-राजेन्द्र कुमार शर्मा-
खडग़वां, 22 मई 2022 (घटती-घटना)। माईनिंग विभाग को सब मालूम है पर कार्रवाई के नाम पर कभी- कभार एक दो वाहनो को पकड़ कर कार्यवाई के नाम पर खानापूर्ति कर देते है। खडग़वां क्षेत्र में संचालित क्रेशर एवं खदानों से खपने वाले पत्थर अवैध तरीके से वन एवं राजस्व भूमि से निकाले जा रहे हैं। ये अवैध खनन बड़े पैमाने पर चल रहे कारोबार पर खनिज विभाग राजस्व विभाग या वन विभाग का ध्यान नहीं है, यदि है भी तो कार्रवाई के नाम पर मजदूरों पर मामला दर्ज कर लिया जाता है। क्रेशर से उडऩे वाली धूल से इलाके का पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ता जा रहा हैं लेकिन सम्बधित महकमा भी इस ओर से बिल्कुल बेपरवाह हैं। इसका खामियां ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा हैं।
विकास खंड में 11एव 12 क्रेशर संचालित है, जिसमें कई बगैर पिटपास के प्रतिदिन कई ट्रक गिट्टी लेकर चल रहे हैं
कोरिया जिले के खडग़वां देवाडाड पोड़ी बचरा आदि में करीब 11/ 12 क्रेशर संचालित है। क्रेशरों से प्रतिदिन करीब 30 ट्रक और ट्रेक्टर बगैर पिटपास के गिट्टी परिवाहन किया जा रहा है।
इस विकास खंड में
दर्जनों जगह हो रहा है अवैध उत्खनन
विकासखण्ड क्षेत्र की शासकीय व वन भूमि पर दर्जनभर स्थानों से अवैध खनन कर पत्थर निकाले जा रहे हैं। इन पत्थरों को क्रशर खदान में भेज दिया जाता हैं। अवैध खनन में इलाके के ग्रामीण महिला- पुरुष कार्यरत हैं।
क्षेत्र के आसपास संचालित क्रेशर प्लांट में वाहनों से सैकड़ो ट्रिप गिट्टी भेजे जा रहे हैं। इस गोरखधंधे की आज तक निस्पक्ष जांच नही होने से कारोबार बेखौफ चल रहा है।
इस अवैध उत्खनन
के लिए अधिकारियों का मिल रहा हैं संरक्षण
ग्रामीणों के मुताबित क्रेशर संचालकों खनिज विभाग वन एवं राजस्व विभाग का मौन संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते वे मनमाने ढंग से पत्थरों का अवैध उत्खनन कर रहे हैं। इतना ही नहीं क्रेशर संचालक के इशारे पर ही अधिकारी मजदूरों पर अवैध खनन का मामला बनाकर खानापूर्ति भी कर लेते है। कई ऐसे भी ग्रामीण हैं जिन्हें हजार-दो हजार रुपए देकर उनकी जमीन पर खनन कराया जा रहा है। इलाके में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन से वन क्षेत्र का पर्यावरण भी प्रभावित होने लगा हैं। क्रेशर प्लांट से दिनरात उडऩे वाली धूल व शोर से लोगो का स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगा हैं।
इस क्षेत्र में संचालित क्रेशर संचालको के पास क्रेशर संचालन के पूरे कागज नहीं होने के बाद भी क्रेशर का संचालन और गिट्टी का परिवहन धड़ल्ले से किया जा रहा है।
खनिज विभाग के सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि शिकायत पर एक क्रेशर संचालक पर कार्रवाई कर दी गई और जिनकी रात दिन शिकायतें मिल रही है और शिकायतें हो रही है बिना खनिज विभाग एवं पर्यावरण के कागजों से रात दिन धड़ल्ले से संचालित है उसके बाद भी खनिज विभाग के अधिकारियों के द्वारा हाथ पर हाथ रख कर बैठे हैं इन क्रेशर संचालकों को खुली छूट दे रखे हैं ! आखिर क्यों नहीं होती कार्यवाही ?
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