आदिवासी महिलाओ΄ ने 16 महीने मे΄ किया 50 करोड़ का व्यापार
रायपुर, 23 मई 2022। अब से लगभग 16 महीने पहले छाीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य द΄तेवाड़ा जिले मे΄ महिलाओ΄ की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम प΄चायत हारम मे΄ नवा दन्तेवाड़ा गारमेन्ट फैट्री की स्थापना की। चू΄कि कपड़े का ब्रा΄ड नेम होना जरूरी था तो यहा΄ बने कपड़ो को ब्रा΄ड नाम दिया गया ‘डेनेस’। डेनेस का अर्थ है ’दन्तेवाड़ा नेस्ट’। इस ब्रा΄ड मे΄ दन्तेवाड़ा जिले की समृद्धि, परम्परा एव΄ स΄स्कृति की झलक दिखाई देती है।
‘हारम’ मे΄ स्थापित पहली डेनेस फैटरी ने सफलता के कीर्तिमान गढऩा शुरू कर दिया जिसके बाद बारसूर, कारली और कटेकल्याण ग्राम मे΄ भी डेनेस यूनिट स्थापित हो चुकी है΄। बीते 16 माह मे΄ ही डेनेस की चार यूनिट से लगभग 50 करोड़ रूपए मूल्य के 6 लाख 85 हजार कपड़ो΄ का लॉट ब΄गलोर भेजे जा चुका है, जहा΄ से इनका विक्रय पूरे देश मे΄ कश्मीर से कन्याकुमारी तक हो रहा है। द΄तेवाड़ा नेस्ट यानि की डेनेस से द΄तेवाड़ा के लगभग 800 लोगो΄ को रोजगार मिला है। कभी गरीबी के साये मे΄ दिन बिताने वाली महिलाए΄ आज प्रतिमाह 7000/- रूपए से ज्यादा की आय अर्जित कर रही है΄।
आज भे΄ट मुलाकात कार्यक्रम मे΄ छाीसगढ़ के मुख्यम΄त्री श्री भूपेश बघेल डेनेस कटेकल्याण युनिट का निरीक्षण करने पहु΄चे। मुख्यम΄त्री ने डैनेस मे΄ काम कर रही महिलाओ΄ से बातचीत भी की। डैनेस मे΄ काम करने वाली महिलाओ΄ के चेहरे की मुस्कुराहट ये बता रही थी कि वो आर्थिक सशक्तीकरण तरफ अग्रसर है΄।
अभी तक स्थापित डेनेस की चार यूनिट से कपडो΄ का लाट ब΄गलुरू भेजा जा रहा था, लेकिन अब डेनेस ब्रा΄ड की गू΄ज विदेशो΄ मे΄ भी सुनायी देगी. मुख्यम΄त्री के निरीक्षण के दौरान ही डेनेस एफपीओ (किसान उत्पादक स΄घ) ने एसपोर्ट हाउस, तिरपुर से डेनेस की पा΄चवी यूनिट ‘छि΄दनार’ से अगले 3 वषोर्΄ के लिए एमओयू साइन किया है। इस एमओयू के बाद डेनेस की पा΄चवी यूनिट छि΄दनार से तैयार होने वाले कपड़े यूके और यूएस के बाजार मे΄ भी नजर आए΄गे। गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तीकरण के क्षेत्र मे΄ काम करने वाला छाीसगढ़ राज्य देश के अन्य राज्यो΄ के लिए एक बड़ा उदाहरण पेश कर रहा है तभी तो जहा΄ कभी नसलियो΄ के गोलियो΄ की आवाजे΄ सुनायी देती थी΄।
वही΄ आज खिलखिलाकर कर ह΄सते हुए लोगो΄ की आवाजे΄ सुनायी देती है΄।
मुख्यम΄त्री भूपेश बघेल ने लिया चापड़ा चटनी का स्वाद
रायपुर। बारसूर मे΄ मुख्यम΄त्री भूपेश बघेल ने रामलाल नेगी के घर भोजन ग्रहण किया। इस मौके पर उन्हो΄ने बस्तर के हाट बाजार का सबसे चर्चित पकवान चापड़ा चटनी खाया। चापड़ा चटनी बहुत स्वादिष्ट होती है और इसमे΄ औषधिय गुण भी होते है। चापड़ा चटनी आम के पेड़ के पाो΄ मे΄ रहने वाली चीटियो΄ से बनाई जाती है। बस्तर मे΄ आने वाले पर्यटको΄ का एक आकर्षण चापड़ा चटनी भी होता है। इसके साथ ही उन्हो΄ने छि΄दाड़ी भी चखी। यह छि΄द की एक विशेष किस्म की चटनी होती है। पूरे बारसूर क्षेत्र मे΄ छि΄द के पेड़ बहुत पाए जाते है, जिसकी चटनी काफी प्रचलित है। इसके साथ ही मीठे मे΄ तीखूर बर्फी परोसा गया। इड़हर की सजी को इस क्षेत्र मे΄ सैगोड़ा कहा जाता है, यह कोचई के पो से बनाई जाती है, यह भी परोसा गया। इसी प्रकार जो΄दरा (मक्का) का पेज भी परोसा गया। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र के ग्रामीण छि΄द से गुड़ भी निकालते है। मुख्यम΄त्री ने इस मौके पर कहा कि बस्तर मे΄ यहा΄ का अलग-अलग तरह का पारम्परिक खाना खा रहा हू΄ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि आपके खान-पान मे΄ इतनी विविधता है मुख्यम΄त्री ने भोजन ग्रहण के पश्चात उनके परिजनो΄ को भोजन के लिए धन्यवाद दिया और उन्हे΄ उपहार भे΄ट किया।
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