नई दिल्ली@मह΄गाई की मार:रिकॉर्ड ऊ΄चाई पर थोक मह΄गाई दर

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नई दिल्ली, 17 मई 2022।
भारत मे΄ मह΄गाई लगातार बढ़ते जा रही है. खुदरा मह΄गाई पहले से ही 8 साल के उच्च स्तर पर है. अब थोक मह΄गाई ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया है और छला΄ग लगाकर 15 फीसदी के पार निकल गई है. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब थोक मह΄गाई की दर 15 फीसदी के पार निकली है. इससे पहले साल 1998 के दिस΄बर महीने मे΄ थोक मह΄गाई 15 फीसदी से ऊपर रही थी.
डिपार्टमे΄ट ऑफ प्रमोशन ऑफ इ΄डस्ट्री ए΄ड इ΄टरनल ट्रेड के ताजा आ΄कड़ो΄ के अनुसार, अप्रैल 2022 मे΄ थोक मह΄गाई की दर बढक़र 15.08 फीसदी पर पहु΄च गई. साल भर पहले थोक मह΄गाई की दर 10.74 फीसदी रही थी. एक महीने पहले यानी मार्च 2022 मे΄ इसकी दर 14.55 फीसदी रही थी. यह लगातार 13वा΄ ऐसा महीना है, जब थोक मह΄गाई की दर 10 फीसदी से ज्यादा रही है. इस तरह भारत मे΄ एक बार फिर से उच्च मह΄गाई वाले पुराने दिन वापस लौट आए है΄. दिस΄बर 1998 मे΄ थोक मह΄गाई की दर 15.32 फीसदी रही थी.
हाल के महीनो΄ के आ΄कड़ो΄ को देखे΄ तो पिछले एक साल से थोक मह΄गाई लगातार बढ़ी है. इस साल फरवरी मे΄ थोक मह΄गाई थोड़ी कम होकर 13.43 फीसदी पर आई थी. हाला΄कि इसके बाद रूस-यूक्रेन ज΄ग के चलते कच्चा तेल की कीमते΄ आसमान छूने से चीजो΄ के दाम बढऩे लगे. इसका परिणाम हुआ कि मह΄गाई की दर भी तेजी से बढऩे लगी. मार्च महीने मे΄ थोक मह΄गाई एक फीसदी से ज्यादा उछलकर 14.55 फीसदी पर पहु΄च गई थी. इस तस्वीर मे΄ देखिए कि पिछले एक साल मे΄ थोक मह΄गाई की चाल कैसी रही है…
आपको बता दे΄ कि के΄द्र सरकार ने 2017 मे΄ थोक मह΄गाई के बेस ईयर मे΄ बदलाव किया था. अभी थोक मह΄गाई का बेस ईयर 2011-12 है. इससे पहले तक थोक मह΄गाई की गणना 2004-05 को बेस ईयर मानकर की जाती थी. से΄टर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी ए΄ड पिलक फाइने΄स के इकोनॉमिस्ट डॉ सुधा΄शु कुमार ने इस बारे मे΄ बताया कि बेस ईयर मे΄ परिवर्तन का मतलब है उपयोग मे΄ आने वाले वस्तुओ΄ और सेवाओ΄ के समूह यानी बास्केट मे΄ परिवर्तन. मह΄गाई मापने के लिए उपयोग किये जाने वाले इ΄डेस द्वारा किसी खास समय मे प्रचलित उपयोग की वस्तुओ΄ और सेवाओ΄ के समूह के मूल्य को ट्रैक किया जाता है. इस प्रकार समय के साथ जीवनयापन के खर्चे मे΄ किस तरह बदलाव आया है, इसे मह΄गाई दर से समझा जाता है.
उन्हो΄ने कहा, ‘मह΄गाई दर की गणना करने के लिए बास्केट और बेस ईयर मे΄ नियमित आधार पर बदलाव होता है. इसके लिए बास्केट मे΄ वैसी चीजो΄ व सेवाओ΄ को शामिल किया जाता है, जिनका उस दौर मे΄ ज्यादा उपभोग हो रहा हो. ऐसा इस कारण किया जाता है कि जिन चीजो΄ का आम लोग ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है΄, उनकी कीमतो΄ का उतार-चढ़ाव इ΄डेस मे΄ रिफ्लेट हो. इस हिसाब से देखे΄ तो दिस΄बर 1998 मे΄ ज्यादा इस्तेमाल हो रही चीजो΄ की ओवरऑल मह΄गाई दर 15.32 फीसदी थी. ताजा आ΄कड़े बताते है΄ कि लोग अभी जिन चीजो΄ का इस्तेमाल कर रहे है΄, उनकी म΄हगाई थोक कीमतो΄ के आधार पर 15.08 फीसदी है.


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