सूचना नहीं मिली जिससे ग्रामीण अपनी समस्याओं से अधिकारियों को अवगत नहीं करा सके। कुछ ग्रामीण और निर्वाचित जनप्रतिनिधि जिन्हें इस चौपाल की जानकारी हुई उन्होंने बहुत सारे मामलों से जिला प्रशासन को अवगत भी कराया, कुछ कर्मचारियों, अधिकारियों की कार्यशैली की शिकायत भी की जिस पर जिलाधीश महोदय ने आश्वासन दिया कि तीन दिवस के भीतर सारी समस्याओं का निदान कर लिया जाएगा परंतु यह भी अभी तक ठंडे बस्ते में है।
कमीशन दीजिए निजी भूमि पर कराइए शासकीय बोर
हर साल काफी संख्या में सरकारी बोर होते हैं पर आखिर इतने बोर होने के बावजूद भी पानी की समस्या जस की तस क्यों? यह भी एक बड़ा सवाल है जबकि विधायक निधि, सांसद निधि, जनपद निधि, जिला निधि ऐसे कई निधियों के तहत बोर हो रहा है, माने तो धरती सरकारी बोरो से छलनी हो रही है फिर भी पानी की समस्या जस की तस है, आखिर बोर कहां हो रहे हैं… किसके घर हो रहे हैं…किस के निजी जमीन पर हो रहे हैं… यह शायद प्रशासन निरीक्षण करें तो पता चल भी जाए और कैसे हो रहे हैं इसकी वजह भी सिर्फ एक ही मिलेगी वह कमीशन, सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत एक से डेढ़ वर्षो में क्षेत्र में सैकड़ों शासकीय बोर पानी की समस्या के निदान के लिए किए कराए गए हैं। परंतु उनमें से अधिकांश बोर ऐसे हैं जो लोगों की निजी भूमि पर या उनके बाउंड्री वॉल के अंदर, निजी खेतों में हुए हैं। जिनका न तो राहगीरों को कोई लाभ है और ना ही बोर हुए क्षेत्र के लोगों का। सूत्र बताते हैं कि रसूख वाले लोगों एवं सत्ता के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से बेहतर तालमेल हो तो 30 हजार नगद देने पर रातों-रात शासकीय बोर इच्छित स्थान पर हो जाता है। उस पर विडंबना है कि शासकीय बोर में निजी मोटर मशीन बैठा दी जाती है जिसका लाभ केवल व्यक्ति विशेष ही ले पाता है। क्षेत्र में हाल-फिलहाल में हुए सैकड़ों की तादाद में बोर इसका ताजा उदाहरण है जो जांच का विषय भी है।


Share

Check Also

रायपुर,@10 बाल आरोपी माना संप्रेक्षण गृह से हुए फरार

Share ‘ रायपुर,29 जून 2024 (ए)। राजधानी रायपुर के माना में स्थित बाल संप्रेक्षण गृह …

Leave a Reply

error: Content is protected !!