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खडग़वां@विकासखंड खडग़वां में काली कमाई की कहानी

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कुछ ऐसी ही जादूई है.हर महीने लाखों की मलाई से वारा-न्यारा


राजेन्द्र कुमार शर्मा-
खडग़वां 28 मई 2022 (घटती-घटना)। जिले के विकास खंड खडग़वां में क्रशरों ने बीते सालों में करोड़ों रुपए जादू करके कमा लिए हैं।जिनका खनिपट्टा तो है पर उसमें उत्खनन नहींं होने के बाद भी हजारों-लाखों टन गिट्टी बेच चुके हैं। उनसे सवाल करने में खनिज अधिकारियों के पसीने छूटने लगते हैं। इस क्षेत्र में क्रेशर संचालकों की कहानी भी कुछ ऐसी ही जादूई है। क्रेशर में कहां से पत्थर आते हैं, इसके लिए रॉयल्टी कैसे मिल जाती है, सबकुछ परदे के पीछे रखा गया है। खनिज विभाग के संरक्षण में क्रेशर माफिया पिछले कई सालों में दोगुनी ताकत बटोर चुके हैं।
इस बोल्डर के अवैध उत्खनन से करोड़ों रुपए की हेराफेरी की जा चुकी है।खनिज विभाग को जितना राजस्व मिलना चाहिए,उसका आधा भी नहीं मिल रहा है। क्रेशर संचालकों को भंडारण का लाइसेंस दिया गया है लेकिन उनके पास पत्थर कहां से आ रहे हैं, इसकी कोई तस्दीक नहीं की जाती। ऐसा ही कुछ खडग़वां विकास खंड में संचालित क्रेशरो का है। इस क्रेशरो को पांच वर्षों के लिए क्रशिंग लाइसेंस दिया गया है। क्रेशर संचालक ने खुद ही निजी जमीनों से उत्खनन किया है।विधिवत कई खनिजपट्टा जारी किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक क्रेशर के आसपास निजी और सरकारी जमीनों पर अवैध उत्खनन करवाया जा रहा है। इन पत्थरों को दूसरे स्रोत से प्राप्त बताकर रॉयल्टी जारी करवाई जाती है।नियम यह है कि स्वीकृत खनिज पट्टे से ही उत्पादित बोल्डर की ही क्रशिंग की जानी चाहिए। क्रेशर संचालकों के द्वारा जिन पत्थरों की क्रशिंग की जाती है, वह अवैध खदानों से लाए जाते हैं। इसे खनिज विभाग रॉयल्टी जारी कर वैध करता है..?
हर महीने लाखों की मलाई
क्रेशर संचालकों से हर महीने लाखों का वारा-न्यारा होता है। जितनी भी रॉयल्टी जारी होती है, उसका एक रेट फिक्स है। खनिज विभाग के अधिकारियों का हिस्सा भी तय होता है। यह पूरा खेल एक तय सिस्टम के तहत होता है। खनिज विभाग में सबका पेट भर दिया जाता है, इसलिए कोई यह नहीं पूछता कि भंडारित और विक्रय किया गया खनिज कहां से लाया गया है।निजी जमीनें ले ठेके पर के उत्पादन के लिए खनिज पट्टे लीज पर दिए गए हैं। जबकि क्रशरों की संख्या 11 से 12 है। 12 ऐसे क्रेशर हैं जिनके पास खनिज पट्टा है। इनमें से कई ऐसे है जहां बोल्डर उत्खनन होता ही नहीं है। सवाल यह उठता है कि इनको बोल्डर कहां से मिलता है। इसकी जांच कभी खनिज विभाग करता ही नहीं है?इस संबंध में सहायक खनिज अधिकारी से जानकारी चाही तो उन्होंने ने कहा कि खनिज अधिकारी मैडम से बात कर कीजिए।


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