बैकुण्ठपुर@फर्ज़़ी एनओसी मामला,आरोपी की पुनरीक्षण याचिका खारिज

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  • क्या थाना प्रभारी कर पाएगे गिरफ्तार?,आखिर क्यों कोरिया पुलिस करती है मुंह देखी कार्यवाही?
  • गंभीर धाराओं के तहत रसूखदार पर मामला पंजीबद्ध होने के बावजूद क्यों गिरफ्तारी में छूट रहा थान प्रभारी का पसीना।
  • गंभीर मामलों में अन्य व्यक्तियों की तत्काल हो जाती है गिरफ्तारी?
  • राजनीतिक इशारे पर काम कर रही है क्या कोरिया पुलिस?
  • गंभीर धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध व पुनरीक्षण याचिका ख़ारिज होने के बाद पुलिस गिरफ्तारी के लिए किसके आदेश का कर रही इंतजार।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 02 जून 2022 (घटती-घटना)। मनेन्द्रगढ फ़ाइनेंस कम्पनी चोलामण्डलम के द्वारा फ़ाइनेंस वाहन की 17 किश्तें शेष रहते वाहन की फर्ज़़ी एनओसी तैयार कर ज़िला परिवहन अधिकारी बैकुंण्ठपुर कोरिया के समक्ष कूटरचित झूठा शपथपत्र व बनावटी दस्तावेज पेश कर वाहन को बेचने तथा वाहन को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजने के मामले में आरोपी रिकेश खन्ना को न्यायालय से राहत मिलते नजऱ नहीं आ रही है। वहीं आरोपी की और से दाखिल पुनरीक्षण याचिका में आरोपी के विरूद्ध न्यायालय के आदेश पर प्रथम सूचना रिपोर्ट पर न्यायालय द्वारा रोक लगाने की याचिका पर मनेन्द्रगढ प्रथम अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका को पोषणीय ना मानते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया वही आरोपी रिकेश खन्ना पर अब गिरफ़्तारी की तलवार लटकने लगी है पुलिस प्रशासन की ओर से याचिका पर अभियोजन कैलाश विश्वकर्मा आरोपी की ओर से अधिवक्ता टी आर राय तथा चोलामण्डलम कम्पनी की ओर से अधिवक्ता संजय सिन्दवानी ने मामले की पैरवी की थी।
पुलिस महकमा ऐसे ही बदनाम नहीं होता उसकी बदनामी के पीछे की वजह कुछ पुकिसकर्मी स्वयं होते हैं क्योंकि उनकी मुंह देखी कार्यवाही पूरे विभाग की बदनामी की मुख्य वजह होती है, पुलिस निष्पक्ष होकर काम करना बिल्कुल नहीं चाहती पक्षपात में काम करना कुछ पुलिसकर्मियों की नियत होती है, यही वजह है कि अपराध पंजीबद्ध होते हैं पर अपराध पंजीबद्ध होने के बाद अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी तत्काल हो जाती है और पुलिस अपना पीठ भी थपथपा लेती है पर जैसे ही मामला किसी रसूखदार या सत्ता पक्ष या विपक्ष के व्यक्ति से जुड़ी होती है तो उसकी गिरफ्तारी में पुलिस के पसीने छूट जाते हैं, कुछ ऐसा ही मामला है जिले के सबसे बड़े थाना मनेंद्रगढ़ की है जहां के थाना प्रभारी लंबे समय से जमे हुए हैं और सभी से मधुर संबंध निभा रहे हैं यही वजह है कि इनकी कार्यवाही भी पक्षपात व मुंह देखी होती है फर्जी एनओसी तैयार कर गाड़ी बेचने के मामले में रिंकेश खन्ना की गिरफ्तारी को लेकर पूरे शहर में इस बात की चर्चा है कि आरोपी खुलेआम घूम रहा है अपराध पंजीबद्ध होने के 3 महीने बाद मनेन्द्रगढ़ पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है वही आरोपी की दाखिल पुनरीक्षण याचिका भी ख़ारिज हो चुकी है पर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए मनेन्द्रगढ़ के थान प्रभारी मुहूर्त का इंतजार कर रहे है वही आरोपी सीना चौड़ा कर खुले आम घूम रहा है। लगता है थान प्रभारी साहब का अभी मन कतई भी नहीं है गिरफ्तारी करने का क्योंकि रिंकेश खन्ना को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है अब थाना प्रभारी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह उसकी गिरफ्तारी कर सकें क्योंकि मामला रसूखदार से जुड़ा है और वह रसूखदारों पर कार्यवाही से परहेज करते हैं, वह तो सिर्फ गिरफ्तारी उन्ही की कर सकते हैं जिसके पीछे कोई आने वाला ना हो या फिर मालदार या व्यक्ति रसूखदार न हो।
क्या खुलेआम घूम रहे आरोपी को गिरफ्तार कर पाएगी मनेंद्रगढ़ पुलिस
विशेष सूत्रों की माने तो जिस आरोपी के ऊपर गंभीर धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध हो गया है वही आरोपी खुले आम घूम रहे आरोपी को पकडऩे दिलचस्पी नहीं दिखा रही है जिसे लेकर थाना प्रभारी व उच्च अधिकारी की आलोचना भी हो रही है। यदि थाना प्रभारी जाँच के नाम पर अपना दस्तावेज साक्ष्य जुटाए रहे हैं और दस्तावेज प्रस्तुत होना का इंतजार कर रहे है उसके बाद गिरफ्तारी की जाएगी। ऐसा ही जाँच सब के साथ होनी चाही ताकि लोग खुले आम घुम सके।
समाचार प्रकाशन मामले में पत्रकार पर एक दिन में एफआईआर दर्ज,पांच दिन बाद पुलिस पकडऩे टूट पड़ी थी
ज्ञात हो कि 2 फरवरी को पुलिस कर्मियों की आपसी बातचीत का चैट एक ग्रुप में वायरल हुआ था जिसे पर पत्रकार ने खबर प्रकाशित कर 3 फरवरी 2022 को उक्त मामला सबके संज्ञान में लाया था और मामले को संज्ञान में लाने वाले पत्रकार पर ही 3 फरवरी को पुलिस स्वयं प्रार्थी बन कर अपराध पंजीबद्ध कर लेती है और 5 दिन बाद पत्रकार को पकडऩे के लिए भारी संख्या में पुलिस दूसरे जिले जाकर टूट पड़ती है और वही कोरिया जिले में ऐसे कई मामले हैं जिसमें गंभीर धाराओं के तहत रसूखदार के ऊपर मामला पंजीबद्ध है पर पुलिस में दम नहीं कि जाकर पकड़ सके, क्योंकि उन्हें पकडऩे में पुलिस वालों के पसीने छूटते हैं।


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