- क्या गोठान निर्माण तक ही सीमित,जिले में गोठानों की संख्या 3 सौ से अधिक फिर भी अच्छे गोठान खोज क्यों?
- कोरिया वन मंडल में आवर्ती चराई गोठान में मॉनिटरिंग न होने से अव्यवस्था का आलम।
- जब गौठान अच्छे हैं तो कोई से भी गोठान सीएम साहब को दिखाया जा सकता है फिर अच्छे गोठान की खोज क्यों?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 30 मई 2022 (घटती-घटना)। प्रदेश के मुख्यमंत्री का आगमन कोरिया जिले में होना है और उन्हें गौठान दिखाना है पर सवाल यह है कि जब जिले में 300 से अधिक गोठानों का निर्माण हो चुका है फिर ऐसे बेहतर गोठानो की क्यों खोजे की जा रहे हैं जो सीएम साहब को दिखाया जा सके और बताया जा सके कि आप गोठान लोगो को आर्थिक संबल बना रहा है, जब सारे गोठान सही हैं और सारे गोठान का लाभ लोगों को मिल रहा है तो फिर बेहतर गौठान क्यों खोजे जा रहे हैं, ऐसे सवाल का जवाब यही है की जिले के 70 प्रतिशत गोठान उपयोग विहीन है जिले में हकीकत तो गोठानों की कुछ और ही है पर सीएम साहब को दिखाने के लिए आखिर इतने कम समय में बेहतर गोठान कहा से लाएगे? ताकि सीएम साहब देख कर खुश हो जाए इसके लिए प्रशासन पूरी मेहनत कर रहा है सीएम साहब के आने पर ही कुछ गोठान बेहतर हो जाए।
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी के तहत छत्तीसगढ़ के तमाम जिलों के वनांचल ग्राम पंचायतों में आवर्ती चराई व गौठान का निर्माण तो कराया गया है। लेकिन आवर्ती चराई के साथ इन वन गौठान की स्थिति अच्छी है या बदहाल? ये जानने के लिए जब वन क्षेत्र के गौठान का निरीक्षण किया तो रियलिटी चेक में हमने पाया कि आवर्ती चराई के लिये गोठान तो हैं, लेकिन इन स्थानों में क्या सुविधा हैं यह देखने के लिये वन अधिकारियों के पास समय ही नही जिसका ही परिणाम हैं कि इन आवर्ती चराई स्तिथ गोठान में चारे की कमी से मवेसी ही नही हैं जिस कारण वहां की व्यवस्था बेहाल है।
योजना अच्छी पर निर्माण तक ही
विदित है कि सत्ता में आते ही किसानों से किये वायदे के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोठान योजना की शुरुआत की थी जो अच्छी सोच की उपज थी साथ ही लाभकारी भी पर प्रशासन की लापरवाही ने इस योजनो को गर्त में डाल दिया। बड़े जोर-शोर से शुरू हुई इस योजना के तहत, गोठानों का निर्माण कराया गया। जहा वन सीमा में भी वन विभाग के माध्यम से मवेशियों को चारा उपलब्ध कराने के साथ ही वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने वन क्षेत्र में आवर्ती चराई के साथ ही जिले में गोठान तो बहुत बने लेकिन उनके हालात क्या हैं? यह जानने के लिए गोठानो सीएम साहब को बिना बतया निरिक्षण करना चाहीए ताकि प्रशासन की लापरवाही सफा दिख सके, कोरिया वन मंडल के सोनहत स्तिथ कछाड़ी ग्राम पहुंचे, जहां गांव में चिन्हित जमीन पर आवर्ती चराई के साथ गोठान बनाया जाना था, लेकिन यहां अभी तक कुछ ही कार्य किया गया जहा मवेशी के लिए पानी तक टैंक में नही है। इलाके के मवेशी खुले में ग्राम में घूम रहे हैं, जो लोगों की परेशानी का सबब बने हुए हैं और ना ही सही ढंग से वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम ही शुरु हो पाया है। चारे की व्यवस्था भी नहीं है कोरिया वन मंडल के सोनहत के प्रभारी अधिकारी के मुताबिक अभी तक सरकार से गोठान के लिए पैसे नहीं मिले हैं, इसलिए काम बेहद सुस्त तरीके से चल रहा है। यहां लाखों की लागत से गोठान का निर्माण तो कराया गया लेकिन यहां मवेशी का आना नहीं होता है, पर मवेशी गोठान के बाहर या गांवों में घूमते रहते हैं। गोठान में बोर मशीन भी लगी थी, लेकिन इसका कोई इस्तेमाल नहीं। एक आवर्ती चराई गोठान तो कैलाशपुर में ऐसा भी था जहां मुख्यमंत्री के आगमन से पूर्व बने टैंक में जोर शोर से प्लास्टर का कार्य चल रहा वही कर्मचारियों ने बताया गया कि सोनहत व देवगढ़ के ज्यादातर वन गौठानों में सिर्फ गोबर खरीदी की जाती है, मवेशी नहीं आते। यदि जिम्मेदार गोठानों के रियलिटी चेक करे तो एक के बाद एक सच्चाई सामने आ जाएगी। कहीं अव्यस्था फैला है तो कहीं मवेशियों के लिए शेड ही नहीं बने हैं। बारिश का मौसम शुरू होने ही वाला है, ऐसे में यहां के हालात क्या होंगे आप अंदाजा लगा सकते हैं। गोठानों पर केवल गोबर खरीदी की जाती है। यहां के गोठानों के हालत बेहद खस्ता है।
निर्माण कार्य भी जुगाड़ड़ की तकनीक से
कोरिया वन मंडल स्तिथ सोनहत वन क्षेत्र के कछाड़ी ग्राम में आवर्ती चराई के साथ ही निर्मित गोठान में खाद के लिये जो टैंक बनाये जा रहे उसके नींव में अधिकारी शेन्ध लगा रहे जहा कुछ गड्डा खोद कर ही निर्माण भी सुरु कर दिया किन्तु जिम्मेदार अधिकारी देखने तक नही पहुँचे।
वर्मी कम्पोस्ट खाद में मिट्टी व कंकड़ड़ की मात्रा
कोरिया वन मंडल स्तिथ सोनहत के कछाड़ी ग्राम में वन विभाग के देखरेख में वर्मी कम्पोस्ट खाद भी बनाया जा रहा किन्तु अधिकारी के मॉनिटरिंग न होने से खाद की गुडवत्ता को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी हैं वही जब निर्मित स्थल का जायजा लिया गया तो वास्तव में खाद की गुडवत्ता को लेकर संदेह हुआ जहा खाद टैंक सहित बगल में ही मिट्टी व कंकड़ अलग से रखा हुआ पाया गया जिसे वन विभाग के अधिकारी कचड़ा कहकर पल्ला झाड़ते नजर आए।
मै खुद जाकर कार्य थोड़ड़ी न करूंगा
कोरिया वन मंडल बैकुंठपुर अपनी जिम्मेदारी के बजाय दूसरे पर आरोप लगाते हुए प्रभारी अधिकारी ने कहा कि आवर्ती चराई के साथ ही गोठान का निर्माण कराया जा रहा मैं खुद जाकर थोड़ी न कार्य करूंगा संबंधित डिप्टी रेंजर ही इस संबंध में आप को जानकारी देंगे। कोई स्पष्ट निर्देश नही हैं कि क्या क्या कार्य होना है जो अधिकारी निर्देश देते हैं उसी आधार पर कार्य संबंधित डिप्टी रेंजर कार्य करवा रहे हैं।
अर्जुन पटनायक प्रभारी अधिकारी सोनहत